फतेहपुर : मरते हुए मरीजों से भी इमरजेंसी में होती है वसूली

दैनिक भास्कर ब्यूरो,

फतेहपुर । जिला चिकित्सालय का ट्रामा सेंटर गंभीर मरीजों को तात्कालिक लाभ देने के लिए बना था। जनपद में मेडिकल कॉलेज आने के बाद एक से एक बेहतर डॉक्टर ( स्पेशलिस्ट ) तैनात हैं मगर स्वास्थ्य सेवाओं का सही लाभ मरीजों को नहीं मिल पा रहा है। इमरजेंसी में अगर आपका जुगाड़ या अलग से देने को कुछ नहीं है तो डॉक्टर रिफर का पर्चा तत्काल बना देते हैं। इमरजेंसी का रिकार्ड अगर उठा कर देखा जाए तो सत्तर फीसदी मरीज रिफर ही मिलेंगे। मतलब क्रिटिकल मरीजों को हैंडल कर पाने में आज भी फतेहपुर का अस्पताल बहुत पीछे है या फिर यह कहें कि डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मी करना नहीं चाहते। असल मे सरकारी अस्पतालों में तैनात अधिकतर डॉक्टर या तो बाहर ओपीडी कर रहे हैं या किसी न किसी अस्पताल में सर्जरी। ऐसे में उनका ध्यान सरकारी से अधिक प्राइवेट में लगा रहता है।

वहीं इमरजेंसी में एक इंजेक्शन अधिकतर मरीजों को लिखा जाता है जिसकी कीमत 500 के करीब है। 15 से 20 रुपये की लागत का ये इंजेक्शन अधिकतर मरीजों के परिजनों को लिख दिया जाता है कहा जाता है कि जल्दी लाओ यह बाहर ही मिलेगा, मरीज की हालत सुधारने के लिए आवश्यक है। गंभीर मरीज के साथ आया गरीब से गरीब परिवार का ब्यक्ति अपने मरीज को बचाने के लिए इस इंजेक्शन को खरीद कर लाता है। ऐसी कई चीजें और भी बाहर से मंगवाई जाती हैं जिनमे कमीशन ज्यादा है। कई सामान तो मंगवाकर बाद में बेच दिया जाता है।

ऐसा ही वाकया इमरजेंसी से रविवार को सामने आया जब खागा कोतवाली क्षेत्र के खैराई से महरूफ को फॉलिस अटैक के मामले में परिजन इमरजेंसी फतेहपुर लेकर आये। उन्हें मरीज की जान का खतरा बताकर एक इंजेक्शन बाहर के मेडिकल स्टोर से लाने को लिखा गया जिसकी कीमत 490 थी। महिला ने बताया कि इमरजेंसी से एक पर्ची दी गई थी मरीज गंभीर था इसलिए मजबूरन लेकर आये। बाद में मामला सोशल मीडिया की सुर्खियां बना तो मरीज को गंभीर बताकर कानपुर हैलट के लिए रिफर कर दिया गया।

आपको बता दें कि जिला अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाएं पूर्णतः निःशुल्क हैं करोड़ों रुपये की दवाओं सहित ऑपरेशन में लगने वाला सामान भी सरकार द्वारा उपलब्ध करवाया जाता है मगर जिला चिकित्सालय में प्राइवेट लड़कों को लगाकर कई डॉक्टर सर्जरी के नाम पर वसूली करते हैं कई डॉक्टरों के गुर्गे सीधी वसूली न कर ऑपरेशन में लगने वाला सामान अस्पताल में नहीं आता कहकर, बाहर से मंगवा लेते हैं।

इमरजेंसी में तो आये दिन ऐसे मामले सामने आते हैं मगर देखने सुनने वाला कोई नहीं है। ऐसे में सरकार की मंशा पर जिला अस्पताल के कई डॉक्टर पानी फेर रहे हैं। स्वास्थ्य के उच्चाधिकारी भी स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर गंभीर नहीं हैं। इस बाबत सीएमएस के सरकारी नम्बर पर फोन किया गया मगर उनसे बात नही हो सकी।

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