–छोटे स्तर पर कार्यवाही कर अपनी पीठ थपथपा रहा आबकारी विभाग
उन्नाव। जनपदीय पुलिस ने जहरीली शराब पीने से हो रही मौतों की घटनाओं को देखते हुए जनपद में अवैध तरीके से बेंची जा रही शराब को पकड़ने का अभियान चला रखा है। किंतु पुलिस छोटे और खुदरा कच्ची बनाने वालों की धर पकड़ के अलावा अभी तक नकली और मिलावटी शराब का बड़े पैमाने पर कर रहे धंधे वालों के तक नहीं पहुंच सकी है। पुलिस ने अब तक जहां जहां भी नकली शराब पकड़ी है वह सिर्फ 10 लीटर से 5 लीटर शराब बनाकर अपनी आजीविका चला रहे लोगों ही पुलिस को ही पकड़ सकी है।
ज्ञातब्य है कि जनपद में सरकारी ठेकों से लेकर अवैध शराब बिक्री केंद्रों पर घटिया एवं मिलावटी तथा कच्ची शराब का धंधा अभी भी धड़ल्ले से जारी है।इसके अलावा जनपद के गंगा कटरी क्षेत्र के अनेकों ग्रामों में कच्ची शराब का धंधा भी काफी अरसे से फल फूल रहा है।
आरोप है कि अवैध रूप से शराब का धंधा करने वाले लोगों को स्थानीय पुलिस और आबकारी के अधिकारियों का संरक्षण मिला हुआ है। जिसके कारण जनपद में यह धंधा फलता-फूलता चला आ रहा है। बताया जाता है कि हरियाणा, मध्य प्रदेश और अरुणाचल प्रदेश ऐफाइल हल्को ब्रांड की सस्ती शराब जनपद में खरीदकर आती है और कानपुर शहर से शीशियां बनवा कर उन पर माधुरी मारका शराब का स्टीकर चिपकाकर जनपद के उन सरकारी ठेकों पर जहां की मांग कम बताई जाती है वहां से अवैध रूप से शराब विक्रेताओं द्वारा बेची जाती है। बताया जाता है कि 7 से 800सौ रुपया प्रति पेटी के हिसाब से अवैध शराब का व्यापार करने वाले लोग गैर प्रांतों से लेकर उसे माधुरी मार्का बना कर 1000 से 13 सौ रुपया प्रति पेटी के हिसाब से कम सप्लाई वाले सरकारी ठेकों पर बेच देते हैं। उन ठेकों पर नकली शराब सरकारी शराब की तुलना में 400 से ₹500 प्रति पेटी पर अतिरिक्त फायदा ठेकेदार को होता है।
अन्य प्रांतों एक्साइज ड्यूटी अदा कर आसानी से यह शराब उत्तर प्रदेश के कानपुर और उन्नाव जिला में पहुंच जाती है। और जहां बताते हैं बंद शराब की फैक्ट्रियों और जंगलों में इनकी शीशियां और रैपर बदल कर शराब को माधुरी शराब के रूप में अवैध शराब का धंधा करने वाले गिरोह द्वारा बदल दिया जाता है। शहरों से लेकर गांव तक इस अवैध शराब का भारी स्टाक अवैध शराब व्यापारियों द्वारा कर रखा गया है और जिन ठेको पर से यह नकली शराब बेची जाती है वहां भी इसका भारी स्टाक अभी से लगा रखा गया है।
अवैध शराब कारोबारी इस जनपद ही नहीं हरदोई, कानपुर देहात सहित कई जनपदों में अपना जाल बिछाए हैं। और इन जनपदों में बड़े पैमाने पर अपनी नकली शराब की आपूर्ति करते हैं। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण अभी चंद दिन पूर्व आगरा एक्सप्रेस वे पर एक दुर्घटनाग्रस्त कार में बरामद हुई गैर प्रांत की शराब से हो जाता है। इसके अलावा जनपद के गंगा कटरी के क्षेत्रों में बद्री पुरवा, रोशनाबाद, कटरी गदनपुर आहार, परियर खेड़ा, गोपाल खेड़ा, चमियानी, करौंदी, दोस्तपुर शिवली, अमर पुरवा सहित पचासों गांव में कच्ची शराब का धंधा भी बड़े पैमाने पर लोगों द्वारा किया जाता है। आरोप है कि अवैध रूप से शराब का धंधा करने वाले इन लोगों को स्थानीय पुलिस और आबकारी अधिकारियों का खुले रुप से संरक्षण मिला है। जिनको वह एक मोटी रकम हर माह सुविधा शुल्क के रूप में देते रहते हैं। इस समय अधिकारियों के निर्देश पर अवैध शराब पकड़ने के लिए अभियान चलया जा रहा है तो यही पुलिस चंद लोगों को 10 लीटर 15 लीटर कच्ची शराब के साथ गिरफ्तार करने का दावा कर उन्हें बंद कर देते हैं।
छूट कर आने के बाद वह फिर उसी धंधे में लग जाते है। इस काम में कई सफेदपोशो के हाथ होने के भी आरोप ग्रामीण लगाते हैं। बताते हैं कि आबकारी विभाग के सुस्त रवैये के चलते नकली शराब का यह कारोबार बड़े स्तर पर फल फूल रहा है। और विभाग के इस सुस्त रवैये के ही चलते जनपद के पचासों गावों में परचून चाय, पान, मसाला की दुकानों से देख कर चौराहे चौराहे पर शराब का अवैध कारोबार जोरों पर चल रहा है।
किंतु पुलिस द्वारा चलाए गए अभियान में अभी तक सिर्फ रोजी रोटी चलाने वाले चंद्र कच्ची विक्रेता ही पुलिस के हत्थे चढ़े हैं माफिया लोग तो अभी तक पुलिस की पकड़ से बाहर है। इस संबंध में जिला आबकारी अधिकारी ने बताया कि मामले की जांच पड़ताल जारी है जहाँ भी सूचना मिलती है, वहाँ दबिश देकर सख्त कार्यवाही की जाएगी। वहीं सिंडिकेट की बात पर जिला आबकारी अधिकारी ने अनभिज्ञता जताई।