योग धर्म सर्वोपरि, व्यष्टि से समष्टि तक की यात्रा है योग-स्वामी रामदेव
अब योग की परीक्षा नहीं, योग का आचरण होना चाहिए-आचार्य बालकृष्ण
सुनील शर्मा
हरिद्वार। पतंजलि योगपीठ में सातवां अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस उत्साह पूर्वक मनाया गया। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर स्वामी रामदेव तथा आचार्य बालकृष्ण सान्निध्य में पतंजलि योगपीठ फेज दो स्थित योगभवन सभागार में चारों वेद, उपनिषद्, दर्शन तथा श्रीमद्भगवतगीता की पावन ऋचाओं के वाचन के मध्य योग का शंखनाद करते हुए स्वामी रामदेव ने स्वस्थ जीवन व निरोगी काया की प्राप्ति के लिए योग को एकमात्र साधन बताया। योग साधकों को संबोधित करते हुए स्वामी रामदेव ने कहा कि व्यष्टि से समष्टि तक की यात्रा है योग। कार्यक्रम की शुरूआत यौगिक स्केटिंग, यौगिक जिम्नास्टिक, मल्लखम्भ, मल्लयुद्ध, यौगिक मुद्राओं और झांकियों के साथ हुई। इस अवसर पर स्वामी रामदेव ने कहा कि आज के इस युग में योग धर्म सर्वोपरि है, योगधर्म ही युग धर्म, राष्ट्र धर्म, सेवा धर्म, मानव धर्म, अध्यात्म धर्म तथा भागवत धर्म है। योग में ही हमारी शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, भावनात्मक, धार्मिक तथा आध्यात्मिक सभी सभी प्रकार की समस्याओं का समाधान है। योग फॉर हेल्थ, योग फॉर वैलनेस, योग फॉर पीस, योग फॉर हार्मोनी ये योग के विभिन्न आयाम है। योग एक ब्रह्मास्त्र है, जिससे हम अपने शरीरबल, मनोबल, आत्मबल को प्रबल करके अपने जीवन का निर्माण करते हुए अंत मे निर्वाण मोक्ष को प्राप्त होते हैं। स्वामी रामदेव ने आह्नान किया कि मात्र एक दिन के लिए नहीं बल्कि प्रतिदिन योग करने का संकल्प लें। योगमय जीवन के माध्यम से योगवृत्ति, यज्ञवृत्ति, आयुर्वेदवृत्ति, प्राकृर्तिकवृत्ति, स्वदेशिवृत्ति, राष्ट्रवृत्ति, अध्यात्मवृत्ति बनकर राष्ट्र के लिए उपयोगी बनें। वैयत्तिफक, पारिवारिक, सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, धार्मिक, आध्यात्मिक, जीवन के हर संदर्भ में हमें एक समग्र दृष्टि रखनी है, संतुलित, न्यायपूर्ण, प्रीतिपूर्ण दृष्टि रखनी है। वेद, शास्त्र तथा हमारे पूर्वज भी हमें यही दृष्टि प्रदान करते हैं।
इस अवसर पर आचार्य बालकृष्ण महाराज ने योग साधकों को सम्बोधित करते हुए कहा कि वर्तमान युग में योग की उद्गम स्थली पतंजलि योगपीठ तथा उद्गम पुरुष स्वामी रामदेव महाराज हैं। उन्होंने कहा कि योग को विविध तरह से किया जा सकता है, उसके विविध अंग तथा आयाम हैं। योग के द्वारा विविध व्याधियों को नष्ट किया जा सकता है। स्वयं प्रधानमंत्री ने कहा है कि योग ने आम जनता की नहीं चिकित्सकों के जीवन की रक्षा करने में बड़ा योगदान दिया है। यह निर्विवाद है कि योग में अपार शक्ति है। हम सबको उस शक्ति को पहचानकर जितना जल्दी हो सके योग से जुड़कर दुनिया को रोगमुक्त करते हुए हिंसा से बचाने का कार्य करना है। जिसके जीवन में सरलता है, सत्यता है, अहिंसा है वह संसार में भी उन्हीं चीजों को लेकर जाएगा। आज संसार को सुंदर बनाने के लिए पूरे विश्व में विविध तरह के उपाय किए जा रहे हैं पर योग उपाय है व्यक्ति को सुंदर बनाने का। जब व्यक्ति-व्यक्ति का निर्माण होगा, तो विश्व का निर्माण स्वतः होगा। सब मिलकर योग को आत्मसात करते हुए दुनिया के प्रत्येक व्यक्ति तक योग को पहुँचाने का संकल्प लें। जैसे प्रधानमंत्री के प्रयास से योग 200 देशों में पहुँचा है, वैसे ही स्वामी रामदेव के प्रयास से 200 देशों में पतंजलि से जुड़े भाई-बहन योग का कार्यक्रम संचालित कर रहे हैं। कहा कि कोरोना काल की विषम परिस्थितियों ने दिखाया है कि योग में कितनी शक्ति, ताकत व दम है। अब योग की परीक्षा नहीं, योग का आचरण होना चाहिए, योग का जीवन में आत्मसात होना चाहिए। हम योगी बनेंगे, तो निरोगी रहेंगे। जितना हम निरोगी होंगे उतना ही देश व समाज के लिए उपयोगी व उपकारी सिद्ध होंगे।
इस दौरान उपस्थित योग साधकों को विभिन्न आसनों व कपालभाति, अनुलोम-विलोम, शीतली तथा भ्रामरी आदि प्राणायाम का अभ्यास व ध्यान, संकल्प कराया गया। इस अवसर पर पतंजलि योगसूत्र आधारित एक वेबसाइट का लोकार्पण आचार्य बालकृष्ण महाराज के कर-कमलों द्वारा किया गया। वेबसाइट के माध्यम से एक साथ पाँच भाषाओं हिंदी, संस्कृत, जर्मन, फ्रैंच तथा अंग्रेजी में योगसूत्र उपलब्ध होंगे। इस कार्य में स्वामी विदेहदेव का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। स्वामी रामदेव महाराज ने साध्वी देवप्रिया, डा.जयदीप आर्य, राकेश कुमार, सभी राज्य प्रभारी, युवा प्रभारी, सोशल मीडिया प्रभारी, सातों संगठनों के प्रभारी, रामाशीष, सचिन, विनोद आदि का संगठन के प्रति पुरुषार्थ के लिए अभिनंदन किया।