ऐसी औरत से बचाए भगवान, बदचलनी के इन लक्षणों को लीजिए पहचान

किसी भी व्यक्ति का कैरेक्टर दीपक की रोशनी जैसा होता है, जो दूर-दूर तक प्रकाश फैलाता है। अच्छे चरित्र के लोगों से जीवन को नई राह और प्रेरणा मिलती है। हिंदू धर्म में एक ग्रंथ है मनुस्मृति, जिसमें महिलाओं के लिए कुछ नियम निर्धारित किए गए हैं। जिससे उनकी पवित्रता बनी रहे और वो समाज में आदर प्राप्त कर सकें। किसी महिला का चरित्र गिर जाए तो उसकी समाज में निंदा होती है, अपमान होता है। चरित्रहीन महिला पशुओं तथा नारकीय जीवों से भी नीची होती है क्योंकि पशु और नारकीय जीव तो पहले किए हुए पाप-कर्मों का फल भोगकर मनुष्यता की तरफ आ रहे हैं पर चरित्रहीन महिला पापों में लग कर पशुता तथा नरकों की तरफ जा रही होती है। ऐसी स्त्रियों का संग भी पतन करने वाला होता है।

मनु स्मृति में इस श्लोक के माध्यम से बदचलन (अपवित्र) महिलाओं के ये लक्षण बताए गए हैं-

पानं दुर्जनसंसर्गः पत्या च विरहोटनम्। स्वप्नोन्यगेहेवासश्च नारीणां दूषणानि षट्।।

अर्थात- मदिरा पान करने वाली, दुष्ट पुरुषों का संग करने वाली, पति के साथ न रहने वाली, बिना किसी काम के इधर-उधर विचरन करने वाली, असमय एवं देर तक सोने वाली, अपना घर छोड़ दूसरे के घर में रहने वाली।

शर्म और लज्जा नारी के आभूषण हैं। जब कोई महिला इनका त्याग कर देती है तो उसे अपयश का सामना करना पड़ता है। मदिरा पान करने वाली महिलाएं परिवार और समाज में अपनी इज्जत खो देती हैं।

दुष्ट पुरुषों का संग करने वाली महिलाओं का पतन बहुत जल्दी हो जाता है। उनकी वजह से परिवार की अन्य महिलाओं को भी समाज में बुरी नजरों से देखा जाता है।

पति के साथ न रहने वाली महिलाओं और उनके बच्चों का भविष्य अंधकार में डूब सकता है। विवाह उपरांत पति के साथ रहने पर ही महिला को समाज में उचित मान- सम्मान प्राप्त होता है।

बिना किसी काम के इधर-उधर विचरन करने वाली महिला के चरित्र में दोष आ सकता है। विवाहित महिला ऐसा करे तो वो अपने ससुराल और मायके दोनों की इज़्ज़त को धूमिल करती है।

असमय एवं देर तक सोने वाली महिलाएं अपने शरीर का तो नुक्सान करती ही हैं साथ ही पारिवारिक दायित्व ठीक से नहीं निभा पाती इसलिए वो शारीरिक और मानसिक रूप से बीमार रहती हैं।

पिता और पति ये दो घर ही महिलाओं के लिए उपयुक्त माने गए हैं। अपना घर छोड़ दूसरे के घर में रहने वाली महिला के चरित्र में दोष आ सकता है। किसी दूसरे के घर में जितने भी ऐशो-आराम हों लेकिन जो सुख और अपनापन पिता और पति के घर में प्राप्त हो सकता है वह कहीं और नहीं मिलेगा।

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