क्या सुशील मोदी के वर्चस्व को खत्म करेंगे शाहनवाज!

पटना
बिहार में नीतीश कुमार की अगुवाई में नई सरकार का गठन हुए ढाई महीने से ज्यादा का वक्त बीत चुका है, लेकिन यहां के राजनीतिक गलियारे में दांव-पेच का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा है। पटना में सोमवार (18 जनवरी) को भारतीय जनता पार्टी (BJP) एक ऐसा कदम उठाने जा रही है जिससे इस पार्टी की दूरगामी तैयारी के संकेत मिल रहे हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री शाहनवाज हुसैन सोमवार को पटना में विधान परिषद के लिए नॉमिनेशन करेंगे।

बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता को बिहार की राजनीति में उतारने के साथ ही कई तरह की चर्चा शुरू हो गई हैं। शाहनवाज के जरिए बीजेपी पार्टी के अंदर नया नेतृत्व तैयार करने के साथ मुख्य विपक्षी दल और राज्य की सबसे बड़ी पार्टी आरजेडी को तहस-नहस करने की भी तैयारी कर रही है। आइए इसे विस्तार से समझने की कोशिश करते हैं।

RJD को तहस-नहस करने का BJP का है प्लान!
पिछले साल के अंत में हुए बिहार विधानसभा चुनाव में भले ही एनडीए सरकार बनाने में सफल हुआ, लेकिन आरजेडी ही सबसे बड़ी पार्टी बनकर सामने आई। इस चुनाव परिणाम के बाद एक बार फिर जाहिर हो गया कि राज्य में मुस्लिम+यादव का समीकरण आरजेडी के साथ है। राजनीति के जानकार मानते हैं कि बीजेपी जैसी बड़ी पार्टी भली-भांति जानती है कि अगर राज्य में नीतीश कुमार की छत्रछाया से अलग जाकर अपने दम पर पार्टी को खड़ी करनी है तो आरजेडी के इस मुस्लिम+यादव समीकरण को तोड़ना ही होगा।

इसी कड़ी में 2019 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले बीजेपी के तत्कालीन अध्यक्ष अमित शाह ने नित्यानंद राय को राज्य में बीजेपी का प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त कर दिया था। 2019 के लोकसभा चुनाव में इसका असर भी दिखा। नित्यानंद राय की अगुवाई में एनडीए ने राज्य की 40 में से 39 लोकसभा सीटें अपने नाम किया था। इनाम के तौर पर नित्यानंद राय को गृहमंत्रालय जैसे अहम विभाग में राज्य मंत्री बनाया गया।हालांकि माना जा रहा है कि बीजेपी सही वक्त का इंतजार कर रही है और पार्टी एक बार फिर से नित्यानंद राय को बड़ी जिम्मेदारी के साथ बिहार में उतार सकती है। चर्चा तो यहां तक है कि ये जिम्मेदारी मुख्यमंत्री के पद की भी हो सकती है। इसका अनुमान उसी वक्त लगाया जाने लगा था जब बिहार विधानसभा चुनाव में नित्यानंद राय से ज्यादा से ज्यादा रैलियां कराई गईं। इसके अलावा जब सरकार के गठन का समय आया तो नित्यानंद बीजेपी की ओर से अहम रोल निभाते देखे गए थे।

माना जा रहा है कि बीजेपी नित्यानंद राय जैसे चेहरे को आगे कर आरजेडी के यादव वोट बैंक को अपने साथ लाने की भरसक कोशिश में जुटी है। 2019 के लोकसभा चुनाव और 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में जिस तरह से कुछ यादव वोटों की शिफ्टिंग एनडीए में होती दिखी उससे उम्मीदें और ज्यादा बढ़ गई हैं।

प्रोग्रेसिव मुस्लिम वोटरों को RJD से अलग करेंगे शाहनवाज!
शाहनवाज हुसैन को पटना की राजनीति में भेजे जाने के पीछे भी यही मकसद बताया जा रहा है। बीजेपी शाहनवाज हुसैन के जरिए बिहार के प्रोग्रेसिव मुस्लिमों को अपने साथ जोड़ने की कोशिश करने जा रही है। इससे पहले बीजेपी पर आरोप लगते रहे हैं कि वह असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम को बिहार में बैकडोर से सपोर्ट कर रही है। हालांकि ओवैसी और बीजेपी के नेता इसे बेतुका बताते रहे हैं।

बिहार में ओवैसी के सक्रिय होने का सीधा-सीधा नुकसान आरजेडी को हो रहा है। 2020 के विधानसभा चुनाव में अवैसी की पार्टी से बिहार में पांच विधायक जीते और करीब पांच सीटों पर आरजेडी के प्रत्याशी को हराने में अहम रोल निभाया। इस तरह देखें तो यह नंबर करीब 10 सीटों का होता है। अगर ये 10 सीटें आरजेडी को मिलती तो शायद बिहार की राजनीति का प्रारूप कुछ और देखने को मिल सकता था।2020 के बिहार विधानसभा चुनाव परिणाम से स्पष्ट हो चुका है कि मुस्लिम वोटर भी पाला बदल सकते हैं बस उनके सामने विकल्प देने की जरूरत है। माना जा रहा है कि इसी उम्मीद में बीजेपी ने शाहनवाज हुसैन जैसे चेहरे को दिल्ली से पटना शिफ्ट किया है।

सुशील मोदी के वर्चस्व को खत्म करेंगे शाहनवाज!
बिहार विधानसभा चुनाव परिणाम आने के बाद बीजेपी ने सुशील कुमार मोदी को राज्य मंत्रिमंडल में शामिल नहीं कर सबको चौंका दिया था। इतना ही नहीं सुशील मोदी को राज्य सभा भेजकर पार्टी ने धीरे से उन्हें पटना से दिल्ली शिफ्ट करने का भी दांव चल दिया था। माना जा रहा है कि बीजेपी सुशील मोदी का वर्चस्व पार्टी के प्रदेश नेतृत्व से खत्म करना चाह रही है। बिहार की राजनीति को जानने समझने वाले सभी जानते हैं कि सुशील कुमार मोदी और शाहनवाज हुसैन के बीच कभी भी सबकुछ सही नहीं रहा है। अब पार्टी ने जैसे ही सुशील मोदी को दिल्ली शिफ्ट किया है उसके साथ ही शाहनवाज हुसैन को पटना भेज दिया है। ऐसे में ये भी माना जा रहा है कि बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व शाहनवाज हुसैन के जरिए बिहार बीजेपी में सुशील मोदी के वर्चस्व को खत्म करना चाह रही है।

हालांकि शाहनवाज हुसैन के पटना आने के बाद शुरू हुईं इन अटकलों में कितना दम है ये तो वक्त ही बताएगा, लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि राजनीति हमेशा अटकलों और संभावनाओं पर ही चलती हैं। वैसे भी शाहनवाज हुसैन जैसे चेहरे को दिल्ली से पटना यूं ही नहीं शिफ्ट किया गया है, इसके पीछे बीजेपी जरूर बड़ी प्लानिंग में जुटी है।

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