
- पहला मुकदमा वर्ष 1988 में नवाबगंज थाने में हत्या के जुर्म में
- आखिरी मुकदमा वर्ष 2025 में दंगा-गुंडागर्दी का कोतवाली में
भास्कर ब्यूरो
कानपुर। कोविड पीरियड में दबंग पिंटू सेंगर की हत्या के सिलसिले में सोनभद्र जेल में बंद कथित अधिवक्ता दीनू उपाध्याय की आखिरकार पुलिस ने हिस्ट्रीशीट को खोल दिया है। हिस्ट्रीशीट में दीनू के खिलाफ 23 मुकदमों की फेहरिस्त का उल्लेख किया गया है। जल्द ही पुलिस दीनू उपाध्याय के कुनबे के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट में कार्रवाई करने की तैयारी में जुटी है। गैंग के संभावित सदस्यों में दीनू के साथ विवादित भूमि के सौदों और उगाही के मामलों में लगातार संलिप्त एक दर्जन चेहरों को शामिल किया जाएगा।
डीसीपी-सेंट्रल श्रवण कुमार सिंह के मुताबिक, दीनू के खिलाफ धोखाधड़ी, कूटरचित दस्तावेजों से जमीन हड़पने, उगाही-ब्लैकमेलिंग समेत तमाम कुख्यात अपराध सामने आए हैं। ऐसे में दीनू और उसके साथियों की निगरानी के लिए हिस्ट्रीशीट खोलना जरूरी है। गौरतलब है कि, बीते महीने में दीनू के तमाम साथियों की अलग-अलग जोन में हिस्ट्रीशीट खोली गई है, जबकि तमाम फरार साथियों के खिलाफ बीस हजार से पचास हजार तक इनाम भी घोषित किया गया है। पुलिस रिकार्ड के मुताबिक, दीनू उपाध्याय के खिलाफ पहली एफआईआर वर्ष 1988 में हत्या के अपराध में नवाबगंज थाने में दर्ज हुई थी, जबकि दूसरी एफआईआर हत्या के प्रयास के जुर्म में नवाबगंज थाने में। दीनू के ऊपर छठां मुकदमा वर्ष 1997 में कोतवाली में अपहरण का दर्ज हुआ था। यह कानपुर शहर का चर्चित अपहरणकांड था, जिसके तार मैनपुरी के कुख्यात खलीफा से जुड़े थे।
वर्ष 1997 के बाद 2025 से सिलसिला शुरू
वर्ष 1997 तक दीनू के खिलाफ कुल मिलाकर छह मामले दर्ज थे। वर्ष 2020 में पिंटू सेंगर हत्याकांड में नाम सामने आने के बाद दीनू की कुंडली को पुलिस ने खोलना शुरू किया तो शुरुआती दौर में कुछ राहत के बाद वर्ष 2025 से दीनू के खिलाफ एफआईआर की बाढ़ आ गई। वर्ष 2025 में दीनू उपाध्याय के खिलाफ विभिन्न थानों में कुल 16 एफआईआर दर्ज हुई हैं, जबकि दीनू के साथियों के खिलाफ भी तमाम इलाकों में रिपोर्ट लिखी गईं हैं, जिसमें अभी तक दीनू का नाम सामने नहीं आया है।