जानिए बिहार में लॉकडाउन लगाने की नौबत क्यों पड़ी ?

बिहार में कोरोना के खिलाफ एक्शन में थोड़ी देरी हुई है। लॉकडाउन की मांग दो सप्ताह पहले से ही चल रही है लेकिन सरकार सख्ती बढ़ाकर कोरोना को काबू करने में जुटी थी। सरकार की सख्ती के बाद भी कोरोना का आंकड़ा कम नहीं हुआ। हर दिन तेजी से मामले बढ़ते गए। अप्रैल माह के 30 दिनों में कोरोना ने रिकॉर्ड तोड़ दिया। इस दौरान जानलेवा वायरस ने 989 लोगों की जान ली और लगभग 204790 लोगों को संक्रमित कर दिया। तेजी से बढ़ते मामलों के कारण एक्टिव मामलों की संख्या भी बढ़कर 103821 हो गई। एक्सपर्ट का कहना है कि लॉकडाउन में थोड़ी देरी हुई है लेकिन अभी भी सख्ती के साथ इसका पालन करा दिया जाए तो कोरोना के पीक पर आने का बिहार में कोई खास असर नहीं पड़ेगा।

अप्रैल में कोरोना ने मचाया तांडव

अप्रैल में कोरोना ने पहली लहर का कई रिकॉर्ड तोड़ दिया। 30 अप्रैल को प्रदेश में कुल संक्रमित होने वालों की संख्या 470317 पहुंच गई। कोरोना को मात देने वालों की संख्या 362356 पहुंची जबकि मरने वालों की संख्या 2560 पहुंच गई। रिकवरी का आंकड़ा भी 30 अप्रैल तक 77% हो गया।

मई के 3 दिन में 261 मौत

मई माह के 3 दिन में 261 लोगों की मौत हो गई है। रिकवरी रेट भी अब 78.2% पहुंच गया है। एक्टिव मामलों की संख्या भी अब 107667 हो गई है। 3 मई तक प्रदेश में कुल 2821 लोगों की मौत हो चुकी है। पटना के डॉ एसपी राणा का कहना है कि अब इस पर अंकुश लगेगा। लॉकडाउन का सख्ती से पालन कराया गया तो आंकड़ों में तेजी से कमी आएगी। पहली लहर में भी ऐसे ही लॉकडाउन से ही बड़ी राहत हुई थी।

डॉक्टरों ने कहा- शुक्र है मान ली बात

कोरोना के बढ़ते ग्राफ से डॉक्टरों की हिम्मत भी अब टूट रही थी। आए दिन किसी न किसी डॉक्टर का परिवार संक्रमित हो रहा है। कई डॉक्टरों की जान भी चली गई है। हालात दिन प्रतिदिन बेकाबू होते जा रहे थे, ऐसे में IMA से लेकर चिकित्सकों के अन्य संगठनों ने लॉकडाउन की मांग की थी। IMA का कहना है कि सरकार ने सही समय पर निर्णय ले लिया है और अब इसका सख्ती से पालन होना चाहिए, जिससे कोरोना की हर कड़ी को तोड़ा जा सके। IMA के साथ डॉक्टरों ने अन्य संगठनों ने कहा है कि संक्रमण का ग्राफ जिस तरह से तेजी से बढ़कर जानलेवा हो रहा है। IMA के साथ अन्य संगठनों ने कहा है कि समय काफी चुनौती भरा है।

अब स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए मिलेगा मौका

IMA के डॉ सहजानंद प्रसाद, डॉ अजय कुमार, डॉ कैप्टन वीएस सिंह, डॉ. बिमल कुमार कारक, डॉ सुनील कुमार का कहना है कि कोरोना की दूसरी लहर में अब हालात बेकाबू हो रहे थे। जिस तरह से संक्रमण के साथ लोगों की तकलीफ बढ़ रही थी इसमें लॉकडाउन काफी आवश्यक था। दुनिया का अनुभव है कि लॉकडाउन से ही कोरोना की कड़ी तोड़ी जा सकती है। 15 दिन के छोटे लॉकडाउन की मांग इसलिए ही की गई थी कि इससे अर्थव्यवस्था भी प्रभावित नहीं होगी और कोरोना का कनेक्शन भी टूट जाएगा। इस छोटे से लॉकडाउन से उम्मीद है कि कोरोना काफी हद तक काबू में आ जाएगा।

लॉकडाउन में स्वास्थ्य सेवाओं पर नहीं पड़ेगा प्रभाव

लॉकडाउन के दौरान इमरजेंसी स्वास्थ्य सेवाओं पर कोई असर नहीं पड़ेगा। एम्बुलेंस और अन्य आवश्यक सेवाओं को सामान्य दिनों की तरह चालू रखा जाएगा। ओपीडी की सेवाओं पर असर पड़ सकता है क्योंकि साधन नहीं चलने से लोगों को आने जाने में मुश्किल होगी। इस दौरान वैक्सीनेशन और काेरोना की जांच का काम चलता रहेगा। हालांकि स्वास्थ्य विभाग भी इस दिशा में गाइडलाइन जारी करेगा। अस्पतालों को क्या करना है मरीजों को कैसे राहत देनी है इसकी पूरी विस्तृत गाइडलाइन जारी की जाएगी।

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