नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एप्पल के एरिया सेल्स मैनेजर विवेक तिवारी मर्डर केस में हर रोज नया सच सामने आ रहा है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में दावा किया गया है कि विवेक को ऊपर से गोली मारी गई। आखिर उस रात का सच क्या है इसे समझने के लिए मीडिया ने मर्डर केस की इकलौती चश्मदीद सना से बात की।
सना ने बताया कि सड़क पर आखिरी एक घंटे में क्या हुआ
‘शुक्रवार रात आईफोन लांचिंग के बाद विवेक हमें घर छोड़ने जा रहे थे। रात करीब 1.15 बजे गोमतीनगर विस्तार में सरयू अपार्टमेंट के पास ही गाड़ी खड़ी कर हम बातचीत कर रहे थे। गाड़ी का शीशा खुला था। तभी बाइक सवार दो सिपाही पहुंचे। नाम-पता पूछा। वहां खड़े होने की वजह पूछी।
इसके बाद एक सिपाही गालियां देने लगा। विवेक ने इसका विरोध किया और गाड़ी पीछे कर निकलने लगे। तभी एक सिपाही ने डिवाइडर के पास से गोली मार दी।’ विवेक के साथ मौजूद रही एकमात्र चश्मदीद पूर्व सहकर्मी ने चुप्पी तोड़ते हुए वारदात की रात की कहानी सिलसिलेवार बयां की है।
पूर्व सहकर्मी के ने बताया कि वारदात वाली रात मेरी मुलाकात विवेक से हजरतगंज के श्रीराम टावर में रात नौ बजे हुई थी। वहां हमें एपल कंपनी के फोन लांचिंग कार्यक्रम में बुलाया गया था। पुरानी कर्मचारी होने के कारण पूर्व सहयोगियों के साथ बातचीत करते हुए काफी रात हो गई।
मेरे पास कोई साधन नहीं था, इसीलिए विवेक घर छोड़ने के लिए निकले। गोमतीनगर होते हुए हम घर की तरफ जा रहे थे। हम दोनों के बीच कई मुद्दों पर बातचीत हुई। बात करते हुए गोमतीनगर विस्तार के सरयू अपार्टमेंट के एक छोर पर विवेक ने गाड़ी रोक दी। उसने शीशा खोल दिया। इसके बाद बातचीत कर रहे थे।
पूर्व सहकर्मी के शब्दों में उस रात क्या और कैसे हुआ
विवेक की कार
पूर्व सहकर्मी के मुताबिक- इसी बीच बाइक से दो सिपाही पहुंचे। उन्होंने बाइक गाड़ी के सामने तिरछी खड़ी कर दी। पहले नाम-पता पूछा और वहां खड़े होने की वजह भी। विवेक ने लांचिंग से लेकर घर पहुंचाने तक की बात कही। इस पर नाराज होकर एक सिपाही ने गालियां देनी शुरू कर दी।
बचकर गाड़ी निकालते समय कार बाइक से टकराई और पिछला पहिया बाइक पर चढ़ गया। विवेक विवाद से बचने के लिए गाड़ी पीछे कर निकलने लगे। इसी बीच एक सिपाही गाड़ी की दाहिनी तरफ आ गया। उसे बचाते हुए गाड़ी निकालते समय बाइक से टकरा गई। बाइक सड़क पर गिरी। पिछला पहिया बाइक पर चढ़ गया था। इसलिए विवेक ने फिर गाड़ी पीछे की तो डिवाइडर से सिपाही ने गोली मार दी। गोली लगने के बाद विवेक खुद को अस्पताल की तरफ ले जाने के लिए तेजी से चले। कुछ दूर आगे जाने के बाद गाड़ी अंडरपास की दीवार से टकरा गई।
टारगेट कर दोनों हाथों से चलाई थी गोली
आरोपी पुलिसकर्मी प्रशांत चौधरी व उसकी पत्नी
पूर्व सहकर्मी के मुताबिक डिवाइडर पर चढ़े सिपाही ने गालियां देते हुए अपनी पिस्तौल निकाली थी। उसने दोनों हाथों से विवेक की तरफ टारगेट कर गोली चलाई। गोली विवेक के ठोढ़ी पर लगी, जबकि दूसरा सिपाही गाड़ी के बाएं तरफ खड़ा था। विवेक की गाड़ी से कोई सिपाही नहीं चोटिल नहीं हुआ था।
आधे से एक मिनट बाद टकराई गाड़ी
चश्मदीद के मुताबिक गोली लगने के बाद विवेक के चेहरे से काफी तेजी से खून निकलने लगा। घायल होने के बाद विवेक गाड़ी को तेज रफ्तार से अस्पताल की तरफ जाने लगे। वह गोली लगने के बाद करीब आधे से एक मिनट तक होश में थे। इसी दौरान गाड़ी खरगापुर अंडरपास की दीवार से टकरा गई।
पुलिस कंट्रोल रूम को नहीं दी सूचना
पुलिस की बाइक
पूर्व सहकर्मी ने बताया, मेरा मोबाइल घर पर ही छूट गया था। विवेक के मोबाइल पर कोड लॉक लगा था, जिसके कारण उसे खोल नहीं सकी। सहायता मांगने के लिए सड़क पर खड़ी होकर चीख रही थी। लेकिन कोई मदद करने के लिए नहीं रुका। करीब 15 मिनट बाद पुलिस की एक जीप आई जिसे दूर से देखकर रोका। करीब पहुंचने के बाद पुलिस की गाड़ी रुक गई। इसके बाद दरोगा व अन्य पुलिसकर्मियों ने घायल विवेक को गाड़ी से बाहर निकाला।
एंबुलेंस नहीं पहुंची तो जीप से ले गए अस्पताल
एंबुलेंस को कॉल की, लेकिन वह समय से नहीं पहुंची। काफी देर हो रही थी। इस पर हमने पुलिस वालों को जल्दी से गाड़ी से ही ले चलने को कहा। पुलिस वालों ने बेहोश विवेक को पीछे सिपाहियों के पास लिटा दिया। इसके बाद राम मनोहर लोहिया अस्पताल लेकर गये। इस दौरान करीब 30 से 45 मिनट का समय लग गया। अस्पताल में डॉक्टरों ने इलाज शुरू किया। ईसीजी कराई। इस दौरान डॉक्टर से पूछा तो जिंदा होने की पुष्टि की। करीब पांच मिनट बाद डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
झूठ बोलकर पुलिस ले गई कैसरबाग थाना
अस्पताल पहुंचाने वाली पुलिस टीम ने विवेक की मौत होने के बाद मुझसे काफी देर तक पूछताछ की। इसके बाद गाड़ी में बैठाकर उसे घर छोड़ने की बात कही। लेकिन गाड़ी गोमतीनगर की तरफ न ले जाकर दूसरी तरफ ले जाने लगे। आपत्ति की तो पुलिस वालों ने बताया कि गाड़ी में तेल खत्म हो रहा है। तेल भरवाने के बाद छोड़ देंगे। इसके बाद गाड़ी सीधे कैसरबाग कोतवाली पहुंची। वहां मुझसे काफी देर तक पूछताछ की गई। फिर गोमतीनगर थाने ले जाने की तैयारी शुरू हुई। इस पर जीप में महिला सिपाही न होने पर आपत्ति की। कुछ देर बाद उसे महिला सिपाही के साथ गाड़ी में बैठाकर गोमतीनगर थाने ले जाया गया। वहां महिला सम्मान कक्ष और फिर प्रभारी निरीक्षक के कमरे में बारी-बारी से कई अधिकारियों ने पूछताछ की।
विवेक को बचाने और चोट देखने में खून से सने कपड़े
चश्मदीद के मुताबिक जब गाड़ी अंडरपास की दीवार से टकराई और विवेक बेहोश हो गए। उनके चेहरे से खून निकल रहा था। उन्हें होश में लाने की कोशिश की। इस दौरान कपड़ों पर खून लगे। वहीं पुलिस के साथ विवेक को गाड़ी से निकलवाने के दौरान पूरा कपड़ा खून से सन गया था।
आज भी नजरों के सामने घूम रहा वो दहशतगर्दी का मंजर
पूर्व सहयोगी के मुताबिक वारदात के तीन दिन बीत गए। लेकिन मेरे जेहन से सिपाहियों की दहशतगर्दी खत्म नहीं हो रही है। शुक्रवार रात की पूरी वारदात सिलसिलेवार मेरे आंखों के सामने घूम रहा है। उस दिन से आज तक नहीं सो सकी हूं। हर वक्त सिपाही का गोली मारते हुए और विवेक का खून से लथपथ चेहरा मेरे आंखों के सामने आ जाता है। उस पल को याद कर कांप जा रही हूं। हर बार यही सोच रहीं हूं कि क्या यही पुलिस हमारी रक्षा करती है।