बेड़ियों को तोड़ते हुए हिंदू आध्यात्मिकता में आगे आएं महिलाएं : अरुणिशा सेनगुप्ता

नई दिल्ली। होम/यज्ञ एक प्राचीन आध्यात्मिक पद्धति है, जो वैदिक काल से चली आ रही है। युगों-युगों से व्याप्त यह पद्धति आधुनिक समय में भी उतनी ही महत्वपूर्ण है, यानि यज्ञ/होम के बिना सभी हिंदू धार्मिक/शुभ अवसर अधूरे हैं। वैदिक काल में, गृहस्थों के लिए होम आध्यात्मिक दिनचर्या का बहुत बड़ा हिस्सा हुआ करता था। लोगों को भी इस पवित्र अनुष्ठान को सीखने का अवसर मिल सके, इसके लिए अरुणिशा डीआईवाई (डू-इट-योरसेल्फ) होम कैंप का आयोजन करती हैं। जो लोग इन प्राचीन आध्यात्मिक पद्धति में दीक्षा लेना चाहते हैं, उनके शहर पहुंचकर अरुणिका नि:शुल्क होम वर्कशॉप्स आयोजित करती हैं।

अधिक से अधिक महिलाओं को होम करना सिखाने में वे विशेष जूनून रखती हैं। वे मानती हैं कि महिलाएं संस्कृति को धारण करने के साथ ही उसे साथ लेकर आगे बढ़ने का हुनर रखती हैं। वे भावी पीढ़ी की सबसे कुशल शिक्षिकाएं हैं और उनकी वजह से ही समाज के नैतिक, पारंपरिक और नैतिक मूल्य कायम रहते हैं। ऐसे में, यदीन महिलाएं होम करना सीखती हैं, तो वे परंपरा की पथप्रदर्शक और सांस्कृतिक विरासत की संरक्षक बन जाती हैं, और साथ ही इससे परिवार, समुदाय और राष्ट्रीय स्तर पर सामाजिक मूल्यों के संरक्षण को बढ़ावा मिलता है। दरअसल, पेशे से मारकॉम कंसल्टेंट अरुणिशा सेनगुप्ता का आध्यात्मिक सफर कच्ची उम्र में ही शुरू हो गया था। वे विभिन्न दिशाओं में मंजिल की तलाश करते हुए आगे बढ़ीं, लेकिन सुकून अग्नि के मार्ग पर मिला। उन्होंने यज्ञ और होम करने की कला में निपुणता हासिल की, और आज भारत की उन चुनिंदा महिलाओं में से एक बन गई हैं, जो होम को आध्यात्मिक उपकरण के रूप में अपनाती हैं।

आध्यात्मिकता की दुनिया में, यह मान्यता लंबे समय से चली आ रही है कि होम आदि पुरुषों के लिए अधिक उपयुक्त हैं। यह एक बड़ा कारण है कि महिलाएं इस तरह के अनुष्ठानों में भाग लेने या होम सीखने में झिझक महसूस करती हैं। इस बात को भी नाकारा नहीं जा सकता है कि प्राचीन काल से ही महिलाओं की आवाज़ों और अनुभवों को दरकिनार किया गया है, नज़रअंदाज किया गया है और दबाया गया है। उन्हें यह विश्वास करने के लिए बाध्य किया गया है कि आध्यात्मिक ज्ञान और नेतृत्व, विशेष रूप से आध्यात्मिक क्षेत्र पुरुषों के ही अनुकूल हैं। यह कहकर बार-बार महिलाओं का तिरस्कार किया गया है और प्राचीन समय से लेकर आज तक इन प्रणालियों के प्रति उनमें भीतर तक भय भर दिया गया है।

अरुणिशा सेनगुप्ता कहती हैं, ‘भले ही यह स्वाभाविक हो या किसी विचार के तहत यह भावना उत्पन्न की गई हो, लेकिन अब इस धारणा को चुनौती देने का समय आ गया है। पूरे इतिहास में, आध्यात्मिक क्षेत्र में पुरुषों का वर्चस्व अधिक रहा है, जबकि महिलाओं के योगदान इस क्षेत्र में काफी पिछड़े हुए रहे हैं। आध्यात्मिक नेतृत्व में महिलाओं की बुद्धिमत्ता को नज़रअंदाज या कम होते देखना निराशाजनक है यह समय की माँग है कि हम अपना सही स्थान पुन: प्राप्त करें और अधिक समावेशी और संतुलित होने के लिए इस पूरे कथानक को नया आकार दें।’

अपने दृष्टिकोण से, वे कई महिलाओं को सशक्त बनाने में योगदान दे चुकी हैं। इतना ही नहीं, उन्होंने महिलाओं से आगे बढ़ने और अपना उचित स्थान पुन: प्राप्त करने के लिए भी आग्रह किया है। यहां तक कि आध्यात्मिकता में भी उसी आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ने की अपील की है, जैसे वे अन्य क्षेत्रों में आगे आ रही हैं। अरुणिशा सभी महिलाओं के लिए होम वर्कशॉप्स और समूह में होने वाली आध्यात्मिक प्रथाओं पर विशेष जोर देती हैं, जिससे उन्हें अपना आत्मविश्वास बढ़ाने और आध्यात्मिक ऊर्जा का आदान-प्रदान करने में मदद मिलेगी। ऐसी ही, एक वर्कशॉप का आयोजन 10 मार्च को महिला दिवस/सप्ताह/माह के अवसर पर मुंबई में किया जाएगा, जहां महिलाओं के एक समूह को गणपति जी का होम करना सिखाया जाएगा। अरुणिशा आगे कहती हैं, ‘गणेश जी का साधारण होम, महिलाओं के लिए पारंपरिक आध्यात्मिक प्रथाओं को अपनाने के लिए शुरुआती बिंदु के रूप में काम कर सकता है।

मैं चाहती हूँ कि अधिक से अधिक महिलाएँ इसे सीखने के लिए आगे आएँ और परंपरा को अपनाएँ। यह ऐसी परंपरा नहीं है, जो गैर-समावेशी है, बल्कि वे पुरुष ही हैं, जो स्वयं को धर्म के तथाकथित मसीहा हैं, जिन्होंने महिलाओं को इस क्षेत्र में काफी पीछे रखा है। हम विभिन्न दृष्टिकोणों और जीवन के अनुभवों का सम्मान करने के मूल्य को समझते हैं, यही वजह है कि हम इस विचार पर सवाल उठाते हैं कि क्या वास्तव में आध्यात्मिकता सिर्फ पुरुषों के लिए ही है?’ तमाम बाधाओं का सामना करने के बावजूद, महिलाएं दृढ़ हैं, उन्होंने आध्यात्मिक प्रथाओं के भीतर अपना रास्ता खुद बनाया है और एक सुरक्षित वातावरण स्थापित किया है, जहाँ उनकी आवाज़ को बढ़ावा मिल सके। वास्तविक आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करने के लिए, आध्यात्मिक विकास में बाधा डालने वाली बाधाओं को तोड़ना आवश्यक है। आइए, हम सब मिलकर इस लक्ष्य की दिशा में काम करें।

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