धनतेरस पर खरीदे ये यूनिक वॉच, इसकी खासियत ने बॉलीवुड सितारों को भी बनाया अपना दीवाना 

कहते हैं कि स्विट्ज़रलैंड ऐसा है जो विश्वयुद्धों से बिल्कुल दूर रहा। यह बात सही है, लेकिन दूसरे विश्वयुद्ध के समय एक स्विस कंपनी ने मित्र राष्ट्रों की सेनाओं को एक ऑफ़र दिया।

तमाम सैन्य अधिकारी और पायलट इस कंपनी की घड़ियां पहनते थे और युद्ध में दुश्मन के हाथों पकड़े जाने पर या आमने-सामने के मुकाबले में उनकी घड़ियां टूट जाती थीं।

कंपनी ने कहा कि सैनिक उन्हें टूटी घड़ियां भेज दें और वे उन्हें ठीक करके वापस भेज देंगे या इसके बदले में नई घड़ी देंगे। सैनिकों को पुरानी टूटी हुई घड़ी के बदले नई घड़ी मिलती और उसके साथ एक नोट रहता कि आप युद्ध के दौरान घड़ी को ठीक करने के खर्च की चिंता न करें। पैसे की बात युद्ध के बाद होगी।

इस घटना ने ब्रिटिश सैनिकों के अंदर जोश भरा कि युद्ध वही जीतेंगे। बता दें कि घड़ी बनाने वाली इस कंपनी का नाम था रोलेक्स और इसके मालिक हैंस विल्फ़ोर्ड, जो मूल रूप से जर्मन थे। आप इस कंपनी की घड़ियों के विज्ञापन आजकल अखबारों में देख सकते हैं।

हैंस लंबे समय से स्विटजरलैंड में रह रहे थे और उन्होंने अपनी कंपनी को एक छोटा और ऐसा नाम दिया जो डायल पर अच्छा दिखे, किसी भी भाषा को बोलने वाले लोग उसे आसानी से बोल सकें और उससे किसी देश या राष्ट्रीयता का पता न चलता हो।

सीधे शोरूम पर जाकर नहीं खरीद सकते रोलैक्स, सिफारिश चाहिए

आज की तारीख में रोलेक्स उन घड़ियों में से है, जो समय से ज़्यादा आपकी हैसियत बताती है। एक तो उनकी कीमत लाखों में होती है, उसके बाद भी ऐसा नहीं है कि आप इसके शोरूम पर जाकर कहें कि भैया एक रोलेक्स देना और आपको घड़ी मिल जाए।

नई रोलेक्स अमूमन तभी मिलती है जब डीलर आपको जानता हो या पहले से रोलेक्स रखने वाला आपकी सिफ़ारिश करे। उसके बाद भी आपको गिने-चुने मॉडल में से ही कोई घड़ी खरीदनी होती है। इसके बाद अक्सर आपको लगभग एक साल तक वॉरंटी कार्ड नहीं मिलता, ताकि आप घड़ी बेच न दें।

लिमिटेड एडिशन घड़ियों के लिए आपके पास पहले से कई रोलेक्स होना जरूरी है। इन सबके बावजूद दुनिया में हर साल दस लाख रोलेक्स बिक जाती हैं और सेकेंड हैंड रोलेक्स के दाम अक्सर नई घड़ी से ज़्यादा होते हैं।

हालांकि, हर साल बिकने वाली इन रोलेक्स घड़ियों में बहुत सी नेताओं और नौकरशाहों के पास बतौर गिफ़्ट पहुंच जाती हैं।

रोलेक्स पहनने वालों में सबसे बड़ा नाम मार्टिन लूथर किंग का कहा जा सकता है। डॉक्टर किंग को तोहफे में गोल्डन रोलेक्स मिली थी। सिविल राइट आंदोलन के समर्थन में रोलेक्स ने भी खुद को डॉक्टर किंग के साथ जोड़ा।

अब HMT और टाइटन देखकर बड़े हुए भारतीयों के लिए रोलेक्स दूसरी दुनिया का ब्रैंड है, जो ज्यादातर लोगों के ख्याल में आता है, जेब में नहीं। ऐसे में भारतीय घड़ियों उन्हें पहनने से जुड़े सलीकों, कपड़ों से मैच करने के नुस्खों का पूरा हिसाब-किताब जानते हैं।

जब गांधीजी की घड़ी चोरी हो गई लेकिन चोर रोते हुए लौटा गया

इससे पहले घड़ियों से जुड़ा एक भारतीय किस्सा सुनिए, आखिर कुछ स्वदेशी भी तो होना चाहिए। मोहनदास करमचंद गांधी पहले विदेशी सूट के साथ पॉकेट वॉच रखते थे।

धीरे-धीरे सब कुछ छोड़ दिया, लेकिन घड़ी नहीं छूटी। एक बार कानपुर की ट्रेन यात्रा में उनकी घड़ी चोरी हो गई। गांधीजी ने अपनी आत्मकथा में लिखा है कि लगभग छह महीने बाद चोर उनकी घड़ी रोते हुए लौटा गया।

जवाहरलाल नेहरू ने भी बापू को एक ज़ेनिथ पॉकेट वॉच तोहफे में दी थी। सन् 1931 में जब गांधी गोल मेज सम्मेलन में हिस्सा लेने लंदन गए, तो स्कॉटलैंड यार्ड के दो पुलिसवाले उनके साथ रहे। गांधी जी ने दोनों को एक-एक घड़ी तोहफ़े में दी। बापू देर करने वालों पर नरमी नहीं बरतते थे।

तिलक जी का बस चले तो स्वराज्य भी आधे घंटे देर से मिलेः गांधी जी

एक बार बाल गंगाधर तिलक के चलते एक सभा आधे घंटे देर से शुरू हुई तो गांधी जी ने ताना मार ही दिया कि तिलक जी का बस चले तो स्वराज्य भी आधे घंटे देर से मिले। गांधी बिना घड़ी के कहीं नहीं जाते थे।

सिर्फ़ एक मौके पर उन्होंने अपनी घड़ी साथ नहीं रखी थी। तारीख थी 30 जनवरी 1948 और समय था करीब 4 बजकर 55 मिनट। गांधी 5 बजे की प्रार्थना सभा के लिए लेट हो रहे थे और जल्दबाज़ी में बिना घड़ी लिए ही निकल गए। इसके बाद की वो घड़ी अपने मालिक का इंतज़ार ही करती रही।

दलाई लामा से लेकर जमशेदजी टाटा पाटेक फिलिप के शौकीन, 5 लाख से 10 करोड़ कीमत

गांधी के अलावा घड़ी का शौक रखने वाली अन्य शख्सियतों में दलाई लामा भी हैं। बाकी सब मोहमाया छूटने के बाद भी दलाई लामा के कलेक्शन में पाटेक फिलिप जैसी घड़ी है।

हालांकि, दलाई लामा को ज़्यादातर घड़ियां तोहफे में मिलती हैं, लेकिन वे उन्हें खूब इस्तेमाल करते हैं। रही बात पाटेक फ़िलिप की, तो इन घड़ियों की कीमत 5 लाख से 10 करोड़ के बीच होती है।

पाटेक फिलिप से जुड़ने वाला एक और नाम जमशेद जी टाटा का है। जमशेद जी ने कई घड़ियां तोहफ़े में दीं, लेकिन अपना घर एस्पालंद हाउस बनाने वाले आर्किटेक्ट जेम्स मॉरिस को उन्होंने 18 कैरेट सोने की पाटेक फिलिप पॉकेट वॉच ऑर्डर पर बनवाकर गिफ़्ट की।

इसी तरह जेआरडी टाटा के 83वें जन्मदिन पर टाइटन कंपनी ने एक लिमिटेड एडिशन घड़ी निकाली थी जिसके डायल पर जेआरडी के दस्तखत थे।

चांद पर जाने वाली पहली घड़ी थी ओमेगा स्पीडमास्टर मूनवॉक

वैसे लग्ज़री घड़ियों की चर्चा ओमेगा के बिना पूरी नहीं हो सकती। ओमेगा चांद पर जाने वाली इकलौती घड़ी है। नील आर्मस्ट्रॉन्ग और बज़ एल्ड्रिन जब चांद पर उतरे तो उनकी कलाई में ओमेगा स्पीड मास्टर थी। तब से इन घड़ियों को ‘मूनवॉच’ कहा जाता है और तभी से ओमेगा का शौक लोगों में बढ़ता जा रहा है।

हॉलीवुड एक्टर पियर्स ब्रॉसनेन के समय से जेम्स बॉन्ड भी ओमेगा पहनकर ही मिशन पर जाते हैं। भारतीय सितारों में इमरान हाशमी को अपोलो मिशन सीरीज़ की मूनवॉच पहने देखा जा सकता है। शाहरुख खान भले ही टैग ह्यूअर के ब्रैंड ऐंबेसेडर हों, लेकिन ‘कल हो न हो’ मूवी में ओमेगा घड़ी पहने ही नजर आए हैं।

पुरुषों के बाएं और महिलाओं के दाएं हाथ में घड़ी पहनने का कनेक्शन

उदाहरण के लिए एक समय तक माना जाता था कि पुरुष बाएं हाथ में घड़ी पहनते हैं और महिलाएं दाएं हाथ में। इस नियम के पीछे की सोच थी कि लड़कियां पार्टी वगैरह में सजने संवरने के लिए घड़ी पहनती हैं, जबकि लड़के काम करते समय। ऐसे में पुरुषों को घड़ी उस हाथ में पहननी चाहिए, जिससे वे कम काम करते हैं। आजकल सब बाएं हाथ में ही घड़ी पहनते हैं। इसी तरह माना जाता है कि पुरुषों को किसी ब्लैक टाई इवेंट यानी टक्सीडो (ब्लैक कलर का नेकटाई वाला सूट) के साथ घड़ी नहीं पहननी चाहिए।

शेरवानी या अचकन के साथ रिस्टवॉट नहीं पॉकेटवॉच बेहतर ऑप्शन

इस नियम को भी लोग अब अमूमन नहीं मानते हैं। भारतीय संदर्भ में इस नियम को शेरवानी या अचकन के साथ जोड़ा जा सकता है। हालांकि, इसका बेहतर रूप यह है कि आप शेरवानी के साथ कलाई घड़ी की जगह पॉकेट वॉच लें। आजकल काफ़ी सुंदर दिखने वाली पॉकेट वॉच काफ़ी कम दामों में मिल जाती हैं और ये शादी-ब्याह के मौके पर आपके स्टाइल को अलग लेवल पर पहुंचा देंगी।

अब घड़ी पहनने के आधुनिक फ़ैशन और स्टाइल की बात करें, तो घड़ियों को पांच हिस्सों में बांटा जा सकता है।

पहली मेटल की चेन वाली घड़ियां, दूसरी लेदर या पट्टे वाली घड़ियां, तीसरी स्पोर्ट्स डायल वाली बड़ी घड़ियां और चौथी स्मार्ट वॉच। पांचवीं वे पुरानी घड़ियां हैं जिनका फ़ैशन आजकल ज़ोरों पर है।

1- मेटल चेन वाली घड़ियां: स्टील, टोटल ब्लैक और लास्ट में गोल्डन कलर वाली घड़ी खरीदें

80 के दशक तक एक औसत आम भारतीय के जीवन में घड़ी खरीदने के दो मौके आते थे। पहला उसके हाईस्कूल पास करने पर दूसरा उसकी शादी के अवसर पर।

घड़ी खरीदना रईसों का शौक होता था। उस दौर की घड़ियां चाबी वाली होती थीं और पानी में भीगने पर खराब हो जाती थीं। इसलिए उन्हें संभालना पड़ता था. शादी में दी जाने वाली घड़ियां अक्सर गोल्डन चेन वाली होती थीं, क्योंकि उनको आभूषण और सम्पन्नता से जोड़ा जाता था। आज के फैशन में यह चीज बदल गई है।

पुरुषों के लिए सुनहरी घड़ी स्टाइल से ज़्यादा दिखावे की वस्तु बन गई है। इसलिए, अगर आपको किसी भी मौके पर पहनी जा सकने वाली घड़ी की तलाश है, तो गोल्डन वॉच को सोच समझकर खरीदें। वहीं महिलाओं के लिए गोल्डन की जगह रोज़ गोल्ड ने ले ली है।

तांबे जैसी रंगत वाली ये घड़ियां भारतीय त्वचा के रंग पर ज़्यादा खिलती हैं। महिलाओं की गोल्ड वॉच अब अक्सर ब्रेसलेट या कड़े के आकार में आती है। पारंपरिक साड़ियों में ऐसी घड़ियां अच्छा लुक देती हैं।

अगर आपको मेटल की महंगी घड़ी खरीदनी है, तो सबसे पहले स्टील या गोल्ड-स्टील की घड़ी देखें। ये आपके ऑफ़िस से लेकर पार्टी तक हर जगह चल जाएगी। इन्हें कुर्ते के साथ भी मैच करना आसान होता है। इसके बाद टोटल ब्लैक घड़ी ले सकते हैं।

गहरे रंग की घड़ियां खासतौर पर रात के किसी भी प्रोग्राम के लिए अच्छा विकल्प हैं। पूरी सफ़ेद घड़ियां भी अच्छी लगती हैं, लेकिन उन्हें आयोजन और कपड़ों के साथ मैच कर पाना थोड़ा मुश्किल होता है। अगर आपकी कलाई पर बाल हैं तो मेटल चेन वाली घड़ियां तकलीफदेह हो सकती हैं।

2- लेदर और सिलिकॉन स्ट्रैप वाली घड़ियां: गहरे भूरे, ब्लैक और फिर खरीदें ब्लू स्ट्रैप वाली घड़ी

लॉकडाउन खुलने के बाद से भारत में घड़ियों की बिक्री काफ़ी बढ़ी है। इसमें भी बड़ी तादाद में क्रोनोग्राफ़ वाली और अलग-अलग रंग-डिज़ाइन वाली घड़ियां हैं। स्ट्रैप वाली घड़ियों को खरीदते और पहते समय कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद आसान है।

आपको दो से ज़्यादा घड़ियां रखनी हैं, तो एक गहरे भूरे और एक काले स्ट्रैप वाली घड़ी रखें। काले स्ट्रैप को काले जूतों और ब्राउन स्ट्रैप को ब्राउन जूतों से मैच करके पहनें। लड़कियां अगर कोई महंगा बैग खरीदती हैं, तो उसके रंग से मैच करती घड़ी ले सकती हैं।

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