औरत के पढ़ने से पूरा खानदान तालिम याफ्ता हो जाता है : जैनुल राशिद्दीन

भास्कर समाचार सेवा
मेरठ। अंजुमन तहरीक-ए-फिरोग उर्दू मेरठ की जानिब से सोमवार को भूमिया पुल स्थित अकबरी मैमोरियल स्कूल में सर सैयद-डेके अवसर पर एक मीटिंग का आयोजन किया गया। जिसकी सदारत नायब शहर काजी जैनुल राशिद्दीन ने की। संचालन हाजी शीराज रहमान ने किया। मीटिंग में शरीक वक्ताओं ने कहा, सर सैयद का जन्म 17 अक्टूबर 1817 को देहली में हुआ था। यह वह दौर था जब स्कूल व कालिज कम संख्या में होते थे। एएमयू उनकी ही कोशिशों की ही देन है, इसकी बुनियाद आप ने ही डाली थी, जिस में आज हिन्दू-मुस्लिम उच्च शिक्षा हासिल करके बड़े-बड़े ओहदों पर हैं। जिन इलाको में मुस्लिम पढ़े लिखे ज्यादा संख्या में है, वह ज्यादातर एएमयू के पढ़े हुए हैं। इंसान पैदायशी बड़ा नहीं होता, बल्कि वह अपने अच्छे कार्यों से बड़ा होता है, सर सैयद भी उनमें से एक थे। सर सैयद ने एएमयू को आॅक्सफोर्ड जैसी यूनिवर्सिटी के तरीकों पर कायम किया था। आपका कहना था, मशरिकी तहजीब के साथ मगरिबी तहजीब को भी हासिल करना चाहिये, ताकि हमारे अंदर पूरी दुनिया के साथ चलने की सलाहियत पैदा हो सके। सर सैयद ने कहा था, औरत के पढ़े जाने से उसका पूरा खानदान तालीम याफता हो जाता है। आज जरूरत इस बात की ही है कि सर सैयद के इस मिशन को आगे बढ़ाया जाये। कम्प्यूटर और साइंस का दौर है, हमें अपने बच्चों को उर्दू-हिन्दी-अरबी के साथ-साथ अंग्रेजी, गणित और टेक्निकल की शिक्षा जरूर दिलाए, यही सर सैयद का असली मिशन है। बैठक में साबिर खाँ, डा. नौशाद, सीमा जमीर, तबस्सुम, असमा, राशिद, रियासत अली एडवोकेट, मौलाना शाहनवाज, इमरान कुरैशी एडवोकेट आदि मौजूद रहें।

खबरें और भी हैं...

अपना शहर चुनें