
सीतापुर। सनातन ब्राह्मण समाज द्वारा स्थानीय होली नगर स्थित मंदिर प्रागण में भगवान परशुराम का प्रकट दिवस मनाया गया। वहा पर उपस्थित ब्राह्मणो ने भगवान परशुराम के जयघोष के साथ पूजन आस्था व श्रद्धा के साथ माल्यार्पण आरती व दीपक जलाकर किया गया। मंगलवार को भगवान परशुराम की जयंती अवसर पर धार्मिक ग्रंथों के अनुसार श्री हरि विष्णु भगवान के अवतार भगवान परशुराम की भोर से ही शंख की ध्वनी व मन्त्र उच्चारण के साथ पूजा अर्चना प्रारंभ हुई, जिसमें रेणुकासुत जमदग्नि के नंदन कौशलेश पूजित भृगु चंदन, अज अनंत प्रभु पूर्णकाम की। आरती कीजे श्री परशुराम की के उच्चारण मंदिर में हुई। अंत में सभी ब्राह्मणो ने भगवान परशुराम सहित सभी सभी देवी देवताओ की आरती की। इस दौरान रामदत्त मिश्रा, शिव कुमार शास्त्री, विशवम्भर दयाल तिवारी, आकाश राय, सचिन त्रिपाठी, पंकज पांडेय, कमलेश कुमार पाण्डेय, डॉ वेद प्रकाश त्रिपाठी, गिरीश चन्द्र दीक्षित, कृष्ण बिहारी अवस्थी, प्रकाश अवस्थी, गणेश दत्त, दिनेश मिश्रा, शशिकांती तिवारी, शशि मिश्रा, आयूषी पांडेय, आदि ब्राह्मणो ने पूजा अर्चना की।
सभी लोग स्थापित करें परशुराम की मूर्ति
भगवान परशुराम जन्मोत्सव भगवान परशुराम चैक पर भगवान परशुराम ब्राह्मण सेवा संस्थान पंजीकृत उत्तर प्रदेश के संरक्षक के निर्देशन में मनाया गया। जिसमें प्रदेश उपाध्यक्ष अनूप मिश्रा, जिला वरिष्ठ उपाध्यक्ष अशोक मिश्रा, डॉ अनुभव पांडे बेबू, राजेश तिवारी, संजय शुक्ला, प्रियंक मिश्रा, राजेश पांडे, सनी जी तथा ललित श्रीवास्तव के द्वारा प्रभु परशुराम को जनेऊ बनाया गया। माल्यार्पण हुआ तथा प्रभु परशुराम की चालीसा तथा आरती की गई। तथा प्रसाद वितरण किया गया तथा सभी सनातन धर्म भाइयों से अपील की गई की अपने अपने घरों में भगवान परशुराम को पूजा स्थल पर स्थापित करें क्योंकि भगवान परशुराम किसी एक जाति या वर्ग के नहीं बल्कि संपूर्ण सनातन समाज के आराध्य देव है। श्री हरि विष्णु के चिरंजीवी छठे अवतार हैं। तत्पश्चात बाराबंकी जनपद में संगठन द्वारा आयोजित कार्यक्रम में भाग लेने के लिए प्रस्थान किया गया।
भगवान परशुराम जयंती मनायी गयी
मिश्रित/सीतापुर। भ्रष्टाचार विरोधी संघर्ष समिति द्वारा नगर कार्यालय पर भगवान परशुराम जयंती मनाई गई। वक्ताओं ने उनके जीवनवृत्त पर प्रकाश डालते हुए बताया कि परशुराम भगवान जी का जन्म त्रेता युग ( रामायण काल) में महर्षि भृगु के पुत्र महर्षि जमदग्नि द्वारा सम्पन्न पुत्रेष्टि यज्ञ से हुआ था। वह विष्णु के उन्नीसवें अवतार है उनकी माता का नाम रेणुका था। उनकी आरंभिक शिक्षा महर्षि विश्वामित्र और ऋचीक के आश्रम में हुई भगवान शंकर के आश्रम में भी विद्या प्राप्त की। वे धरती पर वैदिक संस्कृति का प्रचार प्रसार करना चाहते थे। कोंकण, गोवा एवं केरल उन्ही के द्वारा बसाए गए है। भीष्म, द्रोणाचार्य और कर्ण उनके जाने माने शिष्य थे। पितृ भक्त परशुराम ने पिता की आज्ञापालन के क्रम में अपनी माता का शिरोच्छेद एवं उनको बचाने आये अपने भाइयों का वध कर दिया था परंतु बाद में पिता के वरदान द्वारा सभी को पुनर्जीवित कर दिया था। हैहय वंशाधिपति सहस्त्रार्जुन जमदग्नि की अवज्ञा करते हुए बलपूर्वक कामधेनु को छीनकर ले गया था। कुपित परशुराम ने फरसे के प्रहार से उसकी समस्त भुजाएं काट डाली और सिर धड़ से अलग कर दिया तब सहस्त्रार्जुन के पुत्रों ने प्रतिशोध स्वरूप परशुराम की अनुपस्थित में उनके ध्यानस्थ पिता जमदग्नि की हत्या कर दी थी। इस अवसर पर समिति के जिला उपाध्यक्ष सुधीर शुक्ल राना, रवि पाण्डेय, अनुराग तिवारी, रत्नाकर मिश्रा, सभासद गण अभय चैरसिया, रामनरेश कश्यप, मनोहर लाल हंस, बालक राम राजवंशी, संजीव कश्यप, पवन राठौर, रवि कश्यप, राजेन्द्र आदि समिति के लोग उपस्थित रहे।
सनातन ब्राह्मण समाज द्वारा भगवान परशुराम का प्रकट दिवस मनाया
सीतापुर। सनातन ब्राह्मण समाज द्वारा स्थानीय होली नगर स्थित मंदिर प्रागण में भगवान परशुराम का प्रकट दिवस मनाया गया। वहा पर उपस्थित ब्राह्मणो ने भगवान परशुराम के जयघोष के साथ पूजन आस्था व श्रद्धा के साथ माल्यार्पण आरती व दीपक जलाकर किया गया। मंगलवार को भगवान परशुराम की जयंती अवसर पर धार्मिक ग्रंथों के अनुसार श्री हरि विष्णु भगवान के अवतार भगवान परशुराम की भोर से ही शंख की ध्वनी व मन्त्र उच्चारण के साथ पूजा अर्चना प्रारंभ हुई, जिसमें रेणुकासुत जमदग्नि के नंदन कौशलेश पूजित भृगु चंदन, अज अनंत प्रभु पूर्णकाम की। आरती कीजे श्री परशुराम की के उच्चारण मंदिर में हुई। अंत में सभी ब्राह्मणो ने भगवान परशुराम सहित सभी सभी देवी देवताओ की आरती की। इस दौरान रामदत्त मिश्रा, शिव कुमार शास्त्री, विशवम्भर दयाल तिवारी, आकाश राय, सचिन त्रिपाठी, पंकज पांडेय, कमलेश कुमार पाण्डेय, डॉ वेद प्रकाश त्रिपाठी, गिरीश चन्द्र दीक्षित, कृष्ण बिहारी अवस्थी, प्रकाश अवस्थी, गणेश दत्त, दिनेश मिश्रा, शशिकांती तिवारी, शशि मिश्रा, आयूषी पांडेय, आदि ब्राह्मणो ने पूजा अर्चना की।
सभी लोग स्थापित करें परशुराम की मूर्ति
भगवान परशुराम जन्मोत्सव भगवान परशुराम चैक पर भगवान परशुराम ब्राह्मण सेवा संस्थान पंजीकृत उत्तर प्रदेश के संरक्षक के निर्देशन में मनाया गया। जिसमें प्रदेश उपाध्यक्ष अनूप मिश्रा, जिला वरिष्ठ उपाध्यक्ष अशोक मिश्रा, डॉ अनुभव पांडे बेबू, राजेश तिवारी, संजय शुक्ला, प्रियंक मिश्रा, राजेश पांडे, सनी जी तथा ललित श्रीवास्तव के द्वारा प्रभु परशुराम को जनेऊ बनाया गया। माल्यार्पण हुआ तथा प्रभु परशुराम की चालीसा तथा आरती की गई। तथा प्रसाद वितरण किया गया तथा सभी सनातन धर्म भाइयों से अपील की गई की अपने अपने घरों में भगवान परशुराम को पूजा स्थल पर स्थापित करें क्योंकि भगवान परशुराम किसी एक जाति या वर्ग के नहीं बल्कि संपूर्ण सनातन समाज के आराध्य देव है। श्री हरि विष्णु के चिरंजीवी छठे अवतार हैं। तत्पश्चात बाराबंकी जनपद में संगठन द्वारा आयोजित कार्यक्रम में भाग लेने के लिए प्रस्थान किया गया।
भगवान परशुराम जयंती मनायी गयी
मिश्रित\सीतापुर। भ्रष्टाचार विरोधी संघर्ष समिति द्वारा नगर कार्यालय पर भगवान परशुराम जयंती मनाई गई। वक्ताओं ने उनके जीवनवृत्त पर प्रकाश डालते हुए बताया कि परशुराम भगवान जी का जन्म त्रेता युग ( रामायण काल) में महर्षि भृगु के पुत्र महर्षि जमदग्नि द्वारा सम्पन्न पुत्रेष्टि यज्ञ से हुआ था। वह विष्णु के उन्नीसवें अवतार है उनकी माता का नाम रेणुका था। उनकी आरंभिक शिक्षा महर्षि विश्वामित्र और ऋचीक के आश्रम में हुई भगवान शंकर के आश्रम में भी विद्या प्राप्त की। वे धरती पर वैदिक संस्कृति का प्रचार प्रसार करना चाहते थे। कोंकण, गोवा एवं केरल उन्ही के द्वारा बसाए गए है। भीष्म, द्रोणाचार्य और कर्ण उनके जाने माने शिष्य थे। पितृ भक्त परशुराम ने पिता की आज्ञापालन के क्रम में अपनी माता का शिरोच्छेद एवं उनको बचाने आये अपने भाइयों का वध कर दिया था परंतु बाद में पिता के वरदान द्वारा सभी को पुनर्जीवित कर दिया था। हैहय वंशाधिपति सहस्त्रार्जुन जमदग्नि की अवज्ञा करते हुए बलपूर्वक कामधेनु को छीनकर ले गया था। कुपित परशुराम ने फरसे के प्रहार से उसकी समस्त भुजाएं काट डाली और सिर धड़ से अलग कर दिया तब सहस्त्रार्जुन के पुत्रों ने प्रतिशोध स्वरूप परशुराम की अनुपस्थित में उनके ध्यानस्थ पिता जमदग्नि की हत्या कर दी थी। इस अवसर पर समिति के जिला उपाध्यक्ष सुधीर शुक्ल राना, रवि पाण्डेय, अनुराग तिवारी, रत्नाकर मिश्रा, सभासद गण अभय चैरसिया, रामनरेश कश्यप, मनोहर लाल हंस, बालक राम राजवंशी, संजीव कश्यप, पवन राठौर, रवि कश्यप, राजेन्द्र आदि समिति के लोग उपस्थित रहे।
सीतापुर। सनातन ब्राह्मण समाज द्वारा स्थानीय होली नगर स्थित मंदिर प्रागण में भगवान परशुराम का प्रकट दिवस मनाया गया। वहा पर उपस्थित ब्राह्मणो ने भगवान परशुराम के जयघोष के साथ पूजन आस्था व श्रद्धा के साथ माल्यार्पण आरती व दीपक जलाकर किया गया। मंगलवार को भगवान परशुराम की जयंती अवसर पर धार्मिक ग्रंथों के अनुसार श्री हरि विष्णु भगवान के अवतार भगवान परशुराम की भोर से ही शंख की ध्वनी व मन्त्र उच्चारण के साथ पूजा अर्चना प्रारंभ हुई, जिसमें रेणुकासुत जमदग्नि के नंदन कौशलेश पूजित भृगु चंदन, अज अनंत प्रभु पूर्णकाम की। आरती कीजे श्री परशुराम की के उच्चारण मंदिर में हुई। अंत में सभी ब्राह्मणो ने भगवान परशुराम सहित सभी सभी देवी देवताओ की आरती की। इस दौरान रामदत्त मिश्रा, शिव कुमार शास्त्री, विशवम्भर दयाल तिवारी, आकाश राय, सचिन त्रिपाठी, पंकज पांडेय, कमलेश कुमार पाण्डेय, डॉ वेद प्रकाश त्रिपाठी, गिरीश चन्द्र दीक्षित, कृष्ण बिहारी अवस्थी, प्रकाश अवस्थी, गणेश दत्त, दिनेश मिश्रा, शशिकांती तिवारी, शशि मिश्रा, आयूषी पांडेय, आदि ब्राह्मणो ने पूजा अर्चना की।
सभी लोग स्थापित करें परशुराम की मूर्ति
भगवान परशुराम जन्मोत्सव भगवान परशुराम चैक पर भगवान परशुराम ब्राह्मण सेवा संस्थान पंजीकृत उत्तर प्रदेश के संरक्षक के निर्देशन में मनाया गया। जिसमें प्रदेश उपाध्यक्ष अनूप मिश्रा, जिला वरिष्ठ उपाध्यक्ष अशोक मिश्रा, डॉ अनुभव पांडे बेबू, राजेश तिवारी, संजय शुक्ला, प्रियंक मिश्रा, राजेश पांडे, सनी जी तथा ललित श्रीवास्तव के द्वारा प्रभु परशुराम को जनेऊ बनाया गया। माल्यार्पण हुआ तथा प्रभु परशुराम की चालीसा तथा आरती की गई। तथा प्रसाद वितरण किया गया तथा सभी सनातन धर्म भाइयों से अपील की गई की अपने अपने घरों में भगवान परशुराम को पूजा स्थल पर स्थापित करें क्योंकि भगवान परशुराम किसी एक जाति या वर्ग के नहीं बल्कि संपूर्ण सनातन समाज के आराध्य देव है। श्री हरि विष्णु के चिरंजीवी छठे अवतार हैं। तत्पश्चात बाराबंकी जनपद में संगठन द्वारा आयोजित कार्यक्रम में भाग लेने के लिए प्रस्थान किया गया।
भगवान परशुराम जयंती मनायी गयी
मिश्रित\सीतापुर। भ्रष्टाचार विरोधी संघर्ष समिति द्वारा नगर कार्यालय पर भगवान परशुराम जयंती मनाई गई। वक्ताओं ने उनके जीवनवृत्त पर प्रकाश डालते हुए बताया कि परशुराम भगवान जी का जन्म त्रेता युग ( रामायण काल) में महर्षि भृगु के पुत्र महर्षि जमदग्नि द्वारा सम्पन्न पुत्रेष्टि यज्ञ से हुआ था। वह विष्णु के उन्नीसवें अवतार है उनकी माता का नाम रेणुका था। उनकी आरंभिक शिक्षा महर्षि विश्वामित्र और ऋचीक के आश्रम में हुई भगवान शंकर के आश्रम में भी विद्या प्राप्त की। वे धरती पर वैदिक संस्कृति का प्रचार प्रसार करना चाहते थे। कोंकण, गोवा एवं केरल उन्ही के द्वारा बसाए गए है। भीष्म, द्रोणाचार्य और कर्ण उनके जाने माने शिष्य थे। पितृ भक्त परशुराम ने पिता की आज्ञापालन के क्रम में अपनी माता का शिरोच्छेद एवं उनको बचाने आये अपने भाइयों का वध कर दिया था परंतु बाद में पिता के वरदान द्वारा सभी को पुनर्जीवित कर दिया था। हैहय वंशाधिपति सहस्त्रार्जुन जमदग्नि की अवज्ञा करते हुए बलपूर्वक कामधेनु को छीनकर ले गया था। कुपित परशुराम ने फरसे के प्रहार से उसकी समस्त भुजाएं काट डाली और सिर धड़ से अलग कर दिया तब सहस्त्रार्जुन के पुत्रों ने प्रतिशोध स्वरूप परशुराम की अनुपस्थित में उनके ध्यानस्थ पिता जमदग्नि की हत्या कर दी थी।
इस अवसर पर समिति के जिला उपाध्यक्ष सुधीर शुक्ल राना, रवि पाण्डेय, अनुराग तिवारी, रत्नाकर मिश्रा, सभासद गण अभय चैरसिया, रामनरेश कश्यप, मनोहर लाल हंस, बालक राम राजवंशी, संजीव कश्यप, पवन राठौर, रवि कश्यप, राजेन्द्र आदि समिति के लोग उपस्थित रहे।










