
15 से 31 दिसंबर तक आयोजित होगा सड़क सुरक्षा पखवारा
भारी वाहन के चालकों के ड्राइविंग लाइसेंस नवीनीकरण के समय कराना होगा नेत्र परीक्षण
हर जिले में होगी ARTO रोड सेफ्टी की तैनाती, मुख्यमंत्री ने मांगा प्रस्ताव
एक वर्ष में प्रदेश सभी जनपदों में होगी ड्राइविंग टेस्टिंग ऑटोमेशन की सुविधा
सड़क दुर्घटना के बाद गोल्डन ऑवर की महत्ता को समझें, तत्काल मिले उपचार: मुख्यमंत्री
स्पीड ब्रेकर कमरतोड़ू नहीं, टेबल टॉप हों: मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री का निर्देश, यातयात प्रबंधन में होमगार्ड और पीआरडी जवानों की भी लें सेवायें, राहत बचाव में काम आएंगे ‘आपदा मित्र’
मुख्यमंत्री के निर्देश, एक्सप्रेस-वे पर एम्बुलेंस, कैमरों और क्रेन की संख्या और बढ़ाएं
उत्तर प्रदेश पहला राज्य, जहां सड़क दुर्घटनाओं के वास्तविक कारणों की सही जानकारी के लिए त्तर प्रदेश सड़क दुर्घटना जाँच योजना अधिसूचित
लखनऊ में शीघ्र होगी ट्रेनिंग एंड रिसर्च इंस्टिट्यूट और एनालिटिक्स सिस्टम की स्थापना
कानपुर, आगरा, मेरठ, झांसी, प्रयागराज तथा गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में स्थापित होंगे होगी कौशल विकास केंद्र
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में शनिवार उत्तर प्रदेश राज्य सड़क सुरक्षा परिषद की बैठक संपन्न हुई। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने सड़क दुर्घटनाओं और दुर्घटनाओं में असामयिक मृत्यु को न्यूनतम करने के लिए ठोस प्रयास करने पर जोर दिया। बैठक में मुख्यमंत्री ने बहुत से महत्वपूर्ण निर्णय लिए।
मुख्यमंत्री ने इस मौके पर कहा कि सड़क दुर्घटना में किसी की असामयिक मृत्यु अत्यंत दुःखद है। इसे न्यूनतम करने के लिए हमें जागरूकता, शिक्षा, प्रवर्तन, इंजीनियरिंग और इमरजेंसी केयर पर फोकस करते हुए एकजुट होकर काम करने की आवश्यकता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि सर्वाधिक वाहन दुर्घटनाओं वाले शीर्ष पांच राज्यों में सर्वाधिक वाहन उत्तर प्रदेश में पंजीकृत हैं। प्रदेश में वाहनों की संख्या 2011 में 1.33 करोड़ थी जो वर्तमान में 4.55 करोड़ है। सतत जागरूकता प्रयासों का ही असर है कि सड़क दुर्घटनाओं में कमी के दृष्टिगत वर्ष 2021 के सापेक्ष वर्ष 2022 में उत्तर प्रदेश तृतीय स्थान से चतुर्थ स्थान पर आ गया है। राष्ट्रीय राजमार्ग और राज्य राजमार्गों पर दुर्घटनाओं में भी 2-2% की कमी आई है। उन्होंने कहा कि सर्वाधिक दुर्घटनाओं वाले शीर्ष 30 नगरों में विगत तीन वर्षों में सड़क दुर्घटना में औसत मृतकों की संख्या 20,990 प्रति वर्ष रही है। इसे न्यूनतम करने के लिए सरकार, प्रशासन और जनता सभी को मिलकर काम करना होगा। उन्होंने यातायात नियमों के पालन कराने के लिए चालान अथवा अन्य एनफोर्समेंट की कार्यवाही स्थायी समाधान नहीं है। हमें जागरूकता पर बल देना होगा। आगामी 15 दिसंबर से 31 दिसंबर तक की अवधि को ‘सड़क सुरक्षा पखवारे’ के रूप में मनाया जाए। गृह, परिवहन, पीडब्ल्यूडी, बेसिक, माध्यमिक शिक्षा, एक्सप्रेस-वे व हाइवे प्राधिकरण आदि के बेहतर समन्वय के साथ इस पखवारे को सफल बनाना होगा। जरूरत के अनुसार ड्राइविंग लाइसेंस रद करने और वाहन सीज़ करने की भी कार्रवाई की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रदेश देश का पहला राज्य है, जिसने सड़क दुर्घटनाओं के वास्तविक कारणों की सही जानकारी प्राप्त करने के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश सड़क दुर्घटना जाँच योजना अधिसूचित की है। इस योजना के अन्तर्गत तीन या तीन से अधिक मृत्यु वाली दुर्घटना की अनिवार्य जांच जनपदीय दुर्घटना जांच समिति के माध्यम से की जानी है।
कानपुर नगर, आगरा, प्रयागराज, अलीगढ़, बुलंदशहर, मथुरा जैसे बड़े शहरों में सर्वाधिक सड़क दुर्घटनाएं होती हैं। एक्सप्रेस-वे अथवा राष्ट्रीय राजमार्गों से जुड़े इन शहरों को केंद्रित कर सड़क दुर्घटनाओं को कम करने के लिए प्रयास किया जाना चाहिए।
हमें ड्राइविंग टेस्टिंग एवं ट्रेनिंग पर भी फोकस करना होगा। इसी उद्देश्य से 15 मंडलीय जनपदों में ड्राइविंग टेस्टिंग एवं ट्रेनिग इंस्टिट्यूट निर्मित कराये गए हैं। आगामी एक वर्ष में प्रदेश सभी जनपदों में ड्राइविंग टेस्टिंग के ऑटोमेशन की शत-प्रतिशत व्यवस्था सुनिश्चित करने के लक्ष्य के साथ कार्य किया जाए।
उन्होंने सड़क सुरक्षा की महत्ता के दृष्टिगत प्रत्येक जनपद में एआरटीओ रोड सेफ्टी की तैनाती की जानी चाहिए। इस संबंध में पदों के सृजन का प्रस्ताव यथाशीघ्र भेजा जाए।