विटिलिगो “वारियर्स” का संदेश…त्वचा के रंग तक सीमित नहीं सुंदरता

अनोखे फैशन शो में मॉडल नहीं रैंप पर वाक करते दिखे विटिलिगो वारियर्स

नई दिल्ली। आमतौर पर डाक्टर रोगियों का उपचार तो करते हैं लेकिन उनका उत्साहवर्धन नहीं कर पाते। नतीजा यह होता है कि मर्ज ठीक होने के बावजूद रोगियों में वह आत्मविश्वास पैदा नहीं हो पाता है जो बीमारी से पहले होता था। विटिलिगो यानी सफेद दाग के रोगियों के मामले में तो यह बात और भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह बीमारी लोगों की सुंदरता को प्रभावित करती है। लेकिन राजधानी में शुक्रवार की शाम को एक अनोखा फैशन शो आयोजित किया गया जिसमें विटिलिगो रोगियों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। यहाँ जुटे वारियर्स ने समाज की कुरीतियों के खिलाफ अपनी आवाज़ को बुलंद किया।


नई दिल्ली स्थित कांस्टीट्यूशन क्लब में विटिलिगो वाइकिंग्स 3.0 का यह आयोजन अनोखा था जिसमें सैकड़ों विटिलिगो वारियर्स ने हिस्सा लिया। इसका उद्देश्य विटिलिगो प्रभावितों के सशक्तिकरण, उनमें आत्मविश्वास पैदा करना तथा उन्हें खुश रहने के लिए प्रेरित करना था। इसका आयोजन एमिल हेल्थकेयर एंड रिसर्च सेंटर की तरफ से किया गया।

इस मौके पर एमिल हेल्थकेयर एंड रिसर्च सेंटर की प्रबंध निदेशक डा. नितिका कोहली ने कहा कि यह कार्यक्रम एक फैशन शो से बढ़कर है क्योंकि यह सौंदर्य के मापदंडो को नये सिरे से परिभाषित करता है। इस शो में हिस्सा लेकर विटिलिगो वारियर्स ने यह साबित किया है कि सुंदरता सिर्फ त्वचा के रंग तक सीमित नहीं है।


इस विटिलिगो वारियर्स ने अनुभवी मॉडलों की तरफ आत्मविश्वास के साथ रैंप वॉक में हिस्सा लिया।
दरअसल एमिल हेल्थकेयर एंड रिसर्च सेंटर सफेद दाग समेत विभिन्न गंभीर बीमारियों के उपचार और नई दवाओं के अनुसंधान को लेकर कार्य कर रहा है। यह विशेषज्ञता वाला केंद्र है जो देश के 34 शहरों में अपनी सेवाएं प्रदान कर रहा है। अब तक दो लाख से अधिक मरीजों का इलाज किया जा चुका है।
विटिलिगो में शरीर की पिगमेंट कोशिकाओं के खिलाफ एंटीबाडीज विकसित हो जाती हैं। ये कोशिकाएं त्वचा के रंग के लिए जिम्मेदार होती हैं। एंटीबाडीज विकसित होने से पिगमेंट कोशिकाएं निष्क्रिय होने लगती हैं तथा त्वचा अपना वास्तविक रंग खोने लगती है। त्वचा का रंग खोने के अलावा प्रभावित व्यक्ति को और कोई नुकसान नहीं होता है तथा वह पूरी तरह से स्वस्थ्य रहता है। लेकिन सामाजिक भेदभाव के चलते लोग इस बीमारी को छुपाते हैं तथा इसे गंभीर मानते हैं। इसलिए इस सोच को बदले जाने की जरूरत है। यही संदेश इस कार्यक्रम में दिया गया। समय पर उपचार से इस बीमारी से पूरी तरह से छुटकारा पाया जा सकता है।

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