सनातन धर्म में जीवन को बेहतर ढंग से जीने का हर सूत्र और हर नीति बताई गई है। दरअसल, इसके विद्वानों ने जीवन की छोटी-बड़ी हर बात की गंभीरता को समझते हुए अपने नीति प्रतिपादित किए हैं। इनमें से एक हैं आचार्य चाणक्य, जिन्होने राजनीति के नीतियों से लेकर व्यक्ति को गृहस्थ और सामान्य जीवन जीने का गूढ़ मंत्र दिया है। इसके साथ ही उन सभी कार्यों से व्यक्ति को चेताया भी है जो उनके लिए हानिकारक साबित हो सकती हैं। गौरतलब है कि आज के आधुनिक युग में भी चाणक्य की नीति उतनी ही कारगर है जितनी की सैकड़ों साल पहले थी। चाणक्य नीति (Chanakya Niti) की एक ऐसी ही गूढ़ बात यहां हम आपको बताने जा रहे हैं।
दरअसल, एक श्लोक के जरिए चाणक्य नीति में इस बात का उल्लेख किया गया है कि किन कार्यों को करने के बाद व्यक्ति को स्नान जरूर कर लेना चाहिए। अगर वो इन कार्यों को करने के बाद तुरंत स्नान नहीं करता है तो इससे प्रतिकूल फल मिल सकते हैं। सबसे पहले तो आप इस श्लोक को जानिए, जो कुछ इस प्रकार है…
तैलाभ्यङ्गे चिताधूमे मैथुने क्षौरकर्मणि।
तावद् भवति चाण्डालो यावत् स्नानं न चाचरेत्।
चलिए आपको इसका आशय बताते हैं तो इसका आशय ये है कि तेल लगाने, चिता को जलाने, मैथुन यानी शारीरिक संबंध बनाने और बाल कटवाने जैसे कार्य करने के बाद व्यक्ति को अवश्य रूप से स्नान कर लेना चाहिए। क्योंकि ऐसा न करने वाला व्यक्ति सिर्फ चांडाल ही होता है।
तेल लगाने के बाद
चाणक्य नीति के अनुसार शरीर में तेल मालिश करने के बाद स्नान कर लेना चाहिए क्योंकि तेल मालिश के बाद शरीर पर अतिरिक्त चिकनाई होती है जो बाहरी गंदगी को आकर्षित करती है। ऐसे में गंदगी के जरिए शरीर में बाहरी हानिकारक तत्व समाहित हो सकते हैं।
चिता को जलाने के बाद
वहीं जलती हुई चिता से कई हानिकारक तत्व हवा और वातावरण में प्रवेश करते हैं। ऐसे में चाणक्य नीति का कहना है कि चिता को जलाने के बाद व्यक्ति को जरूर स्नान करना चाहिए।
बाल कटवाने के बाद
बाल कटवाने के बाद छोटे-छोटे बाल के टुकड़े शरीर पर चिपक जाते हैं, ऐसे में चाणक्य नीति (Chanakya Niti) कहती है कि बाल कटवाने के तुरंत बाद स्नान कर लेना चाहिए।
संभोग करने के बाद
वहीं चाणक्य नीति के इस श्लोक में ये भी कहा गया है संभोग करने के बाद स्त्री और पुरूष को स्नान कर लेना चाहिए। क्योंकि संभोग के बाद व्यक्ति का शरीर अपवित्र हो जाता है और ऐसे में दूसरे किसी कार्य को करने से पहले उसका स्नान करना आवश्यक होता है।