उज्जैन (हि.स.)। हिंदू धर्म में शुभ-अशुभ मुहूर्त की मान्यता काफी पुरानी है। महीने में कई ऐसे योग बनते हैं, जिन्हें अशुभ कहा जाता है, पंचक भी इनमें से एक है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, पंचक पांच नक्षत्रों का एक समूह है। इसमें धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद और रेवती आते हैं। पंचक के दौरान कुछ काम करने की मनाही है।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. हरिहर पंडया के अनुसार, इस बार पंचक का आरंभ 15 अप्रैल, शनिवार की शाम 05.38 से हो चुका है जो 19 अप्रैल, बुधवार की रात 11.27 तक रहेगा। अलग-अलग वार से शुरू होने वाले पंचक को विभिन्न नामों से पुकारा जाता है, जैसे इस बार शनिवार से शुरू होने के कारण इसे मृत्यु पंचक कहा जाएगा।
पंचक में कौन-से काम नहीं करने चाहिए?
पंचक से कई मान्यताएं और परंपराएं जुड़ी हुई हैं। पंचक के दौरान कुछ कार्य विशेष करने की मनाही है। ऐसा कहते हैं जो व्यक्ति पंचक के दौरान ये काम करता है, उसे निकट भविष्य में परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
1. पंचक के दौरान ज्वलनशील पदार्थ जैसे लकड़ी, मिट्टी का तेल आदि इकट्ठा नहीं करनी चाहिए। इससे आग लगने का भय बना रहता है।
2. पंचक के दौरान दक्षिण दिशा में यात्रा करने से बचना चाहिए। इस दिशा में की गई यात्रा कष्टदायक होती है।
3. पंचक के दौरान घर की छत डालने की भी मनाही है। इससे भी परेशानियां बढ़ सकती हैं।
4. पंचक के दौरान मृत्यु होने पर किसी विद्वान की सलाह लेकर ही मृतक का अंतिम संस्कार करना चाहिए। ऐसा न करने पर पंचक दोष लगता है।
5. पंचक में चारपाई या पलंग न तो खरीदने चाहिए और न ही बनवाने चाहिए, क्योंकि इन पर सोने से बीमार होने के खतरा बना रहता है।