अब ‘गोवा में ऑक्सिजन की किलकत, तीन दिनों में 41 कोरोना मरीजों की गई जान

पणजी : गोवा मेडिकल कॉलेज (जीएमसी) में गुरुवार को ऑक्सिजन की अनियमित सप्लाइ से 15 और कोरोना मरीजों की मौत हो गई। दो दिन पहले भी इसी अस्पताल में ऑक्सिजन की कमी से 26 मरीजों की मौत से हड़कंप मचा था। इस मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान गोवा सरकार ने ऑक्सिजन सेवा बाधित होने के पीछे एक्सपर्ट ट्रैक्टर ड्राइवर की कमी का हवाला दिया जिस पर हाई कोर्ट ने फटकार भी लगाई।

बुधवार को बॉम्बे हाई कोर्ट ने गोवा सरकार को सख्त आदेश देते हुए यह सुनिश्चित करने को कहा था कि अस्पताल में ऑक्सिजन की कमी से अब और मरीजों की जान नहीं जानी चाहिए। बताया जा रहा है कि बुधवार को भी अस्पताल में ऑक्सिजन की कमी से अपुष्ट मौतें हुई थीं।

गुरुवार आधी रात से सुबह 8 बजे तक 15 मरीजों की मौत
बॉम्बे हाई कोर्ट में ऑक्सिजन की कमी से होने वाली मौत मामले जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान जीएमसी के नोडल अधिकारी डॉ. विराज खंडेपरकर ने कहा, ‘ऑक्सिजन सप्लाइ बाधित होने के चलते अस्पताल में मरीजों की मौत हो रही हैं। O2 सेवा में व्यवधान के चलते गुरुवार आधी रात से सुबह 8 बजे के बीच 15 मरीजों की मौत हो गई।’

परिजन और डॉक्टर मिलाते रहे फोन, नहीं मिला जवाब
गुरुवार रात एक बजकर 25 मिनट पर मरीज के परिजनों की ओर से इमर्जेंसी कॉल करके बताया गया कि जीएमसी में ऑक्सिजन लेवल गिर रहा है। वॉर्ड 143, 144, 145, 146 और 149 में ऑक्सिजन की कमी हुई। डॉक्टरों ने भी फौरन ऑक्सिजन सप्लाइ के लिए जीएमसी के वरिष्ठ अधिकारियों और स्कूप इंडस्ट्री (ऑक्सिजन सप्लाइ के लिए इंडस्ट्री का जीएमसी के साथ कॉन्ट्रैक्ट हुआ है) को कॉल किया लेकिन उन्हें कोई जवाब नहीं मिला।

राज्य में ऑक्सिजन पर्याप्त लेकिन प्रशिक्षित ड्राइवरों की कमी
राज्य सरकार, विशेष रूप से स्वास्थ्य सचिव रवि धवन ने कोर्ट के समक्ष कहा कि राज्य में पर्याप्त मात्रा में ऑक्सिजन है। उन्होंने सप्लाइ बाधित होने के पीछे ऑक्सिजन सिलिंडर के चेंजओवर को वजह बताते हुए राज्य में प्रशिक्षित ट्रैक्टर डाइवरों का हवाला दिया। धवन ने कहा, ‘यहां ऑक्सिजन का अकाल नहीं है, जो मौतें हो रही हैं वे लॉजिस्टिकल कारणों से है।’ इस पर हाई कोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा कि राज्य के अधिकारी जिम्मेदारी लेने से इनकार कर रहे हैं।

सरकार ने ड्राइवरों को अनुभवहीन बताते हुए दोष मढ़ा
स्वास्थ्य सचिव ने ट्रैक्टर ड्राइवरों को अनुभवनहीन बताते हुए दोष मढ़ा, ‘गुरुवार रात 1 बजकर 45 मिनट और 2 बजे के बीच ट्रैक्टर ड्राइवर बीच रास्ते में फंस गया, जहां से एक बार में केवल एक ट्रैक्टर की ही आवाजाही हो सकती है। ऑक्सिजन मेनिफोल्ड जीएमसी के बेसमेंट में मौजूद है और ड्राइवर 15 से 20 मिनट तक वहां फंसा रहा जिसके चलते ऑक्सिजन सिलिंडर बदलने में अतिरिक्त समय लगा।’

कोर्ट ने लगाई राज्य सरकार को फटकार
कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार की ओर से दिए गए तर्क अनुचित है। जस्टिस एमएस सोनक और नितिन सांबरे की बेंच ने कहा, ‘इस तरह के हलफनामे से मतलब है कि सरकार जिम्मेदारी से कतरा रही है और समस्या को कहीं और बता रही है।’ बेंच ने आगे कहा, ‘आपको सभी अधिकारियों को बताना होगा कि ये स्वीकार्य कारण नहीं है कि हमें ट्रैक्टर नहीं मिल सका, ड्राइवर नहीं मिल सका, टेक्नीशियन नहीं मिल सके और अगर इन कारणों से लोगों की मौत हो रही है तो यह स्वीकारा नहीं जा सकता है।’

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