नवरात्रि के पर्व पर सभी देवी आराधना में लीन रहते हैं। इस पर्व पर एक तरफ पूजा-आराधना होती है तो दूसरी तरफ तांत्रिक टोना टोटका व सिद्धियां प्राप्त करने के लिए देवी की उपासना होती है। लेकिन क्या आपको पता है नवरात्रि पर बिहार व झारखंड में भूतों का मेला भी लगता है।
जी हां आज तक हमने कई मेलों के नाम सुने हैं जिनमें सांप का मेला, बैलों का मेला शामिल होते हैं लेकिन बिहार और झारखंड में कुछ ऐसे जगहें भी हैं, जहां भूतों का मेला लगता है। दरअसल जिन स्थानों की हम बात कर रहे हैं वे स्थान झारखंड के पलामू जिले के हैदरनगर में और बिहार के कैमूर जिले के हरसुब्रह्म स्थान पर स्थित हैं। इन स्थानों पर हर साल नवरात्रि के अवसर पर सैकड़ों लोग भूत-प्रेतों से मुक्ति पाने के लिए यहां पहुंचते हैं। इसलिए इन स्थानों पर चैत्र और शारदीय नवरात्रि में लगने वाले मेले को भूतों का मेला नाम दे दिया गया है।
नवरात्रि के असवर पर यहां देविी मंदिरों में आस्था और अंधविश्वास का खेल चलता है और भूत भगाने का सिलसिला चालु हो जाता है। इन स्थानों पर सिर्प राज्य ही नहीं बल्कि आसपास के राज्यों से भी लोग आते रहते हैं। नवरात्र के मौके पर प्रेतबाधा से मुक्ति के लिए यहां आस लिए हर दिन उत्तर प्रदेश, झारखंड, बिहार, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के लोग पहुंचते है।
झारखंड राज्य में स्थित हैदरनगर में देवी मां के मंदिर में करीब दो किलोमीटर के क्षेत्र में लगने वाले इस मेले में भूत-प्रेत की बाधा से मुक्ति दिलाने में लगे ओझाओं की मानें तो प्रेत बाधा से पीड़ित व्यक्तियों के शरीर से भूत उतार दिया जाता है और मंदिर से कुछ दूरी पर स्थित एक पीपल के पेड़ से कील के सहारे उसे बांध दिया जाता है। इस बारे में मंदिर के पुजारी का कहना है यहां प्रेत-आत्माओं से मुक्ति मां की शक्ति और कृपा ही दिलाती है। यहां के ओझा प्रेतात्मा से पीड़ित लोगों को प्रेत बाधा से मुक्ति सिर्फ मां की अद्भुत शक्तियां ही दे पाते हैं।
हैदरनगर में नवरात्रि के दौरान पिछले 65 वर्षो से भूतों का मेला लगता आ रहा है. हैदरनगर पलामू के डाल्टेनगंज मुख्यालय से करीब 90 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. इस धाम को शक्ति पीठ के नाम से भी जाना जाता है। मेले के दिनों में फूल प्रसाद, रंग बिरंगी चुनरियां व पूजा सामग्री, प्रसाधन, पानी गुमटी की भरमार एक दिन पूर्व से ही लग गई है। देवी धाम परिसर में ही मां के गर्भ गृह के अलावा राम-जानकी, शिवपार्वती वहीं धाम परिसर के बीचोंबीच जिन का चबूतरा स्थापित है। मुख्य द्वार के सामने ही बड़ा हवन कुंड भी स्थापित हैं। जहां श्रद्धालु व प्रेत बाधा से पीड़ित लोगों का झूमना विवशता है।