20 दिनों से स्कूल नहीं आई बच्ची, टीचर ने घर फ़ोन किया तो पता चली रुलाने वाली कहानी

एक मां अपनी बेटी के लिए हर दर्द सहन कर सकती है तो बेटी भी मां के लिए कुछ भी कर सकती है. ऐसी ही एक घटना गुड़गांव में तब सामने आई जब छठीं में पढ़ने वाली अमीरा नाम की अफगानिस्तान से शरणार्थी के रूप में रह रही एक स्टूडेंट ने स्कूल जाना बंद कर दिया था. स्कूल को पता लगा कि छात्रा कि मां देख नहीं पाती, ऐसे में उनकी देख-रेख के लिए अब वह स्कूल नहीं आती. जिसके बाद स्कूल प्रशासन ने एक स्वयं सेवी संस्था की मदद से उसकी मां का इलाज करवाया और उनकी रोशनी वापस लौटने के बाद छात्रा फिर से स्कूल जाने लगी.

स्टूडेंट अमीरा की मां मेहरनिशां काला मोतिया (गलूकोमा) की बीमारी से पीड़ित थी. धीरे-धीरे उनकी दोनों आंखों की रोशनी चली गई. आमिरा के पिता अब्दुल शहर के ही एक रेस्टोरेंट में काम करते हैं. लिहाजा उनके ड्यूटी पर जाने के बाद मां को संभालना पड़ता था. अमीरा शहर के निजी स्कूल में 6 क्लास की छात्रा है. लगातार बिना बताए 20 दिन स्कूल नहीं आने पर स्कूल प्रबंधन ने उसके घर बात की. जिसके बाद पता चला उसकी मां की दोनों आंखों की रोशनी चली गई है उनकी सेवा के लिए वह स्कूल नहीं आ पाएगी.

तब स्कूल प्रबंधन ने एक संस्था के माध्यम से रेलवे रोड स्थित निरामया नेत्र संस्थान पहुंचाया. जहां जांच के बाद पता चला कि महिला को काला मोतिया है और उसकी सर्जरी की गई. इलाज में सफलता मिली. अस्पताल के चिकित्सक डा. हितेन्द्र आहूजा ने बताया उसे अस्पताल से छुट्टी दी जा चुकी है. अब वह चलने फिरने लगी है और दोनों की आंखों की रोशनी फिर से पहले जैसी हो गई है.

बता दें कि अमीरा के परिवार के कुछ लोग 15 साल पहले अफगानिस्तान के काबुल प्रांत में एक बम धमाके में बुरी तरह घायल हो गए थे. डर व खौफ से परेशान परिवार भारत आ गया था. अमीरा के पिता अब्दुल मजीद गुड़गांव के एक रेस्टोरेंट में बावर्ची का काम करने लगे. तब से यह परिवार यहां पर बतौर शरणार्थी के रूप में रह रहा है.

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