दैनिक भास्कर ब्यूरो
फतेहपुर । शिवम हत्याकांड खुलासे को लेकर पुलिस की किरकरी हो रही है। ब्लाइंड मर्डर में पुलिस ने दो महीने में लगभग आधा सैकड़ा संदिग्धों से पूछताछ की। आरोप है कि अहम साक्ष्य न मिलने पर फजीहत से बचने के लिए थरियांव पुलिस फर्जी खुलासा कर वाहवाही भले ही लूट रही हो मगर क्षेत्र में खुलासे को लेकर पुलिस सुर्खियों में है। हत्याकांड में चर्चित कबाड़ी को पहले पुलिस ने मुजरिम बना दिया बाद में अचानक फाइनल रिपोर्ट में उसे बचा दिया। जबकि दिवंगत की मां द्वारा दी गई तहरीर में उसका नाम तक नहीं था। पुलिस ने मीडिया से बातचीत में भी खुलासे के एक दिन पहले तक कबाड़ी दईला उर्फ रामदयाल को मुख्य आरोपी बताया किंतु फाइनल रिपोर्ट में कबाड़ी को बचा दिया।
ब्लाइंड मर्डर के खुलासे में पुलिस की हो रही किरकिरी
अचानक चार लोगों को जेल भेजना किसी के गले से नही उतर रहा है। पूर्व प्रधान प्रतिनिधि विक्रम सिंह लोधी, सचिन लोधी, पारसनाथ और पेट्रोल सिंह के परिजनों ने बताया कि जेल में मुलाकात करने के बाद पारसनाथ ने बताया कि पुलिस ने दबाव बनाकर अन्य तीनों के खिलाफ गवाह बनाया है। जबकि घटना में उन लोगो का कोई दोष नही है। अहम बात यह भी है कि यदि पुलिस ने महिला द्वारा तहरीर के आधार पर केस दर्ज किया है तो फिर तहरीर में आने वाले दो नामों को क्यों बाहर कर दिया गया जिस कारण पुलिस अपनी बनााई कहानी में ही घिरती नजर आ रही है। जांच अधिकारी प्रभारी आशुतोष कुमार सिंह ने कई बार बताया कि महिला द्वारा राजनीतिक द्वेष भावना के चलते तहरीर दी गई है।
ग्रामीणों ने डीएम से की पुनः जांच कराए जाने की मांग
जांच में कोई दोषी नहीं पाया गया है फिर पुलिस को कैसे साक्ष्य मिल गए कि निर्दोषों को जेल भेजना पड़ा। दिवंगत के नाना ने बताया कि हासिमपुर निवासी एक व्यक्ति ने शराब पिलाकर बताया कि वह जानता है कि किसने शिवम की हत्या की थी लेकिन सूचना के बाद भी पुलिस ने उसे गिरफ्तार नही किया है और तबसे वह फरार चल रहा है। उधर खुलासे को फर्जी बताते हुए आधा सैकड़ा लोग डीएम व कैबिनेट मंत्री राकेश सचान से मिले हैं। जिन्हें पुनः जांच करने का आश्वासन मिला है। इस बाबत सीओ थरियांव दिनेशचन्द्र मिश्र ने कहा कि खुलासे के दौरान वह बाहर थे उन्हें तथ्यों की जानकारी नहीं है केस डायरी देखकर ही कुछ कह पाएंगे।