मॉस्को(ईएमएस)। रुस की खुफिया एजेंसी केजीबी का मुक्का प्रमुख हथियार रहा है। कई बार एजेंसी पर आरोप लगते रहे हैं कि मुक्क मारकर दुश्मन को मौत के घाट उतार दिया जाता है। एक बार फिर मुक्का चर्चा में आ गया है। केजीबी पर आरोप लगे हैं कि राष्ट्रपति पुतिन के विरोधी एलेक्सी नवलनी की हत्या मुक्का मारकर की गई है। बता दें कि केजीबी का हिस्सा कभी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन भी रहे हैं।
मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि रूस के सबसे बड़े विपक्षी नेता एलेक्सी नवलनी की दिल पर एक ही मुक्का मारकर जान ली गई। ऐसा दावा है कि यह रूस की खुफिया एजेंसी केजीबी द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली एक पुरानी तकनीक है। केजीबी दुनिया में जासूसी इतिहास में सबसे खूंखार एजेंसी है। व्लादिमीर पुतिन के सबसे बड़े आलोचक और रूस में सबसे बड़े विपक्षी नेता एलेक्सी नवलनी की एक सप्ताह पहले आर्कटिक दंड कॉलोनी में मृत्यु हो गई थी। रूस की तरफ से ऐसा बताया जरूर गया लेकिन, लोगों का मानना है कि नवलनी की मौत 16 फरवरी से पहले ही हो गई थी। यह बात इसलिए राज रखी गई ताकि जेल से सारे सबूत मिटा दिए जाएं। नवलनी 30 साल से अधिक समय से जेल की सजा काट रहे थे।
रूसी अधिकारियों के अनुसार, नवलनी उस दिन टहलने के बाद अचानक अस्वस्थ महसूस कर रहे थे। तुरंत ही होश खो बैठे। उन्होंने दावा किया, नवलनी को होश में लाने के लिए पूरे प्रयास किए गए लेकिन, वो सब प्रयास काम नहीं आए। इसके बाद एम्बुलेंस के डॉक्टरों ने नवलनी की मौत की पुष्टि की।वहीं नवलनी के परिवार और समर्थकों ने पुतिन पर उनकी हत्या कराने का आरोप लगाया है। मानवाधिकार समूह गुलगु.नेट के संस्थापक व्लादिमीर ओसेकिन ने एक स्रोत का हवाला देते हुए बताया, नवलनी की हत्या दिल पर मुक्का मारकर ली गई होगी। यह केजीबी के विशेष बल डिवीजनों की एक पुरानी पद्धति है। ओसेकिन ने कहा, उन्होंने ऐसा करने से पहले नवलनी को काफी प्रताड़ित किया होगा और उसे कमजोर करने की सारी कोशिशें की गई ताकि एक ही झटके में नवलनी को मार दिया जाए। ऐसा दावा है कि इसके लिए पहले नवलनी को जीरो डिग्री से नीचे तापमान में घंटो रखा गया होगा, खाना नहीं दिया गया। शरीर इतना कमजोर हो गया होगा कि एक झटके से दिल का दौरा आ जाए।
उधर, क्रेमलिन ने इन आरोप को खारिज कर दिया है। उधर, पुतिन, जिन्होंने अपने भाषणों में कभी नवलनी का उल्लेख नहीं किया, ने अभी तक उनकी मृत्यु पर कोई टिप्पणी नहीं की है। एक रिपोर्ट के अनुसार, व्लादिमीर पुतिन के सबसे मुखर आलोचक के शरीर पर चोट के निशान थे। सूत्रों का कहना है कि जेल में मरने वालों के शवों को आमतौर पर सीधे विदेशी चिकित्सा ब्यूरो में ले जाया जाता है, लेकिन उनके शरीर को किसी कारण से अस्पताल में ले जाया गया। उन्होंने कहा कि उसके शरीर पर चोट के निशान उन निशानों से मिलते जुलते हैं जो दौरे के दौरान जान पड़ते हैं। केजीबी सोवियत रूस के इतिहास में सबसे खतरनाक सुरक्षा एजेंसी रही। इसे आधिकारिक तौर पर 3 दिसंबर, 1991 को भंग कर दिया गया था। बाद में इसे नया नाम एसवीआर दिया गया जो बाद में संघीय सुरक्षा सेवा (एफएसबी) बन गई। केजीबी के बारे में कहा जाता है कि यह दुनिया की सबसे खूंखार और खतरनाक खुफिया एजेंसी थी। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान स्टालिन को अमेरिका समेत मित्र देशों की सेना की सभी हरकतें पता होती थी, यह सब केजीबी के मजबूत सुरक्षा तंत्र से मुमकिन था। ऐसा माना जाता था कि केजीबी के एजेंट दुनिया के हर कोने में किसी न किसी रूप में मौजूद हैं।