एयर इंडिया की टाटा ग्रुप में ‘घर वापसी’ से क्या होगा बदलाव ?

देश की पहली हवाई सेवा कंपनी बनाने का सौभाग्य ‘एयर इंडिया’ के नाम दर्ज है पर इसके नाम को लेकर टाटा कंपनी के कर्मचारियों ने बताया कि 75 वर्ष से भी अधिक समय पहले एक जनमत संग्रह हुआ था। उनके पास चार नामों के विकल्प थे जिनमें से अंतत: ‘एयर इंडिया’ नाम चुना गया था। लगभग सात दशक पहले एयर इंडिया टाटा के हाथों से निकलकर सरकार के पास चली गई थी। अभी लगभग दस दिन पहले टाटा समूह ने एयर इंडिया का औपचारिक रूप से नियंत्रण फिर हासिल किया है। समूह ने रविवार को इस एयरलाइन के इतिहास के बारे में दिलचस्प जानकारी साझा की। यह 1946 की बात है जब टाटा संस का हिस्सा रही टाटा एयर लाइंस का विस्तार एक कंपनी के रूप में हुआ। तब इस कंपनी का नाम चुना जाना था।
टाटा समूह ने रविवार को ट्वीट किया, ‘भारत की पहली एयरलाइन कंपनी के नाम के लिए विकल्प थे इंडियन एयरलाइंस, पैन-इंडियन एयरलाइंस, ट्रांस-इंडियन एयरलाइंस और एयर इंडिया।’ टाटा समूह ने कई ट्वीट किए और दो तस्वीरें भी साझा कीं जिनमें टाटा के 1946 के मासिक बुलेटिन के अंश भी शामिल हैं। इन ट्वीट को एयर इंडिया ने रीट्वीट भी किया। बुलेटिन में कहा गया कि एयरलाइन के नाम के चयन के लिए जनमत सर्वेक्षण करने का विचार हुआ। इसके लिए टाटा समूह के कर्मचारियों के बीच मत पत्र वितरित किए गए।
इसमें बताया गया, ‘पहली गणना में 64 मत एयर इंडिया के पक्ष में, 51 इंडियन एयर लाइंस के लिए, 28 मत ट्रांस इंडियन एयरलाइंस और 19 पैन-इंडियन एयरलाइंस के लिए पड़े। अंतिम गणना में 72 मत एयर इंडिया के लिए और 58 इंडियन एयरलाइंस के पक्ष में थे।’ इस तरह नई कंपनी का नाम ‘एयर इंडिया’ रखा गया। इस वर्ष 27 जनवरी को टाटा समूह ने एयर इंडिया, इसकी अनुषंगी एयर इंडिया एक्सप्रेस पर आधिकारिक नियंत्रण हासिल कर लिया। समूह ने संयुक्त उपक्रम एआईएसएटीएस में भी 50 प्रतिशत हिस्सेदारी प्राप्त की है।

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