लखनऊ: लंबे समय से अखिलेश यादव से नाराज़ चल रहे उनके चाचा और सपा के वरिष्ठ नेता शिवपाल यादव ने अलग समाजवादी सेक्यूलर मोर्चा बनाया है. शिवपाल ने कहा कि समाजवादी पार्टी में मेरी उपेक्षा हुई है. हम पार्टी से उपेक्षित लोगों को मोर्चे से जोड़ेंगे. सेक्यूलर मोर्च बनाने के एलान के बाद जब शिवपाल सिंह यादव और रामगोपाल यादव का आमना सामना हुआ तो दिल मिलते दिखे. सपा के पूर्व राज्यसभा सांसद बाबू दर्शन सिंह की अंत्येष्टि के दौरान शिवपाल यादव ने रामगोपाल यादव के पैर छूकर नफ़रत की बर्फ़ पिघलने के संकेत दिए हैं. वहीं मुलायम से जब पत्रकारों ने उनके भाई द्वारा मोर्चा बनाये जाने के मुद्दे पर सवाल किया तो उन्होंने कहा, ‘मैं यहां समाजवादी नेता दर्शन सिंह यादव की श्रद्धांजलि सभा में भाग लेने आया हूं.’ पत्रकारों ने मुलायम से उनके भाई शिवपाल द्वारा गठित नये संगठन समाजवादी सेक्युलर मोर्चा के बारे में पूछा था.
जब अखिलेश से पूछा पत्रकारों से सवाल
पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से जब पत्रकारों ने शिवपाल के मोर्चा गठित किये जाने के बारे में पूछे जाने पर कोई साफ जवाब ना देते हुए कहा ‘मैं भी नाराज हूं, मैं कहां चला जाऊं. जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव नजदीक आएगा, आप और भी चीजें होती हुई देखेंगे.‘ इस सवाल पर कि क्या शिवपाल के मोर्चा गठित करने के पीछे भाजपा की साजिश है, सपा अध्यक्ष ने कहा ‘इसके पीछे भाजपा है, ऐसा मैं नहीं कहता, पर आज और कल की बात को देख लें तो शक तो जाएगा ही. सपा आगे बढ़ेगी, चाहे जो भी हो. ‘भाजपा प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने इस घटनाक्रम पर चुटकी लेते हुए कहा कि जब कोई पार्टी एक ही परिवार तक सीमित होती है तो उसका यही हाल होता है. देश की ऐसी जितनी भी पार्टियां हैं सबका यही अंजाम हुआ है. शिवपाल ने मोर्चे के गठन का एलान सपा से निष्कासित राज्यसभा सदस्य अमर सिंह के उस बयान के एक दिन बाद किया है, जिसमें उन्होंने शिवपाल और भाजपा के शीर्ष नेताओं के बीच बैठक तय कराने के बावजूद ऐन वक्त पर शिवपाल के नहीं पहुंचने का दावा किया था.
बीजेपी से अपने सम्बन्धों के बारे में शिवपाल ने कहा
उनके भाजपा या किसी अन्य दल में शामिल होने की अटकलें लगायी जा रही हैं, मगर इनमें कोई सचाई नहीं है. प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार में मंत्री और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर ने मंगलवार को शिवपाल से उनके आवास पर मुलाकात की थी, लेकिन दोनों ने ही इसे व्यक्तिगत बताया था.
गौरतलब है कि सितम्बर 2016 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को उस वक्त सपा मुखिया रहे मुलायम सिंह यादव ने पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाकर शिवपाल को नियुक्त कर दिया था. उसके बाद से ही अखिलेश और शिवपाल के बीच तल्खी पैदा हो गयी थी. अखिलेश ने अपने मंत्रिमण्डल से शिवपाल समर्थक कई मंत्रियों को बर्खास्त कर दिया था. उसके बाद एक जनवरी 2017 को सपा के अध्यक्ष पद पर अखिलेश की ताजपोशी के दिन ही शिवपाल को पार्टी प्रदेश अध्यक्ष पद से हटा दिया गया था. उसके बाद से शिवपाल पार्टी में हाशिये पर आ गये थे.
मुजफ्फरनगर से शिवपाल की चुनावी शुरुआत
मुजफ्फरनगर। किसी भी सरकार में अगर दंगे हो तो ये उस सरकार के लिए किसी गहरे जख्म से कम नहीं है। अखिलेश सरकार के लिए मुजफ्फरनगर दंगे भी किसी गहरे घाव या दुखती रग से कम नहीं है। शायद इसीलिए चाचा शिवपाल यादव अखिलेश की इसी दुखती रग को दबाने के लिए आज शुक्रवार को मुजफ्फरनगर में समाजावादी सेक्युलर मोर्चा का पहला कार्यक्रम आयोजित कर रहे है।
इस कार्यक्रम में सहारे शिवपाल यादव अपने भतीजे यानी अखिलेश यादव के जख्मों को कुरेदने का काम करेंगे। शुक्रवार को मुजफ्फरनगर में राष्ट्रीय एकता सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। शिवपाल यादव 2013 में हुए दंगों की नफरत खत्म करने के लिए इस कार्यक्रम का आयोजन कर रहे हैं। यह कार्यक्रम समाजवादी सेक्युलर मोर्चा का वेस्ट यूपी में पहला कार्यक्रम और लोगों को इसकी जानकारी नहीं है।
ये कार्यक्रम बुढाना कोतवाली क्षेत्र के कांधला रोड में आयोजित होगा। इस कार्यक्रम में समाजावादी सेक्युलर मोर्चा के संरक्षक शिवपाल यादव मुख्य अतिथि रहेंगे। इस कार्यक्रम के डेढ़ सौ होल्डिंग कस्बे के साथ क्षेत्रों में प्रचार के लिए लगाए गए है। एक तरफ अमर सिंह जहां समाजवादी पार्टी पर पूरी तरह हमलावर है वहीं दूसरी तरह चाचा शिवपाल का ये कार्यक्रम जाहिर तौर पर अखिलेश के लिए परेशानी का सबब बन सकता है। सपा ही नही सत्ताधारी दल भाजपा की भी नजर शिवपाल के इस कार्यक्रम पर है।
2019 के लोकसभा चुनाव में ये समाजवादी सेक्युलर मोर्चा भाजपा को भी परोक्ष रूप से फायदा पहुंचा सकता है। असल मे शिवपाल जिस तरीके से छोटे डेल और बागियों को जोड़ने की बाद कर रहे उसको देख कर तो ये लगता है कि समाजवादी सेक्युलर मोर्चा के माध्यम से वो तीसरा मोर्चा तैयार करने की सोच रहे हैं। अगर ऐसा होता है तो ये मोर्चा लोकसभा चुनाव में महागठबंधन के खिलाफ भाजपा को जरूर फायदा पहुंचाएगा।
बता दें कि सपा सरकार के दौरान साल 2013 में मुजप्फरनगर में दंगे हुए थे। मुजफ्फरनगर दंगे के 5 साल बीत जाने के बाद शिवपाल का यही से अपनी पार्टी का यलगार करना अपने आप में काफी कुछ कहता है। 2013 में हुए इस दंगे ने करीब 100 लोगों की जान ले ली, दर्जनों घर राख कर दिए, अनगिनत महिलाओं की अस्मत लूटी गई और हजारों लोग बेघर हो गए।