भय्यूजी महाराज की खुदकुशी के बाद मिले दो पन्ने के सुसाइड नोट के हवाले से यह बताया जा रहा था कि मां, पत्नी और बेटी के होते हुए वे सारी संपत्ति और कामकाज भरोसेमंद सेवादार को सौंप गए हैं। अब यह बात निकलकर सामने आ रही है कि यह अधूरा सच है।
दिल्ली। भय्यूजी महाराज की खुदकुशी के बाद मिले दो पन्ने के सुसाइड नोट के हवाले से यह बताया जा रहा था कि मां, पत्नी और बेटी के होते हुए वे सारी संपत्ति और कामकाज भरोसेमंद सेवादार को सौंप गए हैं। अब यह बात निकलकर सामने आ रही है कि यह अधूरा सच है। पूरा सच यह है कि सेवादार विनायक संपत्ति का वारिस नहीं है। भय्यूजी ने विनायक को उस ट्रस्ट के कामकाज की जिम्मेदारी सौंपी है जिसकी सारी संपत्ति ट्रस्ट के ही नाम पर ही है जिसमें भय्यूजी ने कोई पद नहीं लिया था।
भय्यूजी की सारी संपत्ति ट्रस्ट के नाम पर
200 करोड़ के मालिक कहे जा रहे भय्यूजी महाराज की अधिकांश संपत्ति ट्रस्ट के नाम पर है। उनकी निजी और पिता से प्राप्त संपत्ति की वारिस तो मां, पत्नी और बेटी ही हैं। ट्रस्ट की संपत्ति के बारे में पदाधिकारियों की बैठक में फैसला लिया जाएगा। सेवादार विनायक का कहना है कि भय्यूजी के परिवार के कहे मुताबिक वह काम करेगा।
महाराष्ट्र के कई शहरों में ट्रस्ट की संपत्ति
जानकारी के मुताबिक, इंदौर समेत महाराष्ट्र के कई शहरों में भय्यूजी की संपत्ति हैं जिनमें से ज्यादातर ट्रस्ट के नाम पर हैं। विनायक से पूछताछ में पता चला है कि भय्यूजी महाराज आर्थिक संकट से गुजर रहे थे। इस वजह से उन्होंने 20 लाख की ऑडी कार बेची थी और एक मस्टंग कार बेचने के लिए उन्होंने सेवादार विनायक से कहा था।