पटना । पूर्वांचल के लोगों का महापर्व छठ की शुरुआत आज से हो जाएगी। आज नहाय-खाय के साथ ही लोक आस्था का पर्व या कहें प्रकृति पर्व, सूर्योपासना के पर्व की शुरुआत हो जाएगी। चार दिनों तक चलने वाले इस महापर्व का समापन सोमवार सुबह उगते हुए सूर्य को अर्घ्य के साथ होगा। वैसे तो यह बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के लोगों का प्रमुख पर्व है, लेकिन समय के साथ दूसरे प्रदेश के लोग भी अब इस महापर्व को मनाने लगे हैं। खासकर दिल्ली और एनसीआर में देश के विभिन्न हिस्से के लोग एक साथ एक ही घाट पर यह पर्व करते देखे जा सकते हैं। इसके लिए यमुना नदी के किनारे और कॉलोनियों में घाट बनाने का काम लगभग पूरा हो चुका है।
छठ महापर्व वैसे तो नदी या तालाब में मनाया जाता है लेकिन कोरोना काल के बाद लोग अब अपनी-अपनी कॉलोनियों में ही मनाने को प्राथमिकता देने लगे हैं। दिल्ली-एनसीआर में इसके पीछे एक वजह यमुना नदी का पानी गंदा होना और यमुना में छठ को लेकर पाबंदी होना भी है। अखिल भारतीय मिथिला संघ के महासचिव और पुरानी सीमापुरी छठ पूजा आयोजन समिति से जुड़े विद्यानंद ठाकुर कहते हैं कि छठ महापर्व के आयोजन के लिए हमें सरकार से तो मदद मिलती ही है, इसके अलावा हम आपस में भी चंदा कर इसका सफल आयोजन करते रहे हैं। कोरोना काल के दो साल को छोड़ दें तो यह 23वां साल है जब हम सीमापुरी में छठ का आयोजन करेंगे। हां, कोरोना काल के बाद सरकार से मिलने वाली मदद जरूर कम हो गई है लेकिन लोगों की भीड़ यहां बढ़ गई है। सीमापुरी के आसपास के लोग अब यमुना में ना जाकर यहीं छठ मनाने आते हैं।
भैयादूज के बाद शुरू होती है तैयारी
छठ में कई तरह के प्रसाद चढ़ाए जाते हैं, जिनमें महत्वपूर्ण ठेकुआ होता है। ठेकुआ गेहूं के आंटे से बनता है। इसके लिए इसे पहले धोकर सुखाया जाता है और फिर इसे खुद से पीसा जाता है। हालांकि अब कई आटा चक्की वाले ऐसे भी हैं, जो चक्की को अच्छे से साफ कर विशेष रूप से छठ के प्रसाद की ही पिसाई करते हैं। लेकिन, अभी भी ज्यादातर व्रती खुद ही प्रसाद की पिसाई अपने घर में करते हैं। गेहूं को सुखाने के समय भी खास एहतियात बरतना पड़ता है। जैसे कि कोई पक्षी उसको झूठा ना कर दे। ऐसे में जब तक गेहूं सूखता है, किसी ना किसी को वहां मुश्तैद रहना पड़ता है। हालांकि प्रसाद बनाने की तैयारी भैयादूज के बाद शुरू होती है। जैसे कि नहाय खास से एक दिन पहले गेहूं को धोया जाता है। नहाय खाय के दिन यह सूख जाता है तो खरना वाले दिन सुबह इसे पीसा जाता है या फिर चक्की पर पिसवाया जाता है।
जानिए किस दिन क्या होगा
इस बार छठ पर्व
शुक्रवार: नहाय-खाय
शनिवार: खरना
रविवार: शाम का अर्घ्य
सोमवार: सुबह का अर्घ्य
अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने का समय
शाम: 5:26 बजे
उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने का समय
सुबह: 6:47 बजे
पूर्वांचल के लोगों का महापर्व छठ की शुरुआत आज से हो जाएगी। आज नहाय-खाय के साथ ही लोक आस्था का पर्व या कहें प्रकृति पर्व, सूर्योपासना के पर्व की शुरुआत हो जाएगी। चार दिनों तक चलने वाले इस महापर्व का समापन सोमवार सुबह उगते हुए सूर्य को अर्घ्य के साथ होगा। वैसे तो यह बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के लोगों का प्रमुख पर्व है, लेकिन समय के साथ दूसरे प्रदेश के लोग भी अब इस महापर्व को मनाने लगे हैं। खासकर दिल्ली और एनसीआर में देश के विभिन्न हिस्से के लोग एक साथ एक ही घाट पर यह पर्व करते देखे जा सकते हैं। इसके लिए यमुना नदी के किनारे और कॉलोनियों में घाट बनाने का काम लगभग पूरा हो चुका है।
छठ महापर्व वैसे तो नदी या तालाब में मनाया जाता है लेकिन कोरोना काल के बाद लोग अब अपनी-अपनी कॉलोनियों में ही मनाने को प्राथमिकता देने लगे हैं। दिल्ली-एनसीआर में इसके पीछे एक वजह यमुना नदी का पानी गंदा होना और यमुना में छठ को लेकर पाबंदी होना भी है। अखिल भारतीय मिथिला संघ के महासचिव और पुरानी सीमापुरी छठ पूजा आयोजन समिति से जुड़े विद्यानंद ठाकुर कहते हैं कि छठ महापर्व के आयोजन के लिए हमें सरकार से तो मदद मिलती ही है, इसके अलावा हम आपस में भी चंदा कर इसका सफल आयोजन करते रहे हैं। कोरोना काल के दो साल को छोड़ दें तो यह 23वां साल है जब हम सीमापुरी में छठ का आयोजन करेंगे। हां, कोरोना काल के बाद सरकार से मिलने वाली मदद जरूर कम हो गई है लेकिन लोगों की भीड़ यहां बढ़ गई है। सीमापुरी के आसपास के लोग अब यमुना में ना जाकर यहीं छठ मनाने आते हैं।
भैयादूज के बाद शुरू होती है तैयारी
छठ में कई तरह के प्रसाद चढ़ाए जाते हैं, जिनमें महत्वपूर्ण ठेकुआ होता है। ठेकुआ गेहूं के आंटे से बनता है। इसके लिए इसे पहले धोकर सुखाया जाता है और फिर इसे खुद से पीसा जाता है। हालांकि अब कई आटा चक्की वाले ऐसे भी हैं, जो चक्की को अच्छे से साफ कर विशेष रूप से छठ के प्रसाद की ही पिसाई करते हैं। लेकिन, अभी भी ज्यादातर व्रती खुद ही प्रसाद की पिसाई अपने घर में करते हैं। गेहूं को सुखाने के समय भी खास एहतियात बरतना पड़ता है। जैसे कि कोई पक्षी उसको झूठा ना कर दे। ऐसे में जब तक गेहूं सूखता है, किसी ना किसी को वहां मुश्तैद रहना पड़ता है। हालांकि प्रसाद बनाने की तैयारी भैयादूज के बाद शुरू होती है। जैसे कि नहाय खास से एक दिन पहले गेहूं को धोया जाता है। नहाय खाय के दिन यह सूख जाता है तो खरना वाले दिन सुबह इसे पीसा जाता है या फिर चक्की पर पिसवाया जाता है।
जानिए किस दिन क्या होगा
इस बार छठ पर्व
शुक्रवार: नहाय-खाय
शनिवार: खरना
रविवार: शाम का अर्घ्य
सोमवार: सुबह का अर्घ्य
अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने का समय
शाम: 5:26 बजे
उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने का समय
सुबह: 6:47 बजे
आज से दिखेगी बाज़ारों में भीड़
इस साल छठ पूजा में इस्तेमाल होने वाली कई चीजों के दाम बढ़े हैं। फल, गन्ना, हल्दी की गांठ समेत कई चीजें पिछले साल की अपेक्षा महंगी है। राकेश बताते हैं कि इस त्योहार को गांव में बेहतर तरीके से मनाया जाता है, लेकिन हर कोई परिवार के साथ गांव नहीं जा पाता। इसकी वजह से अब शहर में इसके प्रति आस्था बढ़ गई है। नहाय खाय आज यानी शुक्रवार से शुरू होगा, जिसकी वजह से आज बाजारों में अधिक लोग खरीदारी करेंगे।