
Economic Crisis: श्रीलंका इस समय गहरे आर्थिक संकट से जूझ रहा है। आर्थिक संकट के कारण श्रीलंका में लोगों को बुनियादी चीजों के मशक्कत करनी पड़ रही है। हालात सुधारने के लिए सरकार ने आपातकाल की घोषणा की। एक माह में दो बार इमरजेंसी लगाए जाने के बाद भी जब स्थितियों में सुधार नहीं हुआ तो विपक्षी प्रदर्शनकारियों की मांग पर प्रधानमंत्री महिंद्रा राजपक्षे को इस्तीफा देना पड़ा। जिसके बाद देश में हिंसा शुरू हो गई। सरकार समर्थक और विरोधी प्रदर्शनकारी सामने आ गए। करीब एक दर्जन मंत्रियों को घर फूंक दिया गया। हिंसा में 8 लोगों की मौत हो गई जबकि 250 से अधिक लोग घायल हो गए।
इस आर्थिक संकट के कारण श्रीलंका में आम लोगों के लिए स्थितियां बहुत बुरी हो गई है। बुनियादी सामान के लिए लोगों को घंटों तक लाइन में लगना पड़ रहा है और वो भी उनको एक सीमित मात्रा में मिल रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि ब्रेड के दाम दोगुने हो गए हैं, जबकि ऑटो रिक्शा और टैक्सी चालकों का कहना है कि सीमित मात्रा में मिल रहा ईंधन बहुत कम है। श्रीलंका अभी जिन हालातों से गुजर रहा है, वैसी स्थितियों का सामना दुनिया के और देशों को भी करना पड़ा है। यहां पढ़िए इससे पहले दुनिया के किन देशों ने श्रीलंका जैसे हालातों का सामना करना पड़ा था।
2017 में वेनेजुएला में आया था आर्थिक संकट, नोट हो गए थे कबाड़
साल 2017 में वेनेजुएला में आर्थिक संकट आया था। तब सरकार के साथ-साथ वेनेजुएला के लोगों की स्थिति खराब हो गई थी। उस समय वहां का नोट कबाड़ हो गया था। स्थितियां इतनी बुरी हो गई थी कि एक लीटर दूध के लिए लोगों को 80 हजार रुपए तक चुकाने पर रहे थे। राशन के सामान के लिए लोगों को बोरियों में भरकर पैसे ले जाना पड़ रहा था। हालांकि अब वहां की स्थिति सही हो गई है।
2020 में अर्जेंटीना में आया था आर्थिक संकट
2020 में दक्षिण अमेरिकी देश अर्जेंटीना ने भी ऐसे ही हालातों का सामना किया था। तब देश में इस कदर कंगाली छाई थी कि बैंकों ने कर्ज वापसी से मना कर दिया था। उस समय विदेशी निवेशकों ने देश में 1.3 अरब डॉलर का निवेश किया था। कंगाली के समय में निवेशक अपने बॉन्ड की कीमत मांग रहे थे।
2021 में ग्रीस में आर्थिक संकट से छा गई थी भुखमरी
2021 में ग्रीस ने अपनी मुद्रा को हटाकर युरो को अपना लिया था। जिसके बाद वहां आर्थिक संकट आ गया था। कंगाली के उस दौर में बड़ी संख्या में लोग बेरोजगार हुए। लोगों को भुखमरी का सामना करना पड़ा था। इससे पहले ग्रीस में 2004 और 2008 में भी ऐसी ही स्थिति बनी थी। धीरे-धीरे ग्रीस अपने-आप को इस संकट से उबार सका।
मेक्सिको में 1994 में बिगड़ थे हालत
1994 में मेक्सिको को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा। इससे निपटने के लिए मेक्सिको ने अपनी मुद्रा का अवमूल्यन भी किया। लेकिन इससे ही स्थितियां सुधरी नहीं थी। इस कंगला के दौर में बड़ी संख्या में लोगों की नौकरियां गई। मेक्सिको को 80 अरब डॉलर का कर्ज तक लेना पड़ा। बाद में कुछ देशों की मदद से मेक्सिको इस संकट से उबरा।
रूस-अमरीका जैसे अमीर देशों में भी छाई थी कंगाली
रूस-अमरीका जैसे अमीर और बड़े देशों को भी आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा है। 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद रूस की स्थितियां खराब होनी शुरू हुई थी। 1998 में देश में दिवलियापन की स्थिति आई। 1840 में अमरीका के कई राज्यों को कंगाली का सामना करना पड़ा। उस समय 80 मिलियन तक कर्ज लेकर सरकार ने नहर निर्माण के साथ-साथ कई बड़े प्रोजेक्ट शुरू किए। जिसके बाद अमरीका के 19 राज्यों में आर्थिक संकट गहरा गया था।
2008 में आइसलैंड को झेलनी पड़ी थी मुसीबत
2008 में आइसलैंड के तीन बैंकों ने 85 बिलियन डॉलर का कर्ज लिया था। जिसके बाद पूरे देश को आर्थिक संकट करना पड़ा था। लोगों के रोजगार छिन गए थे। बैंकों से लिए कर्ज चुकाने में लोगों को परेशानी झेलनी पड़ी थी। 2013 तक आइसलैंड के हालात धीरे-धीरे ठीक हुए। 50 हजार से अधिक लोगों की सेविंग खत्म हो गई, दूसरी ओर रोजगार का संकट अलग से खड़ा हो गया।