SIR प्रक्रिया से यूपी में रिकॉर्ड कटौती, 2.89 करोड़ वोटरों के नाम लिस्ट से बाहर….लखनऊ-गाजियाबाद टॉप पर

उत्तर प्रदेश में SIR प्रक्रिया के दौरान बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है. राज्यभर में 2.89 करोड़ लोगों के नाम SIR में कटे हैं, जिनमें सबसे अधिक संख्या लखनऊ और गाजियाबाद की है. केवल लखनऊ में ही 30% नाम हटाए गए हैं, जिससे जिले में राजनीतिक और प्रशासनिक हलचल तेज हो गई है.

नहीं मिलेगा टाइम एक्सटेंशन 

सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि अब SIR प्रक्रिया में समय का कोई एक्सटेंशन नहीं मिलेगा. फाइनल ड्राफ्ट 31 दिसंबर को ही जारी होगा. SIR प्रक्रिया को पूरा करने की पहली समय सीमा 4 दिसंबर थी, लेकिन इसे दो बार बढ़ाया गया और अंततः शुक्रवार को यह भी खत्म हो गई है.  

2 लाख नए नाम जुड़े

पिछले 14 दिनों में SIR में सिर्फ 2 लाख नए नाम जुड़े हैं, जबकि हटाए गए नामों की संख्या इसकी तुलना में कई गुना अधिक है. इससे विपक्षी दलों की निगाहें भी इस ड्राफ्ट पर टिकी हुई हैं.

फोकस यह है कि इतने बड़े पैमाने पर नाम काटे जाने के बाद अंतिम सूची आने पर प्रदेश की मतदाता संख्या में कितना बदलाव दर्ज होता है.

14 दिन पहले क्या स्थिति थी

बता दें कि 14 दिन पहले तक चुनाव आयोग ने एनडीटीवी को बताया था कि 2.91 करोड़ नाम कटने वाले हैं, क्योंकि इतने लोगों ने अपने फॉर्म जमा नहीं किए थे. इसी अवधि में केवल 2 लाख नए फॉर्म वापस आए, जिसके बाद अंतिम संख्या घटकर 2.89 करोड़ रह गई.

क्यों कट रहे हैं इतने नाम?

बड़ी संख्या में कट रहे नामों की मुख्य वजह यह मानी जा रही है कि ग्रामीण इलाकों से रोजगार के लिए महानगरों में आए लोगों ने दो जगह वोटर आईडी बनवा लिए थे

  • एक अपने गांव/गृह क्षेत्र में
  • दूसरा महानगरों में जहां वे काम करते थे.

इस बार गहन स्क्रूटनी के बाद डुप्लिकेट एंट्रियों को हटाया गया है, और चूंकि लोगों ने अपने स्थायी ग्रामीण पते पर वोटर पहचान बनाए रखने का विकल्प चुना, इसलिए लखनऊ और अन्य शहरों में बड़ी संख्या में नाम कटे.

SIR की अब तक की प्रगति

इससे पहले चुनाव आयोग ने बताया था कि 99% कार्य पूरा हो चुका है. 27 अक्टूबर 2025 तक कुल 15,44,33,092 मतदाताओं में से 80% ने अपने एन्यूमरेशन फॉर्म भरकर जमा कर दिए थे. जो 2.91 करोड़ मतदाता बाकी थे, उन्हें कई श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया था-

  • मृत मतदाता
  • स्थाई रूप से स्थानांतरित मतदाता
  • जिनका नाम किसी अन्य स्थान पर दर्ज पाया गया
  • फॉर्म भरने से मना करने वाले
  • जिनका पता अधूरा मिला

पहचान सुनिश्चित करने के लिए Map‑Linking प्रक्रिया

मतदाता सत्यापन की शुद्धता बढ़ाने के लिए आयोग ने एक खास मैपिंग प्रक्रिया शुरू की है, जिसमें प्रत्येक मतदाता के नाम को माता, पिता, दादा‑दादी, नाना‑नानी से लिंक किया जा रहा है. यह कार्य 75% तक पूरा हो चुका है.

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