समीकरण : चुनावी रथ पर सवार क्या प्रियंका रायबरेली व अमेठी में मां-भाई की नैय्या लगा पाएंगी पार !

नई दिल्ली। कांग्रेस के लिए प्रियंका गांधी टॉनिक साबित हो रही हैं। कांग्रेस के नेताओं को उम्मीद है कि वह उत्तर प्रदेश में पार्टी को अगले तीन-चार वर्षों में अपने पैरों पर खड़ा कर देंगी। पार्टी की रणनीति और योजना उसी के मद्देनजर बनी और लागू हो रही है। कांग्रेस अगर उत्तर प्रदेश में खड़ी हो गई तो देश में खड़ी हो जायेगी। इसी रणनीति के तहत कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने निडर होकर देश के सबसे शक्तिशाली सत्ताधारी पर सीधे हमला बोला है। अन्य दलों के नेताओं की तरह दायें-बायें की बजाय सीधा वार कर रहे हैं।

Related image

इस बारे में बीएचयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष व एआईसीसी सदस्य अनिल श्रीवास्तव का कहना है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पूरे देश का दौरा करके अपने भाषणों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को सीधा निशाना बना रहे हैं। उ.प्र. में प्रियंका गांधी ने मोर्चा संभाल लिया है। राहुल गांधी अति व्यस्तता के कारण सबसे नहीं मिल पा रहे हैं, सभी जगह नहीं पहुंच पायेंगे। वह कमी अब पार्टी महासिचव प्रियंका गांधी पूरा करने लगी हैं। इसका असर भी दिखने लगा है। इस बारे में उ.प्र. के पूर्व मंत्री व वरिष्ठ कांग्रेसी नेता सुरेन्द्र का कहना है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को अमेठी में और यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी को रायबरेली लोक सभा सीट से जिताने की इस बार भी जिम्मेदारी कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी पर ही है। वह बीते कई लोकसभा चुनाव से यह जिम्मेदारी निभाती आ रही हैं।

Image result for राहुल गांधी अमेठी

पहले वह कांग्रेस पार्टी ज्वाइन किये बिना यह काम करती रही हैं। अब पार्टी की महासचिव व पूर्वी उ.प्र. की प्रभारी की जिम्मेदारी के चलते भी यह कर रही हैं। इस बार वह पूरी तरह से राजनीति में उतर आई हैं। इसके कारण उनकी अपील का असर पहले से अधिक पड़ने लगा है। इसके चलते 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस अमेठी व रायबरेली दोनों ही सीटों से 2014 में मिले वोट से अधिक वोट से जीतने का माहौल बन गया है। 2014 के लोकसभा चुनाव में अमेठी संसदीय सीट पर राहुल गांधी को 4,08,651 वोट मिले थे। उन्होंने भाजपा उम्मीदवार स्मृति जुबिन ईरानी को 1,07,903 मतों से हराया था। रायबरेली संसदीय सीट से सोनिया गांधी को 5,26,434 वोट मिले थे। उन्होंने भाजपा के उम्मीदवार अजय अग्रवाल को 3,52,713 वोट से हराया था। पूर्व मंत्री सुरेन्द्र का कहना है कि भाजपा आज की तारीख में अपने चरम पर है। उसके दो नेता, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह अपनी क्षमता, साधन, सत्ता के चरम पर हैं। उनके दांव-पेंच से पार पाना सबके बस की बात नहीं है। उनसे, उनके हर दांव – पेंच, चाल की काट के लिए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी व महासचिव प्रियंका गांधी ने उनसे सीधे टकराने का रास्ता चुना है। इसका असर दिखने लगा है। भावनात्मक असर भी हो रहा है। जनता में संदेश जाने लगा है कि इन दोनों के पिता व दादी देश के लिए शहीद हो गये थे। उसके बाद ये दोनों खतरे में जिये ।

Image result for राहुल गांधी अमेठी

उस हालात में इनकी मां सोनिया ने पार्टी को किसी तरह से बचाया। उनके अध्यक्ष रहते कांग्रेस केन्द्र में 10 वर्ष तक शासन में रही। अब राहुल व प्रियंका ने कांग्रेस को बचाने की जिम्मेदारी संभाल ली है। इसके लिए जिस तरह से जूझ रहे हैं, उससे लगने लगा है कि अगले कुछ वर्ष में पार्टी खड़ी जायेगी। लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार नवेन्दु का कहना है कि प्रियंका गांधी का असर महिलाओं, ब्राह्मण , मुस्लिमों , दलितों में हो रहा है। उन्होंने (प्रियंका) प्रयाग से काशी तक मोटरबोट से जो गंगा यात्रा की, गांगा के किनारे के गांवों, मंदिरों में गईं, लोगों से मिलीं, उसका अच्छा संदेश उधर के गांवों की महिलाओं, बाह्मणों, मुसलमानों, मल्लाहों और दलितों में गया है। महिलायें मुरीद होती जा रही हैं। किसी अन्य दल के पास उस कद की महिला नेता नहीं है, जो इस तरह से प्रचार करे और गांव की महिलाओं, बच्चों से हिल-मिल कर जुड़ सके। राहुल गांधी में जो कमी है, उस कमी को कांग्रेस संगठन में प्रियंका गांधी ढंक रही हैं। यह उ.प्र. में दिखने लगा है।

Image result for सोनिया गांधी रायबरेली

उन्होंने पूरे उ.प्र. का इसी तरह से दौरा कर दिया , तो अन्य दलों के लिए परेशानी खड़ी हो जायेगी। यही वजह है कि प्रियंका से भाजपा, बसपा और सपा सब डरी हुई हैं। एआईसीसी सदस्य अनिल श्रीवास्तव का कहना है कि प्रियंका गांधी में माहौल बदलने का दम है। मिसाल के तौर पर 1999 के लोकसभा चुनाव के समय रायबरेली संसदीय क्षेत्र में उनके कहे का असर है। 1999 के लोकसभा चुनाव में रायबरेली से प्रमुख विपक्षी दल के उम्मीदवार अरुण नेहरू थे। कांग्रेस ने गांधी परिवार के विश्वासपात्र सतीश शर्मा को टिकट दिया था।को लगता था कि अरूण नेहरू सतीश शर्मा को हराकर चुनाव जीत जाएंगे, क्योंकि अरुण नेहरू पहले भी रायबरेली से लोक सभा चुनाव जीत चुके थे। लेकिन उस बार प्रियंका गांधी ने रायबरेली में कांग्रेस उम्मीदवार सतीश शर्मा के लिए भीड़ को संबोधित किया। उन्होंने एक ही वाक्य कहा, – “क्या आप लोग उस व्यक्ति को वोट देंगे, जिसने मेरे पिता की पीठ में छुरा भोंका था।” प्रियंका गांधी के इस वाक्य ने रायबरेली के पूरे राजनीतिक समीकरण को ही पलट कर रख दिया। माहौल बदल गया और कांग्रेस उम्मीदवार सतीश शर्मा चुनाव जीत गये।

Image result for सोनिया गांधी रायबरेली

यह मिसाल देते हुए एआईसीसी सदस्य अनिल श्रीवास्तव का कहना है कि प्रियंका गांधी अबकी लोकसभा चुनाव में भी अमेठी व राबरेली में भाजपा प्रत्याशियों के विरुद्ध कुछ उसी अंदाज में दिखेंगी, जिसके चलते पूरा माहौल बदल सकता है। अनिल का कहना है कि प्रियंका गांधी ने उ.प्र. में जिस चरण में जहां चुनाव होने वाला है, उस हिसाब से यात्रा व चुनाव प्रचार की योजना बना ली हैं। वह गंगा में नाव से यात्रा कीं। इसी तरह से रेल व बस से भी यात्रा करके अलग – अलग संसदीय क्षेत्रों में जायेंगी। वह उ.प्र. के उन सभी संसदीय क्षेत्र में जायेंगी, जहां से कांग्रेस उम्मीदवार चुनाव लड़ेंगे। वह प्रयाग व काशी एक बार हो लीं, अब अयोध्या, मथुरा और गोरखपुर जायेंगी। इस तरह वह पूरे प्रदेश में सघन प्रचार करके माहौल बनायेंगी । राहुल व प्रियंका की इस मेहनत और इससे पड़ने वाले असर के बारे में पूछने पर भाजपा किसान मोर्चा के अध्यक्ष व सांसद वीरेन्द्र सिंह का कहना है कि राहुल गांधी ने प्रयास तो उ.प्र. विधानसभा चुनाव में भी सपा नेता व तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के साथ मिलकर किया था। हालांकि उस समय कांग्रेस का जो हश्र हुआ, वह सबके सामने है। उस चुनावी दरिया में दोनों डूब गये। वही 2019 के लोकसभा चुनाव में भी होगा।

खबरें और भी हैं...

अपना शहर चुनें