ताज महल के इस दरवाजे को खोलने से डरती है सरकार, इसके पीछे ऐसा क्या राज ?

दुनिया आज भी कई रहस्यों से भरी पड़ी है। कुछ रहस्यों को सिर्फ एक conspiracy theory कह कर छोड़ दिया जाता है और कुछ को उन देशों की सरकारी संस्थाएं आज भी छिपाने की कोशिश कर रही हैं। भारत में भी ऐसे कई रहस्य हैं, जिसने दुनिया को चकरा कर रख दिया है। कई रहस्य हैं जो दुनिया के सामने आ चुके हैं, लेकिन अभी भी कई ऐसे रहस्य हैं जो आज भी सबसे छिपा कर रखे जा रहे हैं। ऐसा ही रहस्य है ताजमहल के तहखाने का रहस्य। ये एक ऐसा रहस्य है, जिसे सबको बताने से हर सरकार डरती है।

तो आज हम बात करने वाले हैं ताजमहल के उस दरवाजे के बारे में जिसे खोलने से सरकारें भी डरती हैं। दरअसल ऐसा माना जाता है कि ताजमहल का निर्माण साल 1631 में शुरू करवाया गया था और साल 1653 में ये बनकर तैयार हुआ। और आज भी इसे निर्माण कुशलता का एक बेमिसाल उदाहरण कहा जाता है। शोधकर्ताओं ने इस पर कई शोध किए और उनका आज भी मानना है कि ताजमहल के नीचे हजार से भी ज्यादा कमरें हैं। उनका मानना है कि ताजमहल जितना ऊंचा है, ये धरती के अंदर भी उतनी ही गहराई तक बनवाया गया है।

उस जमाने में जब कोई भी किला बनवाया जाता था, तो उसमें बाहर निकलने का रास्ता भी बनवाया जाता था। और ऐसा ही ताजमहल के अंदर भी है। इसके नीचे से एक रास्ता भी है। जो कहीं दूर बाहर निकलता है। लेकिन उन तहखानों की तरह ही उसे भी शाहजहां के समय में ही बंद करवा दिया गया। ताजमहल के नीचे के इन कमरों को ईंटों से ही बंद करवाया गया। लेकिन शोधकर्ताओं का मानना है कि जिन ईंटों से इन कमरों को बंद किया गया है। इन ईंटों का निर्माण इन कमरों के बाद किया गया। लेकिन आखिर क्या वजह थी जो इन कमरों को बनवाने के बाद इन्हें बंद करना पड़ा। कुछ पुरातत्व वैज्ञानिक और शोधकर्ताओं की इसपर अलग- अलग राय है। कुछ का मानना है कि इन तहखाऩों में मुमताज महल के कब्र को रखा गया है। और इन कमरों को सरकारी तौर पर बंद किया गया है। लेकिन ऐसा क्यों किया गया है इसकी पूरी जानकारी किसी के भी पास नहीं है। कुछ पुरातत्व शास्त्रों और लेखकों का ये कहना है कि इस जगह पर पहले एक शिव मंदिर था और उसे ताजु महालया कहा जाता था।

बाद में उसके ऊपर ताजमहल का निर्माण करवाया गया। इसलिए ये तहखाने ताजमहल से भी पुराने हैं। लेकिन अब एक नई conspiracy theory सामने आ रही है, जिसके अनुसार ताजमहल के नीचे इन तहखानों में कीमती खजाने भी हो सकते हैं। मेटल डिटेकटर से इनके नीचे कई तरह की धातु होने की पुष्टि हुई है। लेकिन पुरातत्व शास्त्रियों का ये भी मानना है कि इसके अंदर कई ऐसे ऐतिहासिक दस्तावेज भी हो सकते हैं, जो हमारे इतिहास तक को बदल सकते हैं। इन तहखानों की खोजबीन की खबरें तो काफी आईं, लेकिन इन्हें कभी भी अमली जामा नहीं पहनाया जा सका। इनमें से कई दरवाजे तो खोले गए, लेकिन बाद में बंद करवा दिए गए। जिससे ये रहस्य और भी गहरा जाता है कि न दीवारों के पीछे क्या है। जिसे जानने से सरकारें भी डरती हैं।

अंत में हमारे मन में भी यही सवाल उठता है कि आखिर इन दरवाजों के पीछे क्या है, जिसे सरकारें भी हमसे छिपाए रखना चाहती है। और क्या सच में इसमें कुछ ऐसा है, जो हमारा इतिहास बदल सकता है। एक ना एक दिन तो सच्चाई सामने आएगी ही क्योंकि कहा जाता है कि सच्चाई को छिपाया जा सकता है, लेकिन दबाया नहीं जा सकता। और हर सच एक ना एक दिन सामने आ ही जाता है।

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