देहरादून। उत्तराखंड में चारधाम यात्रा अपने पूरे शबाब पर है. देश और विदेश से हजारों की तादाद में श्रद्धालु चारधाम यात्रा के लिए पहुंच रहे हैं. इस कड़ी में भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी और ओलंपिक पदक विजेता साइना नेहवाल ने केदारधाम पहुंचकर बाबा केदार के दर्शन किये और अपने पिता के साथ मंदिर में पूजा अर्चना की. वहीं, इस मौके पर बीकेटीसी के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने साइना नेहवाल को बाबा केदार का प्रसाद भेंटकर उनका केदारपुरी में स्वागत किया।
खुशनसीब है कि उसे बाबा केदार के दर्शन का सौभाग्य मिला-साइना
रविवार को भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी और ओलंपिक विजेता साइना नेहवाल ने अपने पिता डॉ. हरवीर सिंह नेहवाल के साथ केदारपुरी पहुंचकर बाबा केदार के दर्शन किये. इस मौके पर साइना ने कहा कि वह खुशनसीब है कि उसे बाबा केदार के दर्शन और पूजा अर्चना करने का सौभाग्य मिला. साथ ही उन्होंने यात्रा व्यवस्थाओं को लेकर संतुष्टि जताई है. उन्होंने कहा कि बदरी केदार मंदिर समिति और पुलिस प्रशासन के सहयोग से यात्रा व्यवस्थित ढंग से चल रही है. बाबा केदार सभी श्रद्धालुओं की मनोकामना पूरी करें।
इस मौके पर बदरी केदार मंदिर समिति की अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने केदारपुरी पहुंचने पर बैडमिंटन खिलाड़ी साइना नेहवाल का स्वागत किया और उन्हें बाबा केदार का प्रसाद भेंट किया. उन्होंने कहा कि साइना नेहवाल भारत की पहली बैडमिंटन खिलाड़ी हैं, जिन्होंने ओलंपिक में कांस्य पदक जीता है. भारतवासियों को उनपर गर्व है।
चारधाम यात्रा शुरू
बता दें कि उत्तराखंड में 3 मई से गंगोत्री यमुनोत्री धाम के कपाट खुलने के साथ ही चारधाम यात्रा शुरू हो गई थी. ऐसे में अबतक चारधामों में 8 लाख से ज्यादा श्रद्धालु दर्शन कर चुके हैं. वहीं, भारी संख्या में श्रद्धालुओं के उत्तराखंड पहुंचने पर पुलिस प्रशासन को यात्रा व्यवस्था बनाने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. कौन हैं साइना नेहवाल: साइना नेहवाल ओलंपिक पदक जीतने वाली भारत की पहली बैडमिंटन खिलाड़ी हैं, जिन्होंने 2012 लंदन ओलंपिक में कांस्य पदक जीता था।
हरियाणा की शटलर ने अपने करियर की शुरुआत बहुत पहले ही कर दी थी, जब उन्होंने 2008 में BWF वर्ल्ड जूनियर चैंपियनशिप जीती थी. इसी साल साइना पहली बार ओलंपिक के लिए क्वालिफाई भी किया था, लेकिन लंदन 2012 में उन्होंने अपने शानदार प्रदर्शन से दुनिया भर में प्रसिद्धि हासिल की।
17 मार्च 1990 को जन्मी साइना नेहवाल ने अपने परिवार के हरियाणा से हैदराबाद चले जाने के बाद आठ साल की उम्र में बैडमिंटन खेलना शुरू कर दिया था. वो खेल को ज्यादा महत्व देती थीं क्योंकि वहां कि स्थानीय भाषा से वो वाकिफ नहीं थीं और वो अपनी मां के सपने को आगे बढ़ाना चाहती थी. आपको बता दें कि साइना की मां एक स्टेट लेवल की बैडमिंटन खिलाड़ी थीं. भारतीय शटलर ने इसे भी 2008 में बीजिंग ओलंपिक में भारत का सर्वोच्च स्तर पर प्रतिनिधित्व कर सफलतापूर्वक किया था।