पीलीभीत : सहफसली खेती करने वाले गन्ना किसानों को डीसीओ ने किया प्रेरित

दैनिक भास्कर ब्यूरो ,

पीलीभीत। जनपद के किसान अब गन्ने के साथ कम समय में तैयार होने वाली सहफसल लेकर अधिक आय कमा रहे हैं। गन्ने के साथ सहफसली के कई विकल्प रहते हैं। मृदा के प्रकार व बाजार की उपलब्धता के आधार पर सहफसली खेती के रूप में गन्ना के साथ दलहन जैसे मटर, मसूर, चना, तिलहन जैसे लाही, सरसों, अलसी के अलावा अन्य फसलें जैसे टमाटर, धनिया, मिर्च, सौफ़, आलू, लहसुन, फूल गोभी, पत्ता गोभी आदि की सहफसल लेकर आय बढ़ाने के विकल्प खुले हैं।

गेंदा और ग्लैडियोलस की सहफसली खेती भी की जा सकती है। गन्ना विकास परिषद मझोला से ग्राम कटैया के किसान नरेन्द्र सिंह-मलकियत सिंह ने खाद्य सुरक्षा मिशन के अंर्तगत सहफसली का प्रदर्शन प्लॉट तैयार किया है, जिसमें गन्ना (सीओ 15023) साथ में सरसों की फसल तैयार की है।

पंडरी गाँव के किसान अमर वीर सिंह पुत्र अमरीक सिंह ने लगभग एक बीघा क्षेत्र में गन्ने (सीओएलके 14201) के साथ लहसुन, धनिया, मेथी व पालक की सहफसल ली है और दूसरे खेत में गन्ने के साथ मटर की सहफसली खेती कर रहे हैं। अलमापुर के कृषक जसकरन सिंह, रविन्द्र सिंह ने गन्ने के साथ मटर की सहफसली खेती को अंगीकृत किया है।

कुलारा के कृषक गुरनाम सिंह, बख्तावर सिंह ने भी गन्ना प्रजाति सीओएलके 14201 के साथ पीली सरसों की सहफसली खेती अपनायी है। इसी तरह ग्राम खि़रका के अरमान सिंह, दलजीत सिंह ने लगभग 3 एकड़ क्षेत्र में गन्ने (सीओएस 13235) के साथ गेहूँ की मिश्रित खेती की है। मोहनपुर के चरनजीत सिंह, बहादुर सिंह ने गन्ना के साथ सरसों की सहफसल ली है।

जिला गन्ना अधिकारी खुशीराम भार्गव ने बताया कि सहफसल से 15-20ः की अतिरिक्त आमदनी के साथ ही घरेलू एवं बाजार माँग की पूर्ति भी होती है। सहफसली खेती से पानी की बचत होती है, खरपतवारों का प्रकोप कम होता है। दलहन, तिलहन, सब्जी, मसालों की घरेलू जरूरतें पूरी हो जाती है। खेत की तैयारी का समय बच जाता है।

सहफसली के रूप में दलहन लेने पर इसकी जड़ो में मौजूद नाइट्रोजन फिक्सिंग बैक्टीरिया द्वारा वायुमंडलीय नाइट्रोजन को कार्बनिक यौगिकों में आत्मसात किया जाता है, जिससे मृदा में नत्रजन की मात्रा बढ़ती है और रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता कम होती है। गन्ने के साथ आलू की फसल लेने पर गन्ने की पैदावार भी बढ़ जाती है। इसी प्रकार प्याज व लहसुन की सहफसल से गन्ने में कीट व रोग का कम प्रकोप होता है।

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