Birthday Special: थका थका सा बदन, आह! रूह बोझिल बोझिल, कहाँ पे हाथ से, कुछ छूट गया याद नहीं….

आज मीना कुमारी की जिंदगी पर मधुप शर्मा की लिखी किताब ‘आखिरी अढ़ाई’ दिन याद आ गई. दर्द का दरिया थी मीना कुमारी जो बहता ही चला गया. खून का एक- एक कतरा दर्द से भरा हुआ. प्यार भरा एक शब्द सुनने के लिए तरसता हुआ. इस दुनिया से रुख़सत हो गया. टुकड़े-टुकड़े दिन बीता,  … Read more

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