पाकिस्तान के इस मंदिर में हिंदूओं के साथ मुस्लिम भी आते हैं, जानिए यहाँ के बारे में सब कुछ !

दोस्तों क्या आप जानते हैं पाकिस्तान में भी कई ऐसे मंदिर है.. जिनका उल्लेख हिंदू पैराणिक ग्रंथों में मिलता है.. जैसे कि हिंगलाज मंदिर.. ये हमारे इक्यावन शक्तिपीठों में से एक है… वहीं पाकिस्तान में एक मंदिर ऐसा है जहां हिंदुओं के साथ- साथ मुस्लमान भी दर्शन करने लिए आते हैं… पर क्या आप जानते हैं वो मंदिर कौन सा है…

दरअसल, हम बात कर रहें हैं… पाकिस्तना के करांची शहर में स्थित स्वामीनारायण मंदिर की.. ये मंदिर लगभग एक सौ सत्तर साल पुराना है… और यहां हिंदूओं के साथ- साथ मुस्लिम भी माथा टेकने आते है… इतना ही नहीं इस मंदिर की एक खासियत और है वो ये कि मंदिर परिसर के अंदर ही यहां एक गुरुद्वारा भी है… यानी की यहां तीन धर्मों का अनोखा संगम देखने को मिलता है… और तो और हिंगलाज भवानी शक्तिपीठ की यात्रा भी इसी मंदिर से शुरु होती है। 

इस मंदिर की चौंका देने वाली बात ये है कि यहां किसी भी भगवान की कोई मूर्ति नहीं है… हालांकि एक समय ऐसा था जब ये मंदिर भगवान की मूर्तियों से भरा रहता था… लेकिन बंटवारे के बाद इस मंदिर में न ठीक से साफ- सफाई हो पाती थी और न रोज पूजा.. जिसकी वजह से स्वामीनारायण संप्रदाय ने इस मंदिर से भगवान की मूर्तियां हटवाकर उन्हें दूसरे मंदिरों में स्थापित करा दिये.. जिससे की समय पर उनकी पूजा- पाठ हो सके।

अब इस मंदिर में मात्र स्वामीनारायण भगवान की एक पेंटिग है.. और लोग उसी की पूजा- अर्चाना करते हैं… हालां कि इस विशाल और भव्य मंदिर में त्योहार के समय काफी रौनक देखने को मिलती है… तब मंदिर को सजाया भी जाता है और यहां गरीबों के लिए भंडारे का आयोजन भी किया जाता है।

आज भी इस प्राचीन मंदिर के दर्शन करने दूर- दूर से लोग आते हैं… इतना ही नहीं इस मंदिर में हिंदू रीति- रिवाजों के साथ शादियां भी करायी जाती है.. साथी स्वामीनारायण मंदिर में दशहरा के समय रामलीला का भव्य आयोजन किया जाता है.. जिसमें हिंदू- मुस्लिम सभी मिलकर हिस्सा लेते हैं.. आसान भाषा में कहें तो ये मंदिर इंसानियत और भाईचारे की जीती- जागती मिसाल है।

मान्यता है कि इस मंदिर को बनाने में तीन साल का समय लगा था… तब जाकर 1849 में ये पूरा बन पाया था… कहते हैं भारत- पाकिस्तान बंटवारे के समय इस मंदिर को रिफ्यूजी कैंप के तौर पर इस्तेमाल किया गया था। 

ये मंदिर लगभग 2 हजार स्क्वेयर मीटर में फैला हुआ है… और इसके पास में ही एक विशाल धर्मशाला भी है.. हालांकि अब ये धर्मशाला नगर जिला पंचायत का ऑफिस बन चुकी है… सरकारी ऑफिस होने की वजह से ये मंदिर सुरक्षित माना जाता है और यहां सभी प्रकार के भक्तों का आना- जाना लगा रहता है।

अब आपको पाकिस्तान में स्थित कुछ और हिंदु मंदिरो के बारे में बताते हैं…

सबसे पहले बात करते हैं कटासराज के शिव मंदिर की..

शिव जी का ये मंदिर पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में स्थित है… इसकी गिनती पाकिस्तान के नामचीन मंदिरों में की जाती है… हालांकि इस मंदिर के निर्माण से जुड़े सबूत आज के समय में मौजूद नहीं है।

मान्यता है कि एक बार महादेव की आंखों से दो आंसू टपके थे… जिसमें से एक आंसू से अमृतकुंड बना था और ये कुंड़ पाकिस्तान के कटासराज में आज भी मौजूद है… वहीं दूसरा आंसू राजस्थान के पुष्कर में गिरा था… ये जगह इसलिए भी खास है क्यों कि पौराणिक कथाओं के अनुसार बाबा शिव देवी सती से शादी के बाद कई साल कटासराज में ही रहे थे।

दूसरा है पंजाब का नृसिंह मंदिर..

पाकिस्तान के पंजाब में मुल्तान नाम का एक शहर है… जहां ये नृसिंह मंदिर स्थित है… इस मंदिर को भक्त प्रह्लाद की भक्ति की निशानी माना जाता है… प्राचीनकाल में इस मंदिर का नाम ‘भक्त प्रह्लाद का मंदिर’ हुआ करता था… भक्त प्रह्लाद ने अपने भगवान नृसिंह के सम्मान में इस मंदिर को बनवाया था… कहा जाता है कि किसी समय में ये मंदिर मुल्तान शहर की पहचान हुआ करता था… वहीं जानकारों की माने तो इसी स्थान पर भगवान नृसिंह खंभे से प्रकट हुये थे और उन्होंने हिरण्यकश्यप का वध किया था… इतना ही नहीं कहा जाता है कि होली का त्योहार और होलिका दहन की प्रथा इसी जगह से शुरू हुई थी।

अब बात करते हैं पेशावर के गोरखनाथ मंदिर की..

ये मंदिर पाकिस्तान के पेशावर में स्थ्ति है…. और  इसका निर्माण सन् 1851 में हुआ था… लेकिन जिस साल भारत- पाकिस्तान का बंटवारा हुआ यानि की साल 1947 में इसे बंद कर दिया गया था… पर हाईकोर्ट के आदेश आने के बाद इसे साल 2011 में दुबारा से खोल दिया गया।

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