खामख्वाह लोगों को काटने वाले आवारा और पालतू कुत्तों पर नकेल….इस तरह होगी निगरानी

– नगर निगम के नसबंदी केंद्र में रहेंगे कटखने कुत्ते
– कुत्तों को गोद लेने के लिए लेना होगा हलफनामा
– रिहाई से पहले शरीर में लगाई जाएगी माइक्रोचिप
– इसी चिप के जरिए कुत्तों के मूवमेंट की निगरानी

कानपुर। सालाना आवारा कुत्तों के काटने के शिकार लोगों की संख्या बढ़ रही है। सरकारी डेटा के मुताबिक, वर्ष 2023 में देश में 30 लाख लोगों को कुत्तों ने काटकर जख्मी किया था, जबकि वर्ष 2024 में 37 लाख लोगों को। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने बीते महीने आवारा और कटखने कुत्तों को लेकर सख्त कदम उठाने के लिए स्थानीय निकाय और राज्य सरकारों को आदेश दिया था। इसी नाते नगर निगम ने आवारा और कटखने कुत्तों को एनिमल बर्थ सेंटर (एबीसी) में ताउम्र कैद रखने का निर्णय किया है। अलबत्ता कुत्तों के स्वभाव-व्यवहार में बदलाव आने की स्थिति में गोद देने का विकल्प खुला रहेगा। तय किया गया है कि, एबीसी सेंटर में आवारा कुत्तों के अलावा ऐसे पालतू कुत्तों को भी बंद किया जाएगा, जोकि खामख्वाह गली-मोहल्ले के लोगों को काटते हैं।

गिरफ्तारी के बाद नसबंदी और टीकाकरण
नगर निगम के कंट्रोल रूम को आवारा कुत्तों से जुड़ी शिकायतों को गंभीरता से लेने के निर्देश दिये गये हैं। इसी क्रम में पांच अलग-अलग इलाकों से आवारा कुत्तों के राहगीरों को काटने की सूचना के बाद कैटल कैचिंग टीम ने पांच कुत्तों को दबोचने के बाद एनिमल बर्थ सेंटर में बंद कराया है। सेंटर में कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण के बाद एबीसी के शेल्टर होम में रखा जाएगा। मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. आर.के.निरंजन ने बताया कि, किसी व्यक्ति को काटने के बाद आवारा कुत्ते को पकड़ने के बाद एनिमल बर्थ सेंटर में दस दिन रखकर निगरानी करेंगे, इस दौरान व्यवहार संयमित दिखा तो नसबंदी के बाद उसे पुराने इलाके में छोड़ दिया जाएगा, लेकिन बार-बार लोगों को काटने वाले कुत्ते को आजीवन सेंटर की सलाखों के पीछे रहना होगा।


गोद लेने के लिए हलफनामा अनिवार्य
ज्यादा खूंखार कुत्तों को एनिमल बर्थ सेंटर में एक महीने तक सख्त निगरानी में रखा जाएगा। नसबंदी और टीकाकरण के बाद यदि कोई व्यक्ति खूंखार कुत्ते को गोद लेना चाहेगा तो शपथपत्र लेकर गोद दिया जाएगा। मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. आर.के.निरंजन ने बताया कि, गोद लेने वाले को जिम्मेदारी लेनी होगी कि, भविष्य में कुत्ता किसी पर हमला नहीं करेगा। यदि कुत्ता किसी पर हमला करता है तो गोद लेने वाला ही कानूनी रूप से जिम्मेदार होगा। उन्होंने बताया कि, कुत्ते को गोद देने से पहले शरीर में माइक्रोचिप लगाई जाएगी, ताकि नगर निगम की टीम समय-समय पर निगरानी करती रहे कि, अमुक कुत्ता अपने मालिक के घर है अथवा किसी अन्य स्थान पर। यदि किसी खूंखार कुत्ते को कोई गोद लेने आगे नहीं आएगा तो उसे आजीवन एनिमल बर्थ सेंटर में रहना होगा।


शहर में घूम रहे डेढ़ लाख आवारा कुत्ते
नगर निगम के रिकार्ड के अनुसार करीब 1.46 लाख आवारा कुत्ते हैं। करीब 85 हजार कुत्तों की नसबंदी के साथ टीकाकरण हो चुका है। पिछले दिनों हुई घटनाओं ने आवारा कुत्तों को लेकर शहर को डरा दिया है। गौरतलब है कि, श्याम नगर में बीबीए की छात्रा वैष्णवी साहू को कॉलेज से घर लौटते समय सड़क पर मौजूद कुत्तों के झुंड ने हमला करके बुरी तरह घायल कर दिया था। इससे पहले सरसैयाघाट इलाके में पिटबुल नस्ल के कुत्ते ने युवक पर हमला किया था। ऐसी तमाम घटनाओं से स्पष्ट है कि, शहर में आवारा कुत्तों का खतरा किसी भी वक्त जानलेवा साबित हो सकता है। नगर निगम के लिए भी आवारा कुत्तों का मुद्दा बड़ी चुनौती है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कानपुर में अब आवारा कुत्तों को लेकर अभियान जारी है। इस मिशन में कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण पर प्रत्येक महीने लाखों रुपये खर्च हो रहे हैं।

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