विश्व नर्सेज दिवस : कोरोना संक्रमितों की सेवा मानो मन की मुराद पूरी हो गयी : सिस्टर आकांक्षा

गाजियाबाद, । जिला अस्पताल में तैनात स्टॉफ नर्स सिस्टर आकांक्षा त्रिपाठी पूरे एक महीने से विश्व स्तरीय महामारी कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की सेवा कर रही हैं, इस सेवा को वह सौभाग्य मानती हैं । उनका कहना है कि उनका सपना था कि आपदा के समय में भी सेवा का मौका मिले और उन्हें यह मौका मिल गया जिसके बाद उन्हें लगता है कि ईश्वर ने उनके मन की मुराद पूरी कर दी ।

विश्व नर्सेज दिवस की पूर्व संध्या पर मीडिया ने सिस्टर आकांक्षा से बात की । उन्होंने बताया कि बचपन से ही हेल्थ केयर फील्ड (स्वास्थ्य सेवाओं) में जाने का मन था। खासकर नर्सों को अस्पतालों में सेवा करते देखती थी तो बड़ा अच्छा लगता था और उन्हीं की तरह मरीजों की सेवा करने का मन होता था। प‌रिवार वालों ने भी सदैव इसके लिए प्रेरित किया। सन् 2017 में नर्सिंग का कोर्स किया और फिर मरीजों की सेवा में जुट गई मुझे कई बार ऐसा भी लगता था कि आपदा के समय लोगों की सेवा करूं कोरोना संक्रमण शुरू हुआ तो आइसोलेशन वार्ड में डयूटी लग गई।

अपनी पूरी टीम के साथ करीब एक माह तक लगातार जिला अस्पताल परिसर में ही रहकर आइसोलेशन में भर्ती मरीजों की सेवा की। बीच बीच में घर से मम्मी फोन करके हौसला अफजाई करती रहती थीं। इसके साथ ही वह हमेशा जरूरी एहतियात बरते जाने के लिए भी सचेत करती रहती थीं और हमेशा अच्छा करने की प्रेरणा देती रहीं।

आकांक्षा बताती हैं उनके पिता पराग डेयरी से सेवानिवृत्त हैं और मां गृहिणी । घर में दो बड़े भाई हैं और एक छोटा। भाई भी मेरे सामने आई पेशेगत बाध्यताओं में मेरी मदद करते रहे। अभी लॉक डाउन के चलते सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था सुचारू न होने के कारण भाई ही उन्हें जिला अस्पताल तक छोड़ने और लेने आते हैं। एक बार फिर मां के बारे में चर्चा करते हुए आकांक्षा कहती हैं, आइसोलेशन वार्ड में डयूटी के दौरान कहीं न कहीं मां को मेरे संक्रमण की चपेट में आने का डर तो र‌हता होगा लेकिन उन्होंने मुझे कभी ऐसा अहसास नहीं होने दिया उनका कहना है कि यह एक माह मेरे कैरियर का अब तक सबसे संतोषजनक कार्यकाल रहा है। मुझे लगता है कि इस दौरान अपने पेशे के मुताबिक मैंने कुछ अच्छा किया।

-12 मई को क्यों मनाया जाता है अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस :

दरअसल 12 मई को फ्लोरेंस नाइटिंगेल का जन्म दिवस होता है। नर्सिंग के इतिहास में फ्लोरेंस नाइटिंगेल बड़ा नाम है। सन् 1853-1856 में क्रीमिया युद्ध में घायलों का उपचार करने के लिए वह रात में लालटेन लेकर जाती थीं। पूरे विश्व में उन्होंने ही नर्सिंग सेवा की शुरूआत की थी। सबसे पहले इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ नर्सेज द्वारा इस दिवस की शुरूआत सन 1965 में की गई थी।

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