कानपुर : मुखौटा कम्पनियों के सहारे करोड़ों रूपयों की हेराफेरी

कानपुर। शहर के सबसे बड़े कारपोरेट घराने में पड़ी आयकर विभाग की छापेमारी समाचार लिखे जाने तक छापेमारी चल रही थी। इस बीच सौ करोड़ के आसपास का फर्जीवाड़ा सामने आया है। जिसमें कई मुखौटा कम्पनियों से लोन दिखाकर करोड़ों रूपयों को इधर से उधर किया गया। अभी तक तीन किलो सोना, तीन करोड़ कैश समेत कई दस्तोजव मिले है। इसके अलावा अन्य शहरों में चल रही छापेमारी में क्या कुछ मिला इसकी जानकारी नहीं मिली है।

शहर के सबसे बड़े कारपोरेट घराने मयूर ग्रुप में गुरूवार की सुबह आयकर विभाग की 35 टीमों ने एक साथ कानपुर समेत अन्य जिलों में छापेमारी की थी। शुक्रवार को भी छापेमारी चलती रही। करीब पचास से ज्यादा अफसरों की टीम ने मयूर वनस्पति के मालिक मनोज गुप्ता, उनके भाई के एमरॉल्ड  हाउस से करोड़ों की नकदी बरामद की है। आयकर विभाग के सूत्रों की माने तो अभी एमरॉल्ड स्थित बंगले की कीमत की करीब पचास करोड़ के आसपास है साथ ही घर में दो खुफिया कमरे भी मिले जिनमें सोना और कैश समेत दस्तावेज रखेथे। ये कमरे एक शीशे के पीछे छुपाये गये थे।

अफसरों ने शीशे को दबाया तो पीछे की तरफ लगा बटन दबते ही साइड से लाइट जलने लगी शीशों को सरकाया तो अफसरों के होश उड़ गये। फिल्म रेड की तरह ही खुफिया रूप से बनाये गये कमरे में करोड़ों का सोना और कैश मिला। सूत्रों के अनुसार छापेमारी में कानपुर समेत कई जिलों और प्रदेश में अरबों रूपये की प्रापर्टी में धन लगाये जाने की बात सामने आयी है। जबिक कम्पनी का टर्न ओवर सौ करोड़ महिने का बताया जा रहा है। बता दे कि जो सोना, जेवरात और हीरे बरामद हुए उसका कनेक्शन कुछ माह पूर्व पकड़े गये बुलियन कारोबारी संजीव अग्रवाल से जुड़ रहे है। सूत्रों की माने कई सर्राफा और बुलियन कारोबारियों को राडार पर लेने के बाद ही मयूर ग्रुप में बड़े पैमाने पर आयकर समेत कई मनी लॉन्ड्रिंग की जानकारी मिली थी।

फिल्म रेड की तर्ज पर बना रखे है खुफिया कमरे –

वनस्पति कारोबारी मयूर ग्रुप के यहां छापेमारी में सौ करोड़ की आयकर चोरी की बात चर्चा में रही। करोड़ों का कैश, सोना, जेवर, हीरे मिले है जबकि कम्पनी पर पच्चीस करोड़ का कर्ज होने की सामने आयी है। लेकिन जो दस्तावेज आयकर विभाग के हाथ लगे है उनमें जिस कम्पनी से कर्ज लिया गया वह वजूद में ही नहीं है हालाकिं मामले की जांच जारी है लेकिन अगर ऐसा हुआ तो मयूर ग्रुप की मुशिकले और बढ़ेगी क्योंकि मुखौटा कम्पनियां बनाकर घर का पैसा घर में लगाकर पैसों को ठीक उसी तरह घुमाया जा रहा है जैसे हर्षद मेहता ने शेयर मार्केट में बैंकों का पैसा लगाया था।

ये अपने आप में बड़ा अपराध होगा जिसमें इस ग्रुप के निदेशकों की गिरफ्तारी भी हो सकती है। फिलहाल तो रियल स्टेट समेत जिन कम्पनियों में पैसा लगाया गया और जिनसे कर्ज लिया गया उसकी जांच ईडी भी कर सकता है।

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