नदी में बन रही झील,वन विभाग व बीआरओ पर लगे आरोप

दुर्गम पहाड़ी क्षेत्रों से तबाही जैसी दिल दहला देने वाली तस्वीरें अक्सर सामने आती रहती है। बीती 7 फरवरी को रैणी क्षेत्र में आई भयावह आपदा की खतरनाक तस्वीरों को अभी तक लोग अपने जहन से मिटा नहीं पाए हैं। और उस आपदा ने कुछ जख्म ऐसे भी छोड़े जिनको भर पाना असंभव है।उस मौत के तांडव के बाद खून से लथपथ खड़ी पहाड़ियां सन्नाटे का शोर मचा रही थी। हर कोई सोचने पर विवश था की आखिर किसकी गलती का खामियाजा इन निर्दोष पहाड़ियों को भुगतना पड़ा। कुछ पर्यावरण का उचित ज्ञान रखने वाले लोगों ने उन क्षेत्रों में काम करने वाली कार्यदाई संस्थाओं पर भी कई प्रकार के आरोप लगाए थे। जिन पर कुछ हद तक अमल भी होता दिखा कईयों पर जुर्माना भी हुआ। और धीरे-धीरे मामला शांत होता चला गया। पर एक बार फिर सीमांत क्षेत्रों से मौत को पत्र लिखकर आमंत्रित किया जा रहा है। सीमांत नीति घाटी से पहले हो रहे सड़क कटान का मलवा धौली नदी में इस कदर जमा कर दिया गया है। कि नदी के बीचों-बीच एक विशालकाय झील बनकर तैयार हो गई है। और पर्यावरण के विषय में जानकारी रखने वाले लोग इस झील को आने वाले समय के लिए बड़ा खतरा बता रहे हैं। भाकपा माले के नेता अतुल सती ने पहाड़ी क्षेत्रों में आने वाली इन आपदाओं का कारण यहां काम कर रही कार्यदाई संस्थाओं द्वारा बरती जा रही लापरवाही और मिलीभगत को बताया। उन्होंने कहा कि सीमांत क्षेत्र नीति में सड़क कटान का काम कर रही कार्यदाई संस्था सीमा सड़क संगठन द्वारा उच्च न्यायालय के आदेशों की अवहेलना करते हुए सड़क कटान का सारा मलवा बीच नदी में गिराया जा रहा है। वहां संस्था द्वारा किसी प्रकार के डंपिंग जोन की व्यवस्था नहीं की गई है। जिससे यह विशालकाय झील बनकर तैयार हो गई है। उन्होंने आरोप लगाया कि वन विभाग की मिलीभगत के चलते यह संभव हो पा रहा है। यदि ऐसा नहीं है। तो वन विभाग को चाहिए कि वहां काम कर रही कार्यदाई संस्था द्वारा बरती जा रही अनियमितताओं की जांच की जाए व दोषी पाए जाने पर संस्था के खिलाफ कार्रवाई करें और उचित मापदंडों के अनुरूप जुर्माना भी किया जाना चाहिए।

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