
श्रीलंका आज तक के सबसे बड़े आर्थिक संकट से गुजर रहा है। यह संकट इतना बढ़ा है कि देश गृह युद्ध के मुहाने पर पहुंच चुका है। जगह-जगह आगजनी और हिंसक विरोध प्रदर्शन किए जा रहे हैं। हालात इस कदर बिगड़ गए हैं कि पूर्व PM महिंदा राजपक्षे और उनके परिवार को त्रिंकोमाली नेवल बेस में छिपना पड़ा, लेकिन सवाल उठाता है कि आखिर यह संकट उपजा कैसे?
लंका सरकार ने चीन से कर्ज लिया
श्रीलंका के आर्थिक संकट की एक बड़ी वजह चीनी कर्ज का दुरपयोग रहा। श्रीलंका पर लगभग 51 अरब डॉलर (करीब 3.88 लाख करोड़ रुपए) विदेशी कर्ज है, जिसमें चीन का हिस्सा 10% है। लंका सरकार ने इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के नाम पर चीन से खुले हाथ कर्ज लिया, लेकिन इसका सही तरीके से इस्तेमाल नहीं किया। यही वजह रही कि एक महीने पहले महिंदा सरकार ने विदेशी कर्ज डिफॉल्ट करने का फैसला किया था।
1.26 अरब डॉलर का लंका ने लिया कर्ज
चीन ने 2010 में हंबनटोटा पोर्ट डेवलपमेंट के लिए श्रीलंका को 1.26 अरब डॉलर का कर्ज दिया था। यह बंदरगाह हिंद महासागर का सबसे व्यस्त पोर्ट है, सरकार का मकसद इसके जरिए औद्योगिक गतिविधि को बढ़ावा देना था। उम्मीदों के उलट इस पोर्ट को अगले 6 सालों में 30 करोड़ डॉलर का नुकसान हुआ, जिसके बाद 2017 में इसे 99 साल के लिए एक चीनी कंपनी को सौंप दिया गया।
कर्ज से बना राजपक्षे एयरपोर्ट
इसी तरह हंबनटोटा पोर्ट के पास मौजूद राजपक्षे हवाई अड्डे को चीन से 20 करोड़ डॉलर का कर्ज लेकर बनाया गया था। इस एयरपोर्ट का इस्तेमाल इतना कम किया जाता है कि यह अपने बिजली बिल को कवर करने में नाकाम है।
इसके अलावा चीनी कर्ज के सहारे ही राजधानी में कोलंबो के पास 665 एकड़ इलाके में आर्टिफीशियल पोर्ट सिटी परियोजना बनाई गई थी। सरकार इसे दुबई के मुकाबले में एक फाइनेंशियल हब के तौर पर डेवलप करना चाहती थी। यह प्रोजेक्ट भी नाकाम रहा।
कमजोर लीडरशिप की वजह से पनपे हालात
श्रीलंका एडवोकाटा इंस्टीट्यूट थिंक टैंक के अध्यक्ष मुर्तजा जाफरजी ने बताया कि देश में दशकों की आर्थिक लापरवाही और कमजोर लीडरशिप की वजह से यह हालात हुए हैं। आज हम विदेशों से जरूरी सामान भी इंपोर्ट नहीं कर पा रहे हैं। चीन ने हमें कर्ज दिया, लेकिन हम बढ़ते कर्ज के बोझ को कम करने में नाकाम रहे। क्रेडिट रेटिंग डाउनग्रेड की वजह से इंटरनेशनल मार्केट से भी कर्ज मिलना भी मुश्किल हो रहा है।
चीनी कर्ज ने श्रीलंका को बनाया बेरोजगार
श्रीलंका को इस साल में 7.3 अरब डॉलर (करीब 54,000 करोड़ भारतीय रुपए) का घरेलू और विदेशी कर्ज चुकाना है। कुल कर्ज का लगभग 68% हिस्सा चीन का है। उसे चीन को 5 अरब डॉलर (करीब 37 हजार करोड़ रुपए) चुकाने हैं। पिछले साल उसने गंभीर वित्तीय संकट से निपटने में मदद के लिए चीन से अतिरिक्त 1 अरब डॉलर (करीब 7 हजार करोड़) का लोन लिया था।
विदेशी कर्ज के अलावा कोरोना से श्रीलंका टूरिज्म को बड़ा झटका लगा है। करीब 5 लाख श्रीलंकाई सीधे पर्यटन पर निर्भर हैं, जबकि 20 लाख अप्रत्यक्ष रूप से इससे जुड़े हैं। श्रीलंका की GDP में टूरिज्म का 10% से ज्यादा योगदान है। टूरिज्म से सालाना करीब 5 अरब डॉलर (करीब 37 हजार करोड़ रुपए) फॉरेन करेंसी श्रीलंका को मिलती है। देश के लिए फॉरेन करेंसी का ये तीसरा बड़ा सोर्स है।