
लखनऊ. यूपी विधानसभा चुनावों को लेकर जहां इस समय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पश्चिम से लेकर पूरब तक प्रदेश को मथ रहे हैं वहीं आज केन्द्रीय गृहमन्त्री अमित शाह लखनऊ पहुँच रहे हैं। अमित शाह यहाँ बीजेपी की सहयोगी निषाद पार्टी की रैली में शिरकत करेंगे। बीजेपी और निषाद पार्टी की ये संयुक्त रैली राजधानी के रमाबाई अंबेडकर मैदान में होगी। रैली को अमित शाह, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ संजय निषाद भी संबोधित करेंगे।
बीजेपी के लिए क्यों अहम है निषाद समुदाय?निषाद समुदाय की ताकत का अंदाजा इसी बात से लगा लीजिए कि इसी के चलते 2018 के लोकसभा उपचुनाव में बीजेपी 25 साल बाद गोरखपुर सीट को हार गयी थी। जिसके बाद बीजेपी को हराने वाले संजय के बेटे प्रवीण निषाद को अगले ही साल 2019 में बीजेपी ने संतकबीरनगर सीट से लोकसभा से टिकट दे दिया और वर्तमान में वो लोकसभा सांसद हैं।
पूर्वांचल में निषाद वोटों का समीकरणनिषाद समुदाय में केवट, बिंद, मल्लाह, कश्यप, नोनिया, मांझी, गोंड समेत 22 उप जातियां आती हैं। पूर्वांचल की करीब 60 सीटों को निषाद वोट बेहद प्रभावित करता है। इतना ही नहीं कई सीटों में इनकी आबादी इतनी है कि ये हार-जीत तक तय करते हैं। यही वजह है कि निषाद समुदाय को सभी सियासी दल साधना चाहता है। निषाद वोट बैंक के लिए कांग्रेस ने इस वर्ष की शुरुआत में नदी अधिकार यात्रा निकाली थी। वहीं बीजेपी ने कमल नौका यात्रा के ज़रिये निषादों को अपने पाले में करने का प्रयास किया था। हांलाकि निषाद पार्टी के अध्यक्ष डॉक्टर संजय निषाद का दावा ये है कि वह यूपी की 150 से अधिक सीटों पर जीत हार तय करने का माद्दा रखते हैं।
निषाद समुदाय से राजभर की भरपाई2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने पूर्वांचल की करीब 156 सीटों में से 100 से ज्यादा सीटों पर कब्जा जमाया था। इन चुनावों में बीजेपी ने अनुप्रिया पटेल की अपना दल (एस) और ओम प्रकाश राजभर की पार्टी के साथ गठबंधन किया था। जिसका फायदा भी पार्टी को मिला और बीजेपी 325 सीटों के प्रचंड बहुमत के साथ करीब 15 साल बाद यूपी की सत्ता में आयी। मगर आगे चलकर अनुप्रिया पटेल एनडीए का हिस्सा बनी रहीं मगर ओम प्रकाश राजभर के साथ बीजेपी के रिश्ते बिगड़ने और आख़िरकार राजभर एनडीए से अलग हो गये। अब वो समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन कर चुके हैं। आपको बता दें कि 2017 के चुनावों में यूपी की लगभग 22 सीटों पर बीजेपी की जीत में राजभर वोटबैंक बड़ा कारण था। मगर अब राजभर तो बीजेपी के साथ नहीं रहे मगर दोनों ही पूर्वांचल की पिछड़ी जातियों से आते हैं इसीलिए बीजेपी राजभर की भरपाई निषाद समुदाय से करना चाहती है। यही वजह है कि अमित शाह लखनऊ में निषाद पार्टी की रैली में शामिल होने पहुँचे हैं।