बरेली: जमीन पर उतरी संस्कृति आदिवासी समाज की नृत्य और गीतों के साथ मनाई कर्मा पूजा 

बरेली। चमचमाते शहरों में रह रहे लोग आदिवासी समाज और उसकी संस्कृति को आसानी से नहीं समझ सकते हैं। प्रकृति से अपनी नजदीकी और आदिवासी समाज की झलक को दिखाने के लिए आज आदिवासी उत्थान समिति ने सिविल लाइंस के शहनाई बारात घर में कर्मा पूजा का आयोजन किया। आयोजन में समाज के कलाकारों ने नाचगा कर प्रकृति को याद किया, कृतज्ञता ज्ञापित की और प्रकृति और जीवन के संतुलन को बनाये रखने का संकल्प लिया। 

कार्यक्रम के मुख्य आयोजक धनेश्वर भगत और उनकी टीम ने हर साल की तरह इस साल भी इस अभूतपूर्व कार्यक्रम को आयोजित किया। कार्यक्रम में बरेली के जनजातिय समाज के अधिकांश लोग शामिल हुए। धनेश्वर भगत ने बताया कि दूर दराज के क्षेत्रों से आकर आदिवासी समाज यहां विभिन्न नौकरियों और व्यावसायों में कार्य करता है। 

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि व रेलवे के अधिकारी सत्य नारायन ने कहा कि आदिवासी समाज प्रकृति प्रेमी हैं, हम लोग प्रकृति संतुलन के लिए सदैव काम करते हैं। उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज सदैव देश हित में सहयोग किया है। विशिष्ट अतिथि उद्यमी एवं पत्रकार डा. पवन सक्सेना ने कहा कि आदिवासी समाज के जरिए हमें बरेली शहर में ही संस्कृति से परिचित होने का अवसर मिला है। उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज ने देश के निर्माण में अभूतपूर्व योगदान दिया है।

भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रोपदी मुर्मू जी भी देश की सर्वोच्च सेवा कर रही हैं। बरेली के बड़े राजनेता संतोष गंगवार झारखंड राज्य के राज्यपाल बनकर गए हैं, वहां वह आदिवासी समाज की सेवा कर रहे हैं। धनेश्वर भगत के पुत्र व पेट्रोलियम कंपनी में अधिकारी सुबोध पन्ना ने कहा कि मुझे आदिवासी होने पर गर्व है, क्योंकि आदिवासी समाज का अपना गौरवशाली इतिहास है। 

इस अवसर पर सोमे सिंह, संजीव, बलराम, विस्रमनी, संपत्ति, अंजू, विमला, रुक्मणी, आशा, देवकी समेत आदिवासी समाज के कई प्रमुख व गणमान्य जन मौजूद रहे। इस अवसर पर आये हुए मेहमानों में वीरेन्द्र अटल, मुकेश तिवारी, अनूप मिश्रा, पुत्तन सक्सेना, अशोक शर्मा, शंकर लाल, ललित कुमार, राकेश सिसौदिया, अमरजीत सिंह, सौम्य समेत कई मीडियाकर्मी व गणमान्यजन मौजूद रहे। विधि विधान और परंपरा के अनुसार कर्मा पूजा के बाद समस्त सामग्री को गंगा में प्रवाहित कराया गया।

खबरें और भी हैं...

अपना शहर चुनें