यूपी के कानपुर में एक और कोरोना पॉजिटिव की मौत, आंकड़ा पहुंचा 9

  • छह की मौत के बाद आयी कोरोना पॉजिटव रिपोर्ट, तीन की पहले आयी रिपोर्ट
  • जनपद में कोरोना ग्रसित चार महिलाओं की हुई मौत
  • कानपुर में अब तक 316 लोगों में हुई कोरोना की पुष्टि
  • 58 दिन में नौ कोरोना पॉजिटिव की मौत, 23 मार्च को आया था पहला केस

कानपुर, 20 मई (हि.स.)। उत्तर प्रदेश के कानपुर जनपद में कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या में बराबर इजाफा हो रहा है। बुधवार तक कोरोना पॉजिटिव मरीजों का आंकड़ा 316 तक जा पहुंचा। हालांकि मंगलवार एक भी कोराना मरीज नहीं आया और बुधवार की जांच रिपोर्ट आना बाकी है। इसी बीच एक कोरोना ग्रसित बुजुर्ग की मौत भी हो गयी। यह कोरोना ग्रसित मरीज बुजुर्ग व्यक्ति था और जनपद में कोरोना ग्रसित पांचवा व्यक्ति है जिसकी मौत हुई है, जबकि इससे पहले भी चार कोरोना ग्रसित पुरुष और चार महिलाओं की भी मौत हो चुकी है। इस प्रकार कानपुर में कोरोना पॉजिटिव से ग्रसित नौ लोगों की मौत हो चुकी है। नौ मौतों व लगातार कोरोना मरीजों की बढ़ती संख्या से स्वास्थ्य विभाग से लेकर प्रशासन तक में खलबली मची हुई है।

दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में हुए जलसे में शामिल तब्लीगी जमाती कानपुर प्रशासन की मुश्किले बढ़ा रहे हैं। यहां पर तब्लीगी जमाती व उनके संपर्क में आये और विदेश से आये व उनके संपर्क में आये लोगों में 316 में कोरोना पॉजिटिव की पुष्टि बुधवार तक हुई है। इनमें से नौ की मौत हो चुकी है और अंतिम मौत भी बुजुर्ग पुरुष की हुई है। अब तक शहर में कोरोना संक्रमण से नवीं मौत हो गई है।
बताया गया कि हॉट स्पॉट क्षेत्र कर्नलगंज के 60 वर्षीय बुजुर्ग के थ्रोट एवं नेजल स्वाब के सैंपल की पांच मई को जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज की कोविड लैब की जांच रिपोर्ट में कोरोना की पुष्टि हुई थी। स्वास्थ्य विभाग की टीम ने उन्हें मंधना स्थित रामा मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया था। वहां भर्ती के 15 दिन मंगलवार को पूरे हो रहे थे, लेकिन उनकी सेहत में सुधार नहीं हुआ। डॉक्टरों के मुताबिक उन्हें निमोनिया हो गया था। उन्हें सुबह से ही सांस लेने में तकलीफ थी। जब वह एक्यूट रेस्पेरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम की स्थिति में पहुंच गए और दम फूलने लगा तो उन्हें रामा देवी स्थित कांशीराम अस्पताल भेज दिया। वहां से रेफर होकर न्यूरो आईसीयू पहुंचते, उससे पहले ही गेट पर उनकी जान चली गई।

जनपद में कोरोना से नवीं मौत
अब तक जनपद में नौ कोरोना पॉजिटिव मरीजों की मौत हो गयी है। पहले कोरोना पॉजिटिव मरीज की मौत पिछले सोमवार (13 अप्रैल) को हुई थी और दूसरे मरीज की मौत 20 अप्रैल (सोमवार) को हुई थी। तीसरे की मौत 21 अप्रैल को हुई थी जिसकी जांच रिपोर्ट 23 अप्रैल को आयी थी। चौथे मरीज की मौत जो जनपद की पहली कोरोना ग्रसित महिला थी उसकी मौत 27 अप्रैल (सोमवार) को हुई थी और जांच रिपोर्ट 28 अप्रैल (मंगलवार) को आयी है।

पांचवी की मौत 30 अप्रैल को हुई थी यह जनपद की दूसरी महिला कोरोना पॉजिटिव थी, जिसकी रिपोर्ट तीन मई को आयी है। छठी मौत चार मई (सोमवार) को हुई है और यह जनपद की तीसरी महिला की मौत है। सातवीं मौत 10 मई (रविवार) को हुई यह बुजुर्ग महिला बाबूपुरवा की रहने वाली थी। आठवीं मौत मूलगंज के नया चौक निवासी 73 वर्षीय बुजुर्ग की 13 मई को हुई, जिसकी जांच रिपोर्ट 14 मई को आयी। नवीं मौत शहर के हॉट स्पॉट क्षेत्र कर्नलगंज लकड़मंडी के 60 वर्षीय बुजुर्ग की 19 मई को हुई। जिसको लेकर काफी संशय है क्योंकि बुजुर्ग की दूसरी रिपोर्ट निगेटिव आ चुकी है और अभी भी स्वास्थ्य विभाग यह सुनिश्चित नहीं कर पा रहा है कि इसको किस श्रेणी में रखा जाये, लेकिन सूत्र कहते हैं कि इसको कोरोना की श्रेणी में ही रखा जाएगा।

कारोबारी की मौत के बाद हुई थी लापरवाही

कुलीबाजार के ब्रश कारोबारी की मंगलवार (21 अप्रैल) दिन में अचानक तबीयत खराब हो गई थी और स्वजन उन्हें लेकर उर्सला अस्पताल पहुंचे लेकिन देर रात उनकी मौत हो गई थी। डॉक्टरों ने बगैर किसी पूछताछ के शव स्वजनों को सौंप दिया। बुधवार सुबह स्वजन दाह संस्कार करने भैरव घाट पहुंचे तो नगर निगम के कर्मचारियों ने पूछताछ की। बेटे व परिजनों ने पूरी जानकारी दी तो कर्मियों ने जिलाधिकारी को जानकारी दी। इसके बाद जिलाधिकारी के निर्देश के बाद स्वास्थ्य टीम ने घाट पर जाकर शव से सैंपल लेकर जांच के लिए भेजा था। गुरुवार यानी 23 अप्रैल को केजीएमयू से आई जांच रिपोर्ट में कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई थी।

दूसरे नंबर पर बरकरार है कानपुर

दुनियाभर में तांडव मचा रहा कोरोना वायरस थमने का नाम नहीं ले रहा। इसके चलते रोजाना भारत में मौत का आंकड़ा बढ़ रहा है। वहीं यूपी में रोजाना कोरोना संक्रमित के नए नए केस सामने आ रहे है। यूपी के कानपुर में भी कोरोना पीड़ितों के आंकड़े तेजी से बढ़ रहे हैं। आगरा, के बाद कानपुर कोरोना संक्रमितों के मामले में दूसरे नंबर पर पहुंच गया है। जबकि कानपुर में पहला पॉजिटिव केस 23 मार्च को आया था और 58 दिन बाद 316 के आंकड़े के साथ यूपी में दूसरे स्थान पर पहुंच गया है। यहां पर नौ कोरोना मरीजों की मौत भी हो गयी है। पहला कोरोना मरीज 15 दिन के इलाज के बाद सही हो गया और वह घर पर क्वारंटाइन में है। इसी तरह दो विदेशी तब्लीगी जमाती सहित यहां पर अब तक 277 कोरोना पॉजिटिव मरीज सही हो चुके हैं, जिन्हे हैलट के कोविड-19 अस्पताल, कांशीराम ट्रामा सेंटर और सरसौल के आइसोलेशन वार्ड से छुट्टी कर दी गयी है।

झारखण्ड का युवक कर चुका है आत्महत्या

कानपुर देहात जनपद में 29 अप्रैल को पकड़ा गया कोरोना पॉजिटिव झारखण्ड के भादोही साहेबगढ़ निवासी 32 वर्षीय युवक को कानपुर नगर के सरसौल आइसोलेशन वार्ड में 30 अप्रैल को भोर पहर भर्ती कराया गया था। यहां पर युवक ने सेनीटाइजर पीकर आत्महत्या का प्रयास कर लिया। सेनिटाइजर पीता देख मेडिकल स्टॉफ ने फौरन सेनिटाइजर की शीशी छुड़ाई और तबीयत खराब होता देख कांशीराम ट्रामा सेंटर में भर्ती कराया जहां पर डाक्टरों ने हालत नाजुक देख तत्काल गणेश शंकर विद्यार्थी मेमोरियल मेडिकल कालेज से संबद्ध लाला लाजपत राय (हैलट) अस्पताल रेफर कर दिया। यहां पर युवक को कोविड-19 हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया और विशेषज्ञ डाक्टरों की टीम ने इलाज शुरु कर दिया, लेकिन कुछ ही घंटों में युवक ने दम तोड़ दिया। हालांकि इसकी गिनती कानपुर नगर में नहीं की गयी, क्योंकि कोराना गाइड लाइन के अनुसार जो व्यक्ति जहां पर क्वारंटाइन होता है उसकी गिनती उसी जनपद से होती है।

समाज में बन रहा कोरोना का खौफ

हैलट अस्पताल के सीएमएस प्रो. आरके मौर्या ने बताया कि कोरोना का खौफ समाज में देखने को मिल रहा है। इसी के चलते कलंकित होने के डर से अधिकांश लोग कोरोना की जांच के लिए जल्दी सामने नहीं आते हैं। ऐसी स्थिति में मरीज का इलाज देर से शुरू होने पर ही उसकी जान जाने की आशंका बढ़ जाती है। किसी मरीज में इस बीमारी की पहचान जल्द हो जाए तो उसके इलाज में आसानी रहती है। वहीं कोरोना जैसे लक्षण होने पर भी लोग समाज में बहिष्कार के डर से जांच कराने सामने नहीं आ रहे। वे अस्पताल तभी पहुंचते हैं, जब उनकी तबियत काफी बिगड़ चुकी होती है। ऐसी स्थित में जो कोरोना पॉजिटिव हो जाता है और मानसिक रुप से मजबूत नहीं है तो वह अवसाद में चला जाता है। इसी अवसाद के चलते अब कोरोना पॉजिटिव मरीज आत्महत्या जैसे कदम उठा रहे हैं। हालांकि ऐसे लोगों को मनोवैज्ञानिक बल देने के लिए अस्पताल में मनोवैज्ञानिक डाक्टर की भी ड्यूटी लगायी गयी है।

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