सूखी पड़ी नहर,अन्नदाता खेतों की पलेवा (सिंचाई) करने को परेशान

गर्मियों में बोई जाने वाली फसलों की कैसे हो बुबाई

भास्कर समाचार सेवा

जसवन्तनगर इटावा पिछले कुछ दिनों से नहर में पानी का प्रवाह नहीं हो रहा है। इसकी वजह से गर्मियों में बोई जानी वाली जायद फसलों में उर्द,मूँग,तरबूज,खीरा,मक्का,ज्वार आदि की बुआई के लिए किसान खेतों का पलेवा (सिंचाई) नहीं कर पा रहे हैं। नहर में पिछले कई सप्ताह से पानी नहीं आ रहा है।मौसम में अचानक बदलाव होने से किसानों की परेशानी बढ़ी हुई है।अन्नदाताओं को समझ नहीं आ रहा है कि आखिर वह क्या करें।आलू की खुदाई और सरसों की कटाई के साथ ही किसान उर्द,मूँग,तरबूज,खीरा,मक्का,ज्वार आदि की बुआई के लिये खेतों का पलेवा (सिंचाई) करना चाह रहे हैं, लेकिन सूखी पड़ी नहर के चलते किसानों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। तहसील क्षेत्र का लगभग60से 70 फीसदी भू भाग की सिंचाई नहर,बम्बो के माध्यम से होती है। लेकिन नहर व रजबहों में समय पर पानी न आने से अन्नदाताओं की फसलें पिछड़ रही है। बड़ी नहरो से पिछले कुछ सप्ताह से पानी नहीं आया है, जिसकी वजह से इससे निकले रजबहों भी सूखे पड़े है। क्षेत्र से होकर निकले रजबहे मेंभी पानी नहीं है। नहरों व रजबहे की हर साल सिल्ट सफाई तो होती है, लेकिन उसके बाद भी पानी नहीं है। जब पानी आता है तो आने पर बीच में कई जगह कटान होने से भी सिंचाई प्रभावित होती है। क्षेत्र के किसानों ने बताया की नहर में अब तक पानी न आने से गर्मियों की फसलो की बुआई के लिए खेतों का पलेवा नहीं हो पा रहा है। फसल बुआई का समय शुरू हो गया है। यदि नहर में पानी का प्रवाह न हुआ तो गर्मियों में बोई जाने वाली फसलों की बुआई में देरी होगी।वैसे भी पिछले कुछ समय से वेमोशम बरसात और ओलावृष्टि से किसान अपनी किस्मत को भी कोस रहा रहा है।

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