सूर्य ग्रहण को लेकर असमंजस की स्थित, भारत में नहीं दिखेगा

 
नैमिषारण्य-सीतापुर। शनिवार को मार्गशीर्ष मास की शनि अमावस्या पर्व पर तीर्थ में बड़ी संख्या में देश-विदेश के श्रद्धालु जुटेंगे। कार्तिक माह के बाद मार्गशीर्ष की अमावस्या तिथि को मार्गशीर्ष अमावस्या कहा जाता है। इस बार इस अमावस्या तिथि का संयोग शनिवार को पड़ रहा है जिसके चलते ये शनि अमावस्या भी कही जाती है। शनि अमावस्या के कारण पितरों के साथ शनिदेव को भी प्रसन्न करने के लिए यह दिन अति उत्तम रहता है। यह दिन कालसर्प दोष निवारण, पितृदोष निवारण आदि के लिए भी बहुत उत्तम माना गया है। मान्यता है कि पूर्णिमा भगवान विष्णु तो अमावस्या देवी लक्ष्मी वहीं त्रयोदशी भगवान शिव और एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित मानी जाती है। मार्गशीर्ष माह में श्री कृष्ण की पूजा-अर्चना का विधान है। मार्गशीर्ष माह की अमावस्या पर पितरों के तर्पण का विशेष महत्व है। माना जाता है कि इस दिन नाभिगया नैमिषारण्य में पितरों की आत्मा को पूजा और तर्पण करने से शांति मिलती है।

इस बार है विशिष्ट योग


इस बार मार्गशीर्ष अमावस्या सुकर्मा योग में पड़ रही है। मार्गशीर्ष अमावस्या 2021 के दिन सुबह 08 बजकर 41 मिनट तक सुकर्मा योग है. इस योग को मांगलिक कार्यों के लिए अच्छा माना जाता है।


ये रहेगा अमावस्या तिथि मुहुर्त
मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष अमावस्या तिथि 03 दिसंबर 2021 शाम 04 बजकर 55 मिनट से शुरु होगी और 04 दिसंबर 2021 दोपहर 01 बजकर 12 मिनट पर समाप्त होगी। अमावस्या तिथि का स्नान-दान 04 दिसंबर को किया जाएगा।


इस अमावस्या करें ये कार्य
इस दिन प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में गंगा , गोमती या किसी भी नदी में जाकर स्नान करना चाहिए और अपने पितरों के निमित्त तर्पण व दान करना चाहिए। यदि हो सके तो इस दिन व्रत रखें और क्षमता अनुसार अन्न, वस्त्र आदि का दान करें। संध्या के समय पीपल के वृक्ष के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए। इसी के साथ पीपल की परिक्रमा भी करनी चाहिए।


सूर्य ग्रहण से ना हो परेशान , देश में न दिखने से यहां रहेगा प्रभावहीन
आचार्य सदानंद द्विवेदी ने बताया कि ये सूर्य ग्रहण भारत देश में दृश्य नहीं है जिसके चलते देश में इसका कोई सूतक या प्रभाव नहीं रहेगा। सामान्य दिनों की तरह ही सभी धर्मकार्य व दिनचर्या चलेगी।

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