अक्षय कुमार की फिल्म ‘लक्ष्मी बॉम्ब’ होगी बैन? अब धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का लगा आरोप!

बॉलीवुड की आने वाली फिल्मों पर लोग नजर गड़ाए बैठे हैं. बॉलीवुड को लेकर अभी भी लोगों का गुस्सा शांत नहीं हुआ है. ऐसे में लोग किसी भी फिल्म की गलती को सामने लेकर आ रहे हैं. लोगों का मानना है कि वो अब ऐसी कोई भी फिल्म को नहीं देखेंगे जिनसे लोगों के भावनाओं को ठेस पहुंच रही हैं. यही वो वजह है जिसके कारण लोग अब अक्षय कुमार कि आने वाली नई फिल्म लक्ष्मी बॉम्ब के पीछे पड़ गए हैं. फिल्म पर तरह-तरह के सवाल उठ रहे हैं. सिर्फ यही नहीं इन सवालों के कारण फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने की मांग भी की जा रही है. फिल्म पर लव जिहाद को लेकर आरोप पहले ही लग रहे थे, वहीं अब इस पर धर्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप भी लगाया जा रहा है. जिसके कारण हिंदु जनजागृती समिती ने फिल्म का विरोध शुरू कर दिया है.

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हिंदु जनजागृती समिती के राष्ट्रीय प्रवक्ता रमेश शिंदे का कहना है कि- ‘अक्षय कुमार की फिल्म लक्ष्मी बॉम्ब दीवाली के मौके पर रिलीज हो रही है, जिसके कारण जानबूझ कर इस फिल्म को ‘लक्ष्मी बॉम्ब’ नाम दिया गया है. जो श्री लक्ष्मी देवी का अपमान है, जिन्हें करोड़ों हिंदू पूजते हैं. जहां एक तरफ हम लोगों को प्रेरित कर रहे हैं कि वो ‘लक्ष्मी पटाखे’ ना छुडाएं, वहीं दूसरी तरफ ये फिल्म ऐसे लोगों को और भी बढ़ावा देगी’.

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उन्होंने कहा- ‘इसके अलावा इस फिल्म में हीरो का नाम आसिफ है और हीरोइन का नाम प्रिया यादव है. इसके जरिए लव जिहाद को बढ़ावा दिया जा रहा है. इसलिए फिल्म ‘लक्ष्मी बॉम्ब’ की स्क्रीनिंग पर फौरन रोक लगाई जानी चाहिए’. वहीं रमेश शिंदे ने ये भी कहा है कि ‘फिल्म मोहम्मद: द मैसेंजर ऑफ गॉड’ ने मुस्लिमों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई थी और महाराष्ट्र से होम मिनिस्टर ने खुद इस फिल्म पर बैन लगवाया था. इसी तरह ‘लक्ष्मी बॉम्ब’ पर बैन लगाया जाना चाहिए’.

लक्ष्मी बॉम्ब हिंदू विरोधी
हिंदू जनजागृती समिती की तरफ से अक्षय कुमार के किन्नर किरदार को लेकर भी आपत्ति दिखाई गई है. उनके मुताबिक फिल्म में किन्रर को निगेटिव किरदार में दिखाया गया है. जानबूझकर फिल्म में उनके किरदार के लिए लाल कुमकुम, लाल साड़ी , खुले बाल रखे गए हैं. वहीं उन्हें हाथ में त्रिशूल लेकर डांस करवाया गया है.  इस पर शिंदे कहते हैं- क्या यहीं फिल्ममेकर जो अभी दिवाली पर ऐसी फिल्मे बना रहे हैं, क्या वे कभी ईद के मौके पर आयेशा बॉम्ब, फातिमा बॉम्ब, शबीना बॉम्ब जैसी फिल्में बनाने की हिम्मत दिखा पाएंगे. जैसे मुस्लिम समुदाय की भावनाओं का ध्यान रखा जाता है, वैसे ही हिंदू भावनाओं को क्यों नजरअंदाज किया जा रहा है. क्या इस देश में अब सेक्युलरिज्म का मतलब ही हिंदुओं के खिलाफ होना हो गया है.

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