ब्रह्माण्ड की शुरुआत के बारे में है काफी कम जानकारी, जानिए क्या कहते है वैज्ञा‎निक

– डार्क इनर्जी की मौजूदगी की पुष्टि करते हैं वैज्ञा‎निक


वाशिंगटन  । हमारे वैज्ञानिक ग्रहों और पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति के बारे में काफी कुछ जानते हैं, लेकिन ब्रह्माण्ड की शुरुआत के बारे में काफी कम जानकारी है। अंतरिक्ष विज्ञानियों ने एक नई परिघटना की जानकारी हासिल की है जो ब्रह्माण्ड के विस्तार के पीछे के कारक डार्क ऊर्जा के बारे में बता सकती है। डार्क ऊर्जा के बारे में वैज्ञानिकों को कई संकेत मिले हैं जिससे उसके अस्तित्व की पुष्टि हो सकती है। अंतरिक्ष विज्ञानियों का अनुमान है कि यह विशिष्ट प्रकार की ऊर्जा बिग बैंग की घटना के समय से ही मौजूद रही होगा।


यह उस विस्फोट के 3 लाख साल के बाद का समय रहा होगा। शोधकर्ताओं ने चिली के आटाकामा कॉस्मोलॉजी टेलीस्कोप के आंकड़ों में इस विशिष्ठ ऊर्जा को डार्क एनर्जी के रूप में पहचाना है।ये आंकड़े साल 2013 से लेकर 2016 के बीच जमा किए गए थे। ये शुरुआती ब्रह्माण्ड पर रोशनी डाल सकते है। शोधकर्ताओं ने यह भी कहा है कि यह डार्क एनर्जी का निर्णायक प्रमाण नहीं हैं और इस बारे में और शोध की जरूरत है। शोधकर्ताओं का मानना है कि शुरुआती डार्क एनर्जी आज की डार्क एनर्जी की जितनी ताकतवर नहीं थी कि वह ब्रह्माण्ड को विस्तार को त्वरण दे सके। शोधकर्ता यह भी मानता है कि शुरुआती डार्क एनर्जी के कारण ही बिगबैंग के बाद बना प्लाज्मा तेजी से ठंडा हो पाया होगा। अंतरिक्ष विज्ञानियों को लगता है कि इन टेलिस्कोप के इन अवलोकनों को समझ कर शुरुआती डार्क एनर्जी वाले 12.4 अरब साल पुराने ब्रह्माण्ड की जानकारी हासिल की जा सकती है। यह ब्रह्माण्ड अभी 13. 8 अरब साल से 11 प्रतिशत पहले का हो सकता है।एसीटी शोधपत्र के सहलेखक कोलिन हिल ने नेचर को बताया कि यदि यह सच हुआ, यदि शुरुआती ब्रह्माण्ड में डार्क एनर्जी थी, तो हमें मजबूत संकेत दिखना चाहिए। ब्रह्माण्ड का वर्तमान विस्तार जितना मानव मॉडल अनुमान लगा रहे हैं उससे पांच प्रतिशत तेज हो सकता है जो आज के खगोलविद गणना कर रहे हैं।


शुरु में माना गया था कि ब्रह्माण्ड का विस्तार हो रहा है। लेकिन खगोलविदों ने सोचा था कि गुरुत्व इस विस्तार की गति को कम कर देगा। लेकिन हबल टेलीस्कोप के अवलोकनों ने बताया कि यह विस्तार गुरुत्व के कारण धीमा नहीं हो रहा है, बल्कि इस त्वरण मिल रहा है यानि इसके विस्तार की दर तेज हो रही है। शोधकर्ता जानते हैं कि एक रहस्यमयी बल इसके विस्तार दे रहा है जिसे बाद में डार्क एनर्जी कहा गया। अल्बर्ट आइंस्टीन पहले ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने इस बात को वैज्ञानिक रूप से माना था कि अंतरिक्ष खाली नहीं है और यह भी संभाव है कि और ज्यादा अंतरिक्ष का अस्तित्व आ सकता है। उनके गुरुत्व के सिद्धांत ने प्रस्ताव दिया था कि अंतरिक्ष खुद भी अपनी ऊर्जा रखता है। चूंकि यह ऊर्जा अंतरिक्ष का ही गुण है, इसलिए इसके विस्तार होने पर यह विरल नहीं होगा। और ज्यादा अंतरिक्ष आने पर और उसमें और ज्यादा ऊर्जा आती जाएगी। नासा के मुताबिक हम यह जानते है कि डार्क एनर्जी कितनी है क्योंकि हमें यह जानते हैं कि वह ब्रह्माण्ड के विस्तार पर कैसा असर डाल रही है।
इसके अलावा यह पूरी तरह से रहस्य है।

 नासा का कहना है किब्रह्माण्ड का करीब 68 प्रतिशत हिस्सा डार्क एनर्जी है। डार्क मैटर करीब 27 प्रतिशत है उसके बाद बचा हुआ सबकुछ, पूरी पृथ्वी, सूर्य और ब्रह्माण्ड के दिखने वाले अन्य पिंड सामान्य पादर्थ से बने हैं। जो ब्रह्माण्ड का 5 प्रतिशत हिस्सा हैं। बता दें कि खगोल विज्ञान और अंतरिक्ष विज्ञान की उलझनों के बीच एक बड़ा सवाल है कि ब्रह्माण्ड की शुरुआत कैसे हुई। यह सवाल आज भी अनसुलझा है।

खबरें और भी हैं...

अपना शहर चुनें