मिशन पश्चिम बंगाल : एक-एक कर नेताओं के पार्टी छोडऩे की झड़ी ने बढ़ाई दीदी की दुश्वारी


दीदी को ठिकाने लगाने की बारी
-शाह और नड्डïा की रैलियों ने बढ़ाया वेस्ट बंगाल का सियासी पारा

-सुभाष और विवेकानंद जयंती पर वृहद आयोजन की तैयारी में बीजेपी
योगेश श्रीवास्तव
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में मायावती को हाशिए पर लाने के बाद अब भारतीय जनता पार्टी के अगले निशाने पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की मुखिया ममता बनर्जी है। यूपी में जिस तरह मायावती को तीन बार सीएम बनाने के बाद भाजपा ने उनसे किनारा करके उन्हे किनारे लगाया है उसी तर्ज पर अब पश्चिम बंगाल की राजनीति में भी ममता बनर्जी को अप्रांसगिक बनाने की मुहिम में भाजपा कोई कसर नहींछोड़ रही है। हैदराबाद नगरनिगम के चुनाव में अपेक्षित उपस्थिति दर्ज कराने के बाद भारतीय जनता पार्टी को लगता है कि इस बार पश्चिम बंगाल में भी तीन फूल की जगह एक फूल खिलाया जा सकता है। पश्चिम बंगाल मे भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के लगातार दौरों और ममता कैम्प के नेताओं के एक-एक करके तृणमूल कांग्रेस छोडऩे की झड़ी ने दीदी की चिंता और दुश्वारियां दोनों बढ़ा दी है। ममता बनर्जी पिछले एक दशक से वहां पर सत्तारूढ़ है।

कभी राष्टï्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का हिस्सा रही ममता बनर्जी तत्कालीन अटल बिहारी बाजपेयी की सरकार में कैबिनेट मंत्री रही है। एनडीए से अलग होने के बाद उन्होंने पश्चिम बंगाल में एकला चलों के फंडे पर सियायत शुरू की और वर्ष २०११ में पहली बार बहुमत के साथ सत्तारूढ़ हुई। पिछले दो चुनावों में उनकी राह आसान रहीं लेकिन इस बार ऐसा नहीं है। तृणमूल कांग्रेस के कद्दावर नेताओं और ममता के करीबियों के एक-एक करके पार्टी छोड़कर भाजपा ज्वाइन करने की मुहिम ने वहां का चुनाव दिलचस्प बना दिया है। वहां की सियासत में वामपंथी दलों के तंबू वहां पहले ही उखड़ चुके है। ऐसे में वहां सीधा मुकाबला तृणमूल कांग्रेस और भाजपा के बीच सीधा मुकाबला है। कांग्रेस और वामदल वहां मिलकर चुनाव लडऩे जा रहे है। एक दूसरे का साथ देना वहां दोनों की मजबूरी है।

भारतीय जनता पार्टी ने पश्चिम बंगाल के चुनाव को अपने लिए प्रेस्टिज इशू बना लिया है। इसी गरज से राष्टï्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डïा ने एक महीने में दो बार पहुंचकर वहां रोड शो के साथ रैलियों को संबोधित कर चुके है। वोटरों को रिझाने की गरज से वे न सिर्फ दलितों के घर भोजन कर रहे है बल्कि वहां पिछले एक दशकों में हिन्दुओं पर हुए अत्याचारों का मुद्दा उठाकर पार्टी के पक्ष में माहौल तैयार करने में लगे है। पार्टी ने आगामी १२ जनवरी को स्वामी विवेकानंद जयंती और २३ जनवरी को सुभाष चन्द्र बोस की जयंती पर पश्चिम बंगाल में वृहद आयोजन करने का निर्णय लिया है। इन आयोजनों में पार्टी के कई केन्द्रीय नेता भी शिरकत करेंगे। इसी के साथ आमजनमानस तक उपस्थिति दर्ज कराने और पार्टी के पक्ष में माहौल तैयार करने की गरज से पार्टी ने एक मुट्टïी चावल के साथ ्रकार्यकर्ताओं से 24 से 30 जनवरी के बीच 40,000 ग्राम सभाओं में जानेे और कृषक भोज की शुरूआत करने का निर्णय लिया है।

साथ ही किसानों के कल्याण के लिए केंद्र सरकार की ओर से बनाये गये तीनों कृषि कानूनों के गुणों के बारे में किसानों को अवगत कराने को कहा गया है। भाजपा नेताओं का आरोप है कि केन्द्र सरकार की कल्याणकारी योजनाओं को वहां की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी राजनीतिक कारणों से लागू नहीं होने दे रही है जिससे इन योजनाओं का लाभ पात्र लोगों को नहीं मिल पा रहा है। यह मुद्दा भी चुनाव में ममता को घेरने के लिए अभेद् शस्त्र बना हुआ है। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा किसानों के खाते में दो हजार भेजे जाने की योजना से भी वहां के किसानों को वंचित किया गया। इस मुद्दे को भाजपा जोरशोर से उठा रही है। इसके अलावा वहां हिन्दू कार्यकर्ताओं का उत्पीडऩ भी भाजपा के लिए अहमं मुद्दा बना हुआ है।

पश्चिम बंगाल में चुनाव को लेकर हालांकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी वहां नहीं पहुंचे लेकिन राष्टï्रीय अध्यक्ष नड्डïा से पूर्व गृहमंत्री अमित शाह भी वहां कई रैलियों और रोडशो कर चुनावी शंखनाद का आगाज कर चुके है। बीते साल दुर्गा पूजा के मौके पर पीएम नरेन्द्र मोदी वर्चुअल सभा को संबोधित कर चुके है। जिसे वहां काफी सराहा गया है। इस साल पांच राज्यों में चुनाव होने है लेकिन भाजपा के लिए यहां का चुनाव सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है। तामिलनाडु में भाजपा का अन्नाद्रमुक के साथ चुनावी गठबंधन है। इसलिए वहां को लेकर वह इतनी चिंतित नहीं है। वर्तमान में वहां अन्नाद्रमुक की ही सरकार है।

खबरें और भी हैं...

अपना शहर चुनें