पश्चिम बंगाल में अक्षय तृतीया पर होगा जगन्नाथ मंदिर का उद्घाटन: ममता बनर्जी ने दान किए 5 लाख रुपये

बुधवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दिघा में निर्माणाधीन जगन्नाथ मंदिर का दौरा किया। उन्होंने कहा कि अक्षय तृतीया के दिन जगन्नाथ मंदिर का उद्घाटन होगा। उन्होंने कहा कि इस मंदिर से दिघा को एक नए तीर्थस्थल के रूप में पहचान मिलेगी। उन्होंने बताया कि मंदिर का निर्माण पुरी के जगन्नाथ मंदिर की तर्ज पर किया गया है लेकिन यह पूरी तरह से आधुनिक सुविधाओं से युक्त होगा।

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि हमने तीन साल पहले समुद्रतट पर जगन्नाथ मंदिर बनाने का निर्णय लिया था। अब इसका काम पूरा हो गया है। मैं इस मंदिर के लिए अपनी व्यक्तिगत खाते से पांच लाख रुपये दान कर रही हूं, जिससे रथयात्रा के लिए स्वर्ण झाड़ू बनवाई जाएगी।

इस मंदिर का निर्माण 22 एकड़ भूमि पर किया गया है और इसके निर्माण में लगभग 250 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। इसमें भोग बनाने का अलग से स्थान, स्टोर रूम, गेस्ट रूम और स्वयं सहायता समूह की महिलाओं के लिए व्यापार की सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी।

मंदिर के प्रबंधन के लिए एक ट्रस्ट का गठन किया गया है। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि वह इस ट्रस्ट की सदस्य नहीं हैं। ट्रस्ट का नेतृत्व मुख्य सचिव करेंगे। इसके अन्य सदस्य पूर्व मेदिनीपुर के जिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक, इस्कॉन और सनातन धर्म के प्रतिनिधि तथा मंदिर के पुजारी होंगे।

मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि इस मंदिर से पहली बार रथयात्रा शुरू होगी। उन्होंने कहा कि पुरी की तरह यहां भी ध्वजा फहराने की परंपरा होगी। दिघा का यह मंदिर बंगाल के समुद्रतट पर एक प्रमुख तीर्थस्थल के रूप में उभरेगा।

मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वार का नाम ‘चैतन्य द्वार’ रखा गया है। मुख्यमंत्री ने बताया कि इस स्थान का उपयोग धार्मिक और सांस्कृतिक उद्देश्यों के लिए किया जाएगा। यहां पुलिस पोस्ट, रथ रखने का स्थान और पुजारियों के लिए अतिथि निवास भी बनाए जाएंगे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं यहां किसी भी प्रकार का राजनीतिक हस्तक्षेप नहीं चाहती। यह स्थान पूरी तरह धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों के लिए समर्पित रहेगा।

मुख्यमंत्री ने इस परियोजना को सफल बनाने के लिए हिडको को धन्यवाद दिया। उन्होंने उम्मीद जताई कि यह मंदिर आने वाले हजारों वर्षों तक दिघा को एक प्रमुख तीर्थस्थल के रूप में स्थापित करेगा।

दिघा का जगन्नाथ मंदिर अब श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए एक नया आकर्षण केंद्र बनेगा, जो बंगाल के धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को और समृद्ध करेगा।

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