चीनी कब्जे से भारत की जमीन को मुक्त कराने को वृंदावन में दो दिन होगा चिंतन’

25 व 26 जून भारत तिब्बत समन्वय संघ का दो दिवसीय चिंतन शिविर वृंदावन में

केशव धाम में तय होगी आंदोलन की रणनीति, पहुंचेंगे संघ के राष्ट्रीय पदाधिकारीः विजय मान

भास्कर समाचार सेवा
मथुरा। चीन द्वारा कब्जाई गई भारत की भूमि को मुक्त कराने के लिए 1962 में भारतीय संसद ने जो प्रस्ताव पारित किया था, आज संसद उसे भूल चुकी है। उसी प्रस्ताव को याद कराने और चीन से अपनी भूमि को मुक्त कराने के लिए भारत तिब्बत समन्वय संघ देश भर में व्यापक आंदोलन छेड़ेगा। 1962 में लिए गए संकल्प को याद दिलाने के लिए देश के सभी सांसदों को ज्ञापन भी सौंपा जाएगा।
यह बात रविवार को भारत तिब्बत समन्वय संघ के राष्ट्रीय महामंत्री विजय मान ने कही। विजय मान व अन्य पदाधिकारीगण भारत तिब्बत समन्वय संघ के दो दिवसीय राष्ट्रीय बैठक चिंतन 2022 की तैयारियों और व्यवस्था का जायजा लेने के बाद पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि यह चिंतन 2022 वृंदावन के केशव धाम में 25 व 26 जून को आयोजित होगी। राष्ट्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह चौहान ने कहा कि चीन, तिब्बत और कैलाश मानसरोवर के मसलों पर होने वाली यह राष्ट्रीय बैठक पूर्व राज्यपाल कप्तान सिंह सोलंकी के संरक्षण में होगी। इसमें केंद्र व राज्य सरकार के मंत्रियों के आने की भी सम्भावना है। पत्रकारों से संघ की दिल्ली प्रांत की अध्यक्ष ने कहा कि हम चाहते हैं कि भारत सरकार यह प्रयास करे कि या तो वह सभी राज्य सरकारों को निर्देशित करें कि प्रत्येक राज्य सरकार एक समान रूप से तीर्थयात्रियों के व्यय की प्रतिपूर्ति करें या फिर स्वयं भारत सरकार द्वारा अपने स्तर से पूरी प्रतिपूर्ति की जाये। इस अवसर पर भारत तिब्बत समन्वय संघ ब्रज प्रांत मंत्री अतुल मंगला, तेजवीर सिंह, मीडिया संयोजक (चिंतन 2022) शिव प्रकाश शर्मा, जिला अध्यक्ष राजकुमार खंडेलवाल, सचिन तोमर, अतुल अग्रवाल व शैलेंद्र तोमर आदि उपस्थित थे।

तिब्बती परिक्षेत्र प्राकृतिक संपदा घोषित हो

श्री मान ने कहा कि तिब्बती परिक्षेत्र की प्राकृतिक संपदा और जल संसाधन के संरक्षण व मानव कल्याण के लिए इस क्षेत्र को विश्व प्राकृतिक संपदा संरक्षित क्षेत्र घोषित किया जाए। उन्होंने भारत सरकार से मांग की कि कैलाश मानसरोवर के दर्शन के लिए जाने वाले तीर्थ यात्रियों की संख्या में वृद्धि कराए जाने का प्रयास भारत सरकार करे तथा देश में कुछ राज्य सरकारें अपने अपने राज्य से इस यात्रा में शामिल हुए तीर्थयात्रियों को उनके खर्चे की भरपाई अलग अलग अंशदान के रूप में करती हैं।

दलाईलामा, रज्जू भैया को भारत रत्न देने की मांग

संघ के राष्ट्रीय मंत्री नरेंद्र चैहान ने संगठन के आद्य प्रणेता परम पावन दलाई लामा व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व सरसंघचालक रज्जू भैया को भारत रत्न दिए जाने की मांग की। श्री चैहान ने भारत सरकार से मांग करते हुए कहा कि जो भी तिब्बती भारत देश में निर्वासित जीवन जी रहे हैं। उनको भारत की नागरिकता दी जाए। यह नागरिकता दोहरे प्रकार की हो। जब तिब्बत स्वतंत्र हो जाए तो भारत की नागरिकता वापस ले ली जाए। लेकिन तब तक तिब्बती लोगों को भारत की नागरिकता मिलने से तिब्बती समाज इस देश के लिए और भी उत्तम प्रकार से योगदान कर सकेगा।

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