उत्तराखंड की ग्रीष्म कॉलीन राजधानी बना गैरसैंण

भराडीसैंण। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बुधवार को बजट पेश करने के बाद एक महत्वपूर्ण और एतिहासिक घोषणा करते हुए उत्तराखंड के गैरसैंण को राज्य की ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाए जाने का ऐलान किया।

चमोली जनपद की गैरसैंण तहसील के भराडीसैंण गांव में बने विधानसभा भवन में पहली बार आयोजित बजट सत्र में वित्त वर्ष 2020-21 का बजट पेश करने के बाद वित्त मंत्री का दायित्व सम्भाले हुए मुख्यमंत्री ने बजट भाषण समाप्त होने के बाद यह घोषणा की। गढ़वाल और कुमायूं मण्डल के मध्य स्थित गैरसैण को स्थायी राजधानी बनाने की बात राज्य बनने के बाद से ही की जाती रही है।

उत्तर प्रदेश से अलग राज्य उत्तराखंड बनाने के साथ ही उसकी राजधानी गैरसैण को बनाने की मांग उठने लगी थी। राज्य आंदोलनकारियों और उत्तराखंड क्रांति दल ने इसकी मांग के लिए आंदोलन तेज किया। उनका अलग राज्य गठन का ये संघर्ष 9 नवंबर 2000 को खत्म हुआ और उत्तराखंड को राज्य का दर्जा मिला। हालांकि फिर उत्तराखंड की राजधानी गैरसैण न होकर देहरादून (अस्थाई) बन गई। इसको लेकर फिर से आंदोलन शुरू हुए और राज्य आंदोलनकारियों ने ‘पहाड़ी प्रदेश की राजधानी पहाड़ हो’ का नारा बुलंद किया।

कांग्रेस विधायकों के चेहरे उतरे

ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने की घोषणा सुनते ही सदन में मौजूद विपक्षी कांग्रेस विधायकों के चेहरे एकाएक उतर गये। कांग्रेस और भाजपा हमेशा से इस मुद्दे पर आरोप प्रत्यारोप लगाते रहे हैं। गैरसैण को राजधानी बनाने के लिये बीते लगभग एक साल से ज्यादा समय से देहरादून में लक्ष्मी प्रसाद थपलियाल के नेतृत्व में आंदोलन किया जा रहा है।

भर आया मुख्यमंत्री का गला

त्रिवेंन्द्र ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि गैरसैण हजारों शहीद और दूसरे राज्य आंदोलनकारियों का सपना रहा है। इस फैसले को सिर्फ मैं अकेला नहीं, बल्कि तमाम लोगों की यह भावना रही है। ऐसा कहते हुए त्रिवेंन्द्र का गला भर आया। उन्होंने कहा कि ग्रीष्मकालीन राजधानी के विकास के सम्बंध में जल्दी विस्तार से विचार विमर्श किया जाएगा।

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