शाहजहांपुर में कलान के तिलौआ गांव में दो बच्चों की मौत के बाद. गांव में मातम छा गया। मवेशी चराने गए 6 बच्चो में शनिवार शाम दो बच्चों की नदी में नहाते समय डूबने से मौत हो गई। घटना के बाद गांव में मातम छा गया। पुलिस ने दोनों शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। हबला नदी के पास बंदना, शैलेश,पारुल, कैस, गौरव, शांति एक साथ बकरी चराने गए थे।
हवला नदी में नहाते समय शैलेन्द्र, बंदना गहरे पानी में चले गए। जहाँ दोनों की नदी में डूबने से मौत हो गई। अन्य चार बच्चों को ग्रामीणों ने सुरक्षित निकाला। किसी को क्या पता था की इनका हंसता-मुस्कुरता चेहरा अब सिर्फ यादों में बस कर रह जाएगा। घटना के बाद गांव में एक भी चूल्हा नहीं जला। रो-रो कर लोगों की आंखें सूज गईं। वहीं इस हृदय विदारक दृष्य को हर कोई जल्द से जल्द भुलाने की कोशिश करेगा। जब आज एक साथ दो चिताओं का दाह संस्कार होगा।
“माँ का दर्द, कोई मेरे बेटे को लौटा दो”
लालू कश्यप और उनके परिजन भी अपने बेटे शैलेन्द्र की असमय मौत से बेहाल थे। गांव के लोग दोनों परिवारों को ढांढस बंधाते हुए संवेदनाएं जता रहे थे। लेकिन पीड़ित परिजनों की आँखों से आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे। मृतक की माँ मीना ने अन्न पानी त्याग दिया। बस एक ही रटन लगी है कि ” कोई मेरे बेटे को लौटा दो। शैलेंद्र दो भाइयों में बड़ा था। बंदना छे भाई बहनों में सबसे छोटी थी।
“घर में सबसे छोटी थी लाडली”
मृतका बंदना की मां कैलाश का रो-रो कर बुरा हाल हो गया। कैलाश रोते-रोते बेसुध हो रही थी। बंदना छ: भाई बहनों में सबसे छोटी थी।
हर आंख हुई नम”
ग्रामीणों का कहना है कि कल अगर यह बच्चे बकरी चराने न जाते तो यह अनहोनी टल जाती। किसी ने सपने में नहीं सोचा था कि गांव में बच्चों के साथ इतनी बड़ी घटना हो जाएगी।
वर्जन – हबला नदी में 6 बच्चे डूब गए जिसमें चार को सुरक्षित निकाला गया। दो बच्चो की दुर्भाग्य बस पानी में डूबने से मौत हो गई। दोनों मृतक बच्चों के माता पिता को दैविय आपदा के तहत चार- चार लाख रुपए का आर्थिक अनुदान दिया जाएगा।
मोहम्मद अजहर अंसारी तहसीलदार कलान